श्रीलंका पहुंचे चीन के 'जासूसी जहाज' पर भारत की आपत्ति क्यों बेवजह नहीं है, जानिए

भारत और अमेरिका की चिंताओं के बाद भी चीनी जासूसी जहाज 'युआन वांग 5' श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंच गया है. बैलेस्टिक मिसाइल और उपग्रहों का पता लगाने में सक्षम जहाज ‘युआन वांग 5’ स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा. यह 22 अगस्त तक वहीं रुकेगा.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 16, 2022, 06:57 PM IST
  • किसी देश की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगीः चीन
  • अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है गतिविधियां
श्रीलंका पहुंचे चीन के 'जासूसी जहाज' पर भारत की आपत्ति क्यों बेवजह नहीं है, जानिए

नई दिल्लीः भारत और अमेरिका की चिंताओं के बाद भी चीनी जासूसी जहाज 'युआन वांग 5' श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंच गया है. बैलेस्टिक मिसाइल और उपग्रहों का पता लगाने में सक्षम जहाज ‘युआन वांग 5’ स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा. यह 22 अगस्त तक वहीं रुकेगा. 

किसी देश की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगीः चीन
इसे लेकर चीन ने मंगलवार को कहा कि उसके उच्च तकनीक वाले अनुंसधान पोत की गतिविधियों से किसी देश की सुरक्षा प्रभावित नहीं होगी और उसे किसी तीसरे पक्ष द्वारा ‘बाधित’ नहीं किया जाना चाहिए.

श्रीलंका को वित्तीय मदद पर बचते दिखे चीनी प्रवक्ता
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन कहा कि 'युआन वांग 5' "श्रीलंका के सक्रिय सहयोग" से हंबनटोटा बंदरगाह पर "सफलतापूर्वक" पहुंच गया है. वांग भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका को वित्तीय सहायता देने संबंधी सवाल से बचते नजर आए. उन्होंने कहा कि जब जहाज पहुंचा तो श्रीलंका में चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग ने हंबनटोटा बंदरगाह पर स्वागत समारोह की मेजबानी की. 

अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप है गतिविधियां
हंबनटोटा बंदरगाह को बीजिंग ने साल 2017 में श्रीलंका से कर्ज के बदले में 99 साल के पट्टे पर ले लिया था. श्रीलंका के बंदरगाह पर पहुंचे इस पोत की प्रौद्योगिकी को लेकर भारत और अमेरिका की चिंताओं का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए वांग ने कहा, "मैं फिर से जोर देना चाहता हूं कि युआन वांग 5 की समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय सामान्य प्रक्रिया के अनुरूप है." 

उन्होंने कहा, "वे किसी भी देश की सुरक्षा और उसके आर्थिक हितों को प्रभावित नहीं करतीं तथा उसे किसी तीसरे पक्ष द्वारा बाधित नहीं किया जाना चाहिए."

बता दें कि श्रीलंका सरकार ने पोत में लगे उपकरणों को लेकर भारत और अमेरिका द्वारा चिंता व्यक्त किए जाने के बाद चीन सरकार से इस पोत को भेजने में विलंब करने को कहा था और अंततः उसने 16 से 22 अगस्त तक जहाज को बंदरगाह पर ठहरने की अनुमति दे दी. 

भारत की चिंताएं क्यों बेवजह नहीं
चीन के बयान के बाद भी जासूसी जहाज को लेकर क्यों भारत और अमेरिका की चिंताएं बेवजह नहीं हैं. इसकी वजह चालक दल के 2,000 से अधिक कर्मियों वाले इस जहाज में उपग्रहों और बैलिस्टिक मिसाइल का पता लगाने की क्षमता है. 

यह भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकता है. भारत ने ओडिशा के तट से दूर अब्दुल कलाम द्वीप पर मिसाइलों का परीक्षण किया है. यह भारतीय मिसाइलों की सीमा और सटीकता का पता लगा सकता है.

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