नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने हिंदुत्व के दिवंगत विचारक वी. डी. सावरकर का अपमान करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर रविवार को निशाना साधा और दावा किया कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक बार जेल से छूटने के लिए ''माफी'' मांगी थी. ‘मोदी उपनाम’ को लेकर की गयी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से माफी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मांग के बीच गांधी ने पलटवार करते हुए कहा था, 'मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है और गांधी किसी से माफी नहीं मांगते.'
राहुल गांधी कभी भी सावरकर नहीं बन सकते- केंद्रीय मंत्री
‘मोदी उपनाम’ से जुड़ी टिप्प्णी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ दायर एक आपराधिक मानहानि मामले में सूरत की अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी, और अगले ही दिन उन्हें लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी कभी भी सावरकर नहीं बन सकते, क्योंकि इसके लिए जेल में अपार बलिदान और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ठाकुर ने कहा, 'यदि आप किसी का सम्मान नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम उनका अपमान न करें. गांधी का दावा है कि वह माफी नहीं मांगते हैं, लेकिन (23 मार्च के सूरत की अदालत के आदेश के खिलाफ) अपील में जा रहे हैं.'
'नाभा जेल में नेहरू को लिखना पड़ा था एक माफीनामा'
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए, ठाकुर ने दावा किया कि देश के पहले प्रधानमंत्री और राहुल के परदादा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंजाब में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद एक आंदोलन के लिए गिरफ्तार होने के बाद जेल से बाहर निकलने के लिए बॉण्ड जमा किया था.
ठाकुर ने दावा किया कि नाभा जेल में हुई परेशानियों के चलते नेहरू को एक 'माफीनामा' लिखना पड़ा था, जिसमें कहा गया था कि वह किसी भी आंदोलन में भाग लेने के लिए इस क्षेत्र में वापस नहीं आएंगे. नाभा जेल में एक पट्टिका के अनुसार, नेहरू, के. संतनम और ए.टी. गिडवानी को 22 सितंबर, 1923 को नाभा रियासत में प्रवेश करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
अनुराग ठाकुर ने गांधी को उनकी ‘कभी माफी नहीं मांगने’ वाली टिप्पणी पर भी तंज कसा और याद दिलया कि कांग्रेस नेता ने 2018 में (‘चौकीदार चोर है’ वाली टिप्पणी के लिए) शीर्ष अदालत से माफी मांगी थी. सम्मेलन का आयोजन स्वतंत्रता सेनानी और लोकमत मीडिया समूह के संस्थापक जवाहरलाल दर्डा की जन्म शताब्दी और लोकमत नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर किया गया था. गौरतलब है कि लोकमत के संस्थापक जवाहरलाल दर्डा को प्यार से 'बाबूजी' के नाम से जाना जाता था.
(इनपुट- भाषा)
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