नई दिल्लीः Pradosh Vrat and Masik Shivratri 2024: आज साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि है. इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. शिवरात्रि का दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और आपकी हर एक मनोकामना पूरी करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा के बारे में.
एक साथ पड़ रहे हैं दोनों व्रत
इस साल शिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों एक साथ पड़ रहे हैं. इस तरह का योग साल में बहुत कम आता है. प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का व्रत पूर्व पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. शास्त्रों की मानें, तो इस दिन व्रती को शिवजी की पूजा करने के लिए मंदिर जाना चाहिए और पूरी विधि के साथ पूजा करनी चाहिए.
जानें मासिक शिवरात्रि व्रत कथा
मासिक शिवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है. साल में कुल 12 मासिक शिवरात्रि व्रत होते हैं. शास्त्रों की मानें, तो कई हजार वर्ष पहले गंगा नदी के किनारे एक छोटे से गांव में एक गरीब ब्राह्मण थे. उनका नाम शुभकर था. वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. शुभकर का जीवन अत्यंत कठिनाइयों से भरा हुआ था. इसके बाद भी शिव के प्रति उनकी निष्ठा कम नहीं हुई. एक दिन, वे अपने गांव के पुराने शिव मंदिर में गए और वहां एक साधू बाबा को बैठे हुए देखा.
कैसे पाई जाए शिवजी की कृपा?
साधू बाबा से मिलकर शुभकर ने पूछा कि शिवजी की कृपा कैसे पाई जाए. जवाब में साधु ने उन्हें एक विशेष व्रत के बारे में बताया, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है. उन्होंने शुभकर से कहा कि महीने की चौथी तिथि को शिवरात्रि व्रत का पालन करना और शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है. शुभकर ने उस साधु की सीखों का पालन किया और प्रतिमाह मासिक शिवरात्रि का व्रत करने लगा. धीरे-धीरे उनकी कठिनाइयां दूर होने लगीं और उसका जीवन सुख-शांति से भरने लगा.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)