Virginia Hall: एक पैर वाली महिला जासूस, जिससे खौफ खाता था तानाशाह हिटलर!

Who Was Virginia Hall: अमेरिका और ब्रिटेन के लिए जासूसी करने वाली वर्जीनिया हॉल का नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है. वर्जीनिया हॉल ऐसी जासूस थीं, जिनका एक पैर नकली था. विकलांग होने के कारण वे डिप्लोमेट नहीं बन पाई थीं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 9, 2025, 05:51 PM IST
  • वर्जीनिया हॉल फेमस जासूस थीं
  • उनकी एक टांग नकली थी
Virginia Hall: एक पैर वाली महिला जासूस, जिससे खौफ खाता था तानाशाह हिटलर!

The Limping Lady का खौफ
ये वो जमाना था जब क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर का खौफ हुआ करता था. हर कोई हिटलर के नाम को सुनते ही कांपा करता था. लेकिन हिटलर भी एक लड़की से खौफ खाता था, जिसकी एक ही टांग थी. इस लड़की का नाम वर्जीनिया हॉल था. जर्मनी के नाजी इसे The Limping Lady यानी नाजियों का खौफ कहा करते थे.

डिप्लोमेट बनना था सपना
जासूस वर्जीनिया हॉल का एक टांग नकली था. एक दुर्घटना में वर्जीनिया ने अपना एक टांग खो दिया था. फिर उन्होंने लड़की का टांग बनवाया, जिसे वे लगाकर रखती थीं. वर्जीनिया का सपना था कि वे एक नामी डिप्लोमेट बनेंगी. इसके लिए उन्होंने अमेरिका में अप्लाई किया, लेकिन विकलांग होने के चलते वह अपना सपना साकार नहीं कर सकीं. फिर वे फ्रांस पढ़ने चलीं गईं. इस शहर से उन्हें ऐसी मोहब्बत हुई कि द्वितीय युद्ध के दौरान जर्मनी का कब्जा हुआ, तो भी वह लोगों की मदद करती थीं. लोगों की मदद करने के खातिर वर्जीनिया ने एम्बुलेंस चलाना भी सीखा था.

जर्मनी ने बताया 'सबसे खतरनाक जासूस'
वर्जीनिया हॉल ने ब्रिटेन की Special Operations Executive (SOE) के लिए काम किया. फिर अमेरिका की Office of Strategic Services (OSS) के लिए भी काम किया था. शुरुआत में वर्जीनिया ने SOE के जासूस के रूप में फ्रांस की राजधानी पेरिस से काम करना शुरू किया. वह एक रिपोर्टर के तौर पर नौकरी करती थीं. तब जर्मनी ने पूरे फ्रांस वर्जीनिया के पोस्टर लगा दिए थे. इनमें लिखा था- 'सबसे खतरनाक जासूस', जिसे मारना है. कहते हैं कि वर्जीनिया के कारनामों से हिटलर भी खौफ खाता था.

रूप बदलने में माहिर
ऐसा कहा जाता है कि वर्जीनिया हॉल एक दिन में चार-चार रूप बदल लेती थीं. चारों ही रूपों के कोड नेम अलग हुआ करते थे. वर्जीनिया ने जर्मन नाजियों के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी. उन्होंने फ्रांस के लड़कों को इकठ्ठा कर फ्रांस में रह रहे नाजी जर्मन के खिलाफ मोर्चा खोला था. सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद वर्जीनिया हॉल को 'Distinguished Service Cross' का खिताब दिया गया.

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