नई दिल्ली: कबूतरों को जासूसी के मामले में हमेशा ही सबसे बेहतर माना गया है. प्राचीन काल से कबूतरों का इस्तेमाल जासूस के तौर किया जाता रहा है. आज भी कबूतरों को इस मामले में बहुत होशियार माना जाता है. हालांकि, 2023 में एक कबूतर को जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. माना जा रहा था कि वह चीन के लिए भारत की जासूसी करने आया था. इस कबूतर को वेटरनरी हॉस्पिटल में रखा गया था. बाई सकरबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल फॉर एनिमल्स ने इस कबूतर को रिहा करने की भी मांग की थी.
पुलिस को मिले थे ये सबूत
जब इस इस कबूतर को पकड़ा गया तब इसके एक पंजे पर तांबे और दूसरे में एल्युमीनियम का छल्ला बंधा हुआ था. इसके अलावा पंखों के नीचे चीनी भाषा जैसी लिपि में कुछ लिखा हुआ था. इस कबूतर ने मुंबई की RCF (राष्ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर) थाना पुलिस चेंबूर के पीर पाउ जेट्टी ने पकड़ा था. पहले RCF को लगा कि इस कबूतर को चीन की तरफ से भेजा गया है, ताकि वह भारत की जासूस कर सके. ऐसे में कबूतर के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई.
हो गई थी गलतफहमी
हालांकि, इस दौरान कबूतर के खान-पान का पूरा ख्याल रखा गया था. उसे मुंबई के एक वेटरनरी हॉस्पिटल में रखा. दूसरी ओर जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि वह कबूतर चीन से नहीं, बल्कि ताइवान से आया था. बाद में पुलिस ने मामले की गुत्थी सुलझाते हुए बताया था कि ताइवान में कबूतरों की एक रेस का आयोजन किया गया था, जिसमें वह कबूतर उस रेस में शामिल हुआ था और उड़ते हुए भारत पहुंच गया और RCF की उस पर नजर पड़ गई.
8 महीने रहा कैद
जब पुलिस ने उसके पंजों पर छल्ले और चीनी भाषा से कुछ लिखा देखा तो वह उसे जासूस समझ बैठे और इसी गलतफहमी में 8 महीनों तक इसे वहीं कैद रखा गया. जब कबूतर को छोड़ गया तो उसकी मेडिकल कंडीशन बिल्कुल ठीक थी.
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