IND vs NED Live: सिख दंगों में छोड़ना पड़ा था भारत, अब नीदरलैंड्स के लिये विश्वकप खेल रहा ये भारतीय

Ind vs Ned Live T20 World Cup: पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में जीत हासिल करने के बाद भारतीय टीम आज अपना दूसरा मुकाबला नीदरलैंड्स के खिलाफ खेलने उतरेगी, जहां पर हरप्रीत के बेटे विक्रमजीत बतौर ओपनर के रूप में खेलते नजर आएंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 27, 2022, 12:55 PM IST
  • पांच साल की उम्र में नीदरलैंड पहुंचे थे विक्रमजीत सिंह
  • नीदरलैंड में भेदभाव का शिकार हुआ था विक्रमजीत सिंह का परिवार
IND vs NED Live: सिख दंगों में छोड़ना पड़ा था भारत, अब नीदरलैंड्स के लिये विश्वकप खेल रहा ये भारतीय

Ind vs Ned Live T20 World Cup: 1984 में जब भारत में सिख सुमदाय को दंगों की आग ने घेर लिया था तब एक सर्द रात के दौरान खुशी चीमा अपने घर पहुंचे और अपनी पत्नी को सामान बांधने को कहा. उसी दिन इस सिख परिवार ने जालंधर के पास स्थित चीमा गांव खुर्द से दिल्ली के लिये ट्रेन ली. जब यह घटना हो रही थी तो हरप्रीत महज 5 साल के थे और 52 किमी की इस यात्रा में अपने पिता से एक ही सवाल बार-बार कर रहे थे कि वो कहां जा रहे हैं. जवाब में उन्हें सिर्फ मुस्कान ही मिली.

नीदरलैंड्स की ओर से खेलने वाले पहले सिख खिलाड़ी हैं विक्रमजीत सिंह

आप इस कहानी को शायद अब तक समझ नहीं पा रहे हैं कि यह किसकी है और क्यों इसे सुनाया जा रहा है. दरअसल यह कहानी नीदरलैंड्स की टीम में चुने गये पहले सिख खिलाड़ी विक्रमजीत सिंह के परिवार की है जिन्हें दंगों के दर्दनाक अनुभव के चलते 80 के दशक में भारत छोड़ना पड़ा था. 19 वर्षीय विक्रमजीत सिंह का जन्म नीदरलैंड्स में ही हुआ और अब वो नीदरलैंड्स की ओर से खेलने वाले पहले सिख खिलाड़ी बन चुके हैं जिन पर पारी का आगाज करने की जिम्मेदारी है.

पांच साल की उम्र में नीदरलैंड पहुंचे थे विक्रमजीत सिंह

विक्रमजीत सिंह के पिता हरप्रीत ने अपने परिवार के संघर्ष और बेटे के इस मुकाम को हासिल करने की कहानी सुनाई है. मौजूदा समय में खुशी चीमा जालंधर वापस आकर फिर से खेती कर रहे हैं तो वहीं पर हरप्रीत एमस्टेलविन में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते हैं.

हरप्रीत ने कहा,'मैं वो रात और उसकी अगली सुबह को कभी भी नहीं भूल सकता, यह ऐसा है जैसे कि कल ही हुआ था. मेरे पिता ने वो फैसला परिवार को सुरक्षित रखने के लिये लिया था क्योंकि उस समय पंजाब में अशांति छाई हुई थी. मैं सिर्फ 5 साल का था जब मैं नीदरलैंड्स पहुंचा था. यह हमारे लिये काफी मुश्किल था क्योंकि हमें यहां कि भाषा नहीं आती थी, संस्कृति काफी अलग थी और मुझे यहां बसने में काफी समय लगा.'

नीदरलैंड में भेदभाव का शिकार हुआ था विक्रमजीत सिंह का परिवार

हरप्रीत ने आगे बात करते हुए बताया कि शुरुआती दिनों में उनके परिवार को अपने रंग, पगड़ी और दाढ़ी की वजह से काफी भेद-भाव का भी सामना करना पड़ा था. लेकिन चीजें धीरे-धीरे ठीक हो गई जो कि यहां पर टैक्सी चलाते थे और आगे चलकर एक ट्रांसपोर्टेशन कंपनी भी शुरू की और 2000 में मुझे सौंप कर वापस चले गये.

टीम इंडिया का दूसरा मुकाबला नीदरलैंड से 

पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में जीत हासिल करने के बाद भारतीय टीम आज अपना दूसरा मुकाबला नीदरलैंड्स के खिलाफ खेलने उतरेगी, जहां पर हरप्रीत के बेटे विक्रमजीत बतौर ओपनर के रूप में खेलते नजर आएंगे. विक्रमजीत को अपने पिता की तरह परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा है. महज 11 साल की उम्र में विक्रमजीत एक अंडर-12 टूर्नामेंट का हिस्सा बने थे जहां पर नीदरलैंड्स की टीम के कप्तान पीटर बोरैन ने इस युवा खिलाड़ी के साथ घंटों समय बिताया. जिसके बाद बीट ऑल स्पोर्ट्स की स्पॉन्सरशिप भी मिल गई जो कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह के बल्ले बनाने का काम करती है. 15 की उम्र में वो नीदरलैंड्स ए की साइड में चयन हुआ और दो साल बाद सीनियर टीम के लिये डेब्यू कर दिया.

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