नई दिल्ली: Defence Budget of India: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश कर दिया है. यह मोदी 3.0 का पहला बजट है. इसमें रक्षा क्षेत्र के बजट में भी मामूली बढ़ोतरी की गई है. हालांकि, रक्षा बजट का GDP में कुल हिस्सा बीते साल के मुकाबले 0.01% कम हुआ है. ये पहले से ही अनुमानित था कि इस बार मोदी सरकार रक्षा बजट में कुछ खास वृद्धि नहीं करने वाली. आइए, जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण माने जा रहे हैं.
इतना हुआ भारत का रक्षा बजट
रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार ने 6.81 लाख करोड़ रुपये के बजट दिया है. यह GDP का 1.91% है. पिछले साल रक्षा बजट 6.22 लाख करोड़ रुपये था. ये तब की GDP का 1.92% था. यानी इस साल रक्षा बजट 9.5% के करीब बढ़ा है.
भारत के रक्षा बजट में खास बढ़ोतरी क्यों नहीं?
एक्सपर्ट्स की राय है कि भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है. भारत खुद ही अपने हाईटेक हथियार बना रहा है. भारत रक्षा सौदों में निर्यात भी कर रहा है. इसका मतलब ये है कि भारत अब अपने दम पर रक्षा उपकरण तैयार कर रहा है, इसलिए डिफेंस सेक्टर में भारत को अत्याधिक बजट की जरूरत नहीं पड़ी. ये भी मुमकिन है कि सरकाए फिस्कल डेफिसिट को कम करने की कोशिश कर रही है. इसके लिए रक्षा बजट में अधिक वृद्धि नहीं की गई हो, ताकि सरकार का वित्तीय संतुलन बना रहे.
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा बजट
दुनिया में चीन, अमेरिका और रूस के बाद चौथा सबसे बड़ा डिफेंस बजट भारत का ही है. भारत के डिफेंस बजट का बड़ा हिस्सा मॉडर्नाइजेशन और आर्म्ड फोर्स पर्सनल पर खर्च किया जाता है. जबकि बाकी तीनों देश साइबर वारफेयर और एआई आधारित एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के लिए बजट का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल करते हैं.
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