मोसाद का वो जासूस, जिसके शव को 60 साल बाद भी ढूंढ रहा इजरायल, जानें- क्यों था खास?

Mossad Spy: सीरिया के कुछ हिस्सों में असद शासन के पतन ने बातचीत के लिए नए अवसर पैदा किए हैं. ऐसे में मोसाद निदेशक डेविड बार्निया सहित इजरायली अधिकारी सीधे तौर पर सीरिया से बातचीत में शामिल हो गए हैं. आखिर क्या मामला है?  

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Feb 2, 2025, 06:21 PM IST
मोसाद का वो जासूस, जिसके शव को 60 साल बाद भी ढूंढ रहा इजरायल, जानें- क्यों था खास?

Eli Cohen: व्यवसायी कामेल अमीन थाबेट 1962 में सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचे. उन्होंने भव्य पार्टियां कीं, शहर के सामाजिक अभिजात वर्ग का हिस्सा बन गए और जल्द ही देश के सबसे शक्तिशाली लोगों तक पहुंच बना ली. तीन साल बाद, उन्हें दमिश्क के मध्य में मरजेह स्क्वायर में सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई. क्यों? क्योंकि कामेल थाबेट एली कोहेन थे, जो इजरायल के मोसाद के लिए काम करने वाले एक कुलीन जासूस थे.

हालांकि, अब जहां 60 साल पहले मौत पाए जासूस को इजरायली अधिकारी कोहेन के शव को बरामद करने के प्रयास तेज कर रहे हैं. इजरायल के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में से एक के रूप में जाने जाने वाले कोहेन ने सीरिया के राजनीतिक और सैन्य अभिजात वर्ग में घुसपैठ की, जिससे 1967 के छह दिवसीय युद्ध में इजरायल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी मिली. 

दशकों के प्रयासों के बावजूद, कोहेन को जहां दफन किया गया, वहां का स्थल का स्थान अज्ञात है. सीरियाई अधिकारियों ने उनके शव को वापस ना देने के मकसद से कई बार उनका शव दूसरी जगह शिफ्ट किया.

कोहेन का जन्म 1924 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में मिस्र के यहूदियों के परिवार में हुआ था. 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद, कोहेन का परिवार नए स्थापित इजरायल में आकर बस गया. कोहेन खुद भी 1957 में वहां बस गए.

मोसाद में कब हुई भर्ती?
इजरायली सैन्य खुफिया विभाग में सेवा देने के बाद, कोहेन को 1960 के दशक की शुरुआत में मोसाद द्वारा भर्ती किया गया था. अरबी, स्पेनिश और फ्रेंच में उनकी पकड़ का उपयोग करते हुए, मोसाद ने कोहेन के लिए एक विस्तृत कवर पहचान तैयार की. वह कामेल अमीन थाबेट बन गए, एक सीरियाई व्यवसायी जिसका परिवार अर्जेंटीना में बस गया था. कोहेन ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires) चले गए, जहां उन्होंने खुद को अरब और सीरियाई प्रवासियों के बीच स्थापित किया, विश्वास और पहुंच हासिल की जो बाद में उनके मिशन के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई.

1962 में, कोहेन अपनी छद्म पहचान के साथ दमिश्क चले गए, जहां वे सीरियाई समाज में जल्दी ही प्रमुखता से उभरे. प्रभावशाली राजनीतिक और सैन्य हस्तियों की मौजूदगी वाली भव्य पार्टियों की मेजबानी करने के लिए जाने जाने वाले कोहेन ने इन समारोहों का इस्तेमाल बहुमूल्य खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए किया.

उनके प्रयासों से गोलान हाइट्स में सीरियाई किलेबंदी के बारे में विस्तृत जानकारी मिली, जिसने बाद में छह दिवसीय युद्ध में इस क्षेत्र पर इजरायल के कब्जे में मदद की.

आखिरकार पकड़ा गया जासूस
हालांकि, कोहेन की जासूसी गतिविधियां 1965 में अचानक बंद हो गईं. सीरियाई खुफिया एजेंसियों ने सोवियत संघ की सहायता से इजरायल को भेजे गए उनके गुप्त रेडियो प्रसारण की पहचान की. 24 जनवरी, 1965 को सीरियाई अधिकारियों ने उनके घर पर छापा मारा. कोहेन को गिरफ्तार किया गया, उन पर मुकदमा चलाया गया और जासूसी का दोषी पाया गया.

शव का ठिकाना विवाद का विषय
क्षमादान के लिए अंतरराष्ट्रीय दलीलों के बावजूद, कोहेन को 18 मई, 1965 को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया गया. कोहेन की फांसी के बाद से ही उनके शव का ठिकाना विवाद का विषय रहा है. सीरिया ने लगातार उनके शव को वापस लाने के इजरायली अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया है, कैदियों के आदान-प्रदान के कई प्रस्तावों को खारिज कर दिया है. सीरियाई अधिकारियों ने इजरायल के शव को वापस लाने के प्रयासों को विफल करने के लिए कई बार शव को दूसरी जगह ले जाने की बात स्वीकार की है.

वहीं, 2018 में, मोसाद ने सीरिया से कोहेन की घड़ी को सफलतापूर्वक वापस पा लिया. अब जहां सीरिया के कुछ हिस्सों में असद शासन के पतन ने बातचीत के लिए नए अवसर पैदा किए हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया सहित इजरायली अधिकारी असद सरकार के पूर्व सदस्यों के साथ सीधे बातचीत में शामिल हैं. ऐसी रिपोर्ट हैं कि ये चर्चाएं रूसी मध्यस्थों द्वारा संचालित की जा रही हैं.

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