Bihar Mysterious Cave: भारत में शक्तिशाली और धनी राजाओं और सम्राटों का शासन रहा है और इनमें से कई सम्राटों ने देश के विभिन्न हिस्सों में खजाने को छोड़ दिया, जो कि छिपा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के प्राचीन नालंदा जिले में एक ऐसी जगह मौजूद है जहां एक रहस्यमयी गुफा में खजाना दबा हुआ है.
बिम्बिसार का खजाना
स्थानीय जानकारों के अनुसार, नालंदा के प्राचीन शहर राजगीर में एक रहस्यमयी गुफा में एक खजाना छिपा हुआ है, लेकिन यह गुफा सैकड़ों वर्षों से बंद है, जिससे इस प्रसिद्ध खजाने तक पहुंचना लगभग असंभव हो गया है. दावा है कि यह खजाना राजा बिम्बिसार का है, जो 540 ईसा पूर्व में मगध साम्राज्य के एक धनी सम्राट थे, जिन्होंने हर्यंका राजवंश की स्थापना की, जिसने 544 ईसा पूर्व से 413 ईसा पूर्व तक प्राचीन भारतीय राज्य पर शासन किया.
बेटे ने पिता की हत्या की
जानकारों के अनुसार, राजा बिम्बिसार ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अपनी अधिकांश संपत्ति गरीबों में बांट दी, जिससे उनके बेटे अजातशत्रु को गुस्सा आया और उसने अपनी विरासत से ठगा हुआ महसूस किया और अंततः अपने पिता की हत्या करके उनकी संपत्ति पर अपना दावा ठोक दिया.
हालांकि, अजातशत्रु के सोने को हथियाने से पहले ही बिम्बिसार की पत्नी ने गुप्त रूप से इसे वैरा देवन नामक एक जैन भिक्षु को सौंप दिया. साथ ही खजाने को गुफाओं में छिपा दिया और इसे 'जादुई ताले' से बंद कर दिया. माना जाता है कि बिम्बिसार का खजाना बिहार के सोन भंडार गुफाओं में छिपा है, जो राजगीर में वैभर पहाड़ियों के तल पर स्थित है.
सोने और अन्य कीमती सामानों के अलावा, रानी ने अपने गहने भी भिक्षु को दे दिए, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह बिम्बिसार के छिपे हुए खजाने में शामिल है.
बिम्बिसार के छिपे हुए खजाने को खोजने के प्रयास
सदियों से, खजाने की खोज करने वालों ने बिम्बिसार के छिपे हुए खजाने को खोजने के लिए सैकड़ों प्रयास किए हैं, जिनमें अंग्रेज भी शामिल हैं, जिन्होंने दीवारों को विस्फोटकों से उड़ाकर पौराणिक गुफाओं में जबरन घुसने की कोशिश भी की.
हालांकि, दावा है कि गुफाओं में प्रवेश एक 'जादुई ताले' से बंद है और गुफाओं में एक शिलालेख है जिसमें खजाने तक पहुंचने के लिए आवश्यक तथाकथित 'पासवर्ड' है. दिलचस्प बात यह है कि अभी तक कोई भी शिलालेख को नहीं समझ पाया है. कई लोगों का मानना है कि केवल राजा बिम्बिसार ही गुफाओं तक पहुंचने का रास्ता जानते थे और जाहिर तौर पर अब इस रहस्य को वे अपने साथ ही ले गए.
आर्कियोलॉजिस्ट के अनुसार, सोन भंडार गुफाएं तीसरी या चौथी शताब्दी की मानी जाती हैं और ये भारत में बची हुई आखिरी काटी हुई चट्टानों वाली गुफाएं हैं.
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