Bilaspur News: हिमाचल प्रदेश के प्रमुख जलाशयों में इस बार कार्प फिश की सर्वाधिक प्रोडक्शन हुई है. साल 2023-24 में 7,367 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था, वहीं वर्ष 2022-23 में 6767 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था.
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विजय भारद्वाज/बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के मुख्य जलाशयों में कार्प मछली का सर्वाधिक उत्पादन देखने को मिल रहा है. साल 2023-24 में 7,367 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन दर्ज किया गया, जो साल 2022-23 में कुल उत्पादन 6,767 मीट्रिक टन से 600 मीट्रिक टन ज्यादा है.
बता दें हिमाचल प्रदेश के मुख्य जलाशय पौंगडैम, गोविंद सागर झील, कोलडैम, चमेरा व रणजीत सागर में कार्प मछली का उत्पादन तो होता ही है साथ ही ठंडे क्षेत्र की नदियों व सहायक नदियों में भी कार्प मछली का उत्पादन होना और सरकारी व निजी फार्म में पौंडस बनाकर फार्मर द्वारा कार्प मछली का उत्पादन करना इस बार सर्वाधिक कार्प मछली के उत्पादन का हिस्सा रहा है.
मौजूदा समय में कार्प मत्स्य पालन से प्रदेश में करीब 2,600 मत्स्य किसान जुड़े हुए हैं. प्रदेश में कार्प बीज उपलब्ध करवाने के लिए सरकारी क्षेत्र में 7 मत्स्य कार्प फार्म हैं जो उच्च गुणवत्ता वाला मत्स्य बीज किसानों को उपलब्ध करवाते हैं. वहीं निजी क्षेत्र में 3 कार्यशील कार्प हैचरियां हैं जो मत्स्य किसानों को बीज उपलब्ध करवा रहे हैं.
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इसके साथ ही मत्स्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय मत्स्य मीठा जल ब्रूड बैंक भुवनेश्वर से मई 2024 में उन्नत अमूर कार्प किस्म का बीज खरीदा गया है, जिसे मत्स्य बीज फार्म नालागढ़ जिला सोलन व मत्स्य बीज फार्म गगरेट जिला ऊना में ब्रूड स्टॉक तैयार किया जा रहा है और आगामी वर्ष से मत्स्य किसानों को यह उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध करवाया जाएगा.
इसके साथ ही आगामी वर्ष में कार्प मत्स्य का उत्पादन और बढ़े इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाये जा रहे हैं, जिसके अंतर्गत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा की गई बजट घोषणा में मत्स्य पालन तालाब निर्माण के लिए 80 प्रतिशत अनुदान योजना को साल 2024-25 में संचालित किया गया है, जिससे 20 हैक्टेयर तालाब नवनिर्माण किया जाएगा और कुल लागत का 80 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में मत्स्य पालन विभाग हिमाचल प्रदेश द्वारा दिया जाएगा.
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मात्स्यिकी निदेशालय हिमाचल प्रदेश के निदेशक विवेक चंदेल ने जानकारी देते हुए बताया कि इंडियन मेजर कार्प के तहत कतला, रोहू, मृगल कार्प मछली शामिल हैं जबकि एग्जॉटिक कार्प में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प व मिरर कार्प मछलियां आती हैं, जिनका उत्पादन इस बार काफी बढ़ा है, जिसका मुख्य कारण सरकारी व निजी फार्म सहित पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों से उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध करवाना, ब्रीडिंग पीरियड के दौरान दो माह के मछली आखेट पर प्रतिबंध लगाना और इस दौरान फ्लाइंग स्कवायर्ड द्वारा 400 मामले अवैध शिकार के पकड़े जाने और 6 लाख रुपये से अधिक जुर्माना वसूलना यह दो मुख्य कारण रहे, जिससे वर्ष 2023-24 में कार्प मछली उत्पादन 600 मीट्रिक टन बढ़कर 7,367 मीट्रिक टन पहुंच गया है.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ मत्स्य किसानों को मिले और मछली उत्पादन के क्षेत्र में अधिक से अधिक मत्स्य किसान जुड़ें इसके लिए विभाग लगातार प्रयासरत है. आने वाले समय में प्रदेश के जलाशयों व नदियों में मिलने वाली कार्प मछली सहित अन्य मछलियों के उत्पादन को और अधिक बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा अधिक से अधिक प्रयास किये जायेंगे.
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