Halal Certificate Case: हलाल सर्टिफिकेट देने वाले चार इदारों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में केस दर्ज कराया गया था. जांच में हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिए प्रोडक्ट्स के बिना वेरिफिकेशन या लैब टेस्टिंग के बिना सर्टिफिकेट जारी करने का मामले सामने आया है.
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Halal Certificate Case: हलाल सर्टिफिकेट लेकर बवाल मचा हुआ है. कोई इसे सही बता रहा है, तो कोई इसे गलत. ये कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम उलेमा ही कह रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने हलाल सर्टिफिकट देने वालों को आड़े हाथों लिया है. वहीं, जमीयत उलेमा हिंद इसे सही करार दिया है.
दरअसल, उलेमा दो धरों में उस वक्त बंट गए जब STF ने हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनी "हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया" के चार पदाधिकारियों को मुंबई से अरेस्ट किया. गिरफ्तार किए गए चारों लोगों ने पूछताछ के दौरान मदनी का नाम लिया. मौलाना मदनी का नाम हलाल सर्टिफिकेट मामले में आने के बाद यूपी STF ने उन्हें, नोटिस भेजकर एसटीएफ हेडक्वार्टर तलब किया था, जहां उनसे घंटों तक पूछताछ की गई. मदनी पर इलजाम है कि उन्होंने सही जबाव नहीं दिया.
मदनी नहीं दे पाए जवाब
जांच में हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिए प्रोडक्ट्स के बिना वेरिफिकेशन या लैब टेस्टिंग के बिना सर्टिफिकेट जारी करने का मामले सामने आया है. परिषद के फाइनेंशियल रिकॉर्ड में खर्च और एक्सपेंडेचर को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए हैं, जिनपर मदनी से पूछताछ की गई थी, जिसका उन्होंने सही सही जवाब नहीं दिया था.
सूत्रों के मुताबिक, STF ने मौलाना से पूछा था कि हर सर्टिफिकेट के लिए 10 हज़ार फीस और हर एक उत्पाद के लिए एक हज़ार रुपये क्यों लिए जाते थे? इस बारे में जो तथ्य बताए थे वह सही नहीं पाए गए. जबकि दूसरे सवाल मे STF ने पूछा था कि आपको पता है कि प्रमाण पत्र देना गैर-कानूनी है, तो किस बुनियाद पर प्रमाण पत्र दिया गया. इस पर मौलाना ने कहा था कि अधिकृत तरीके से ही सर्टिफिकेट दिया गया है, लेकिन वह इस पर कोई तर्क नहीं दे पाए थे.
रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में पाया गया था कि हलाल सर्टिफिकेट बांटने से होने वाली कमाई को कई कंपनियों में डायवर्ट किया गया, जिनमें से कई शेल कंपनियां होने की आशंका जताई जा रही है. इसके बारे में भी मौलाना से पूछा गया था, लेकिन जांच में कई तथ्य सही नही पाए गए.
इन लोगों की हुई है गिरफ्तारी
इस मामले का खुलासा होने के बाद हजरतगंज कोतवाली में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली इदारों चेन्नई की हलाल इंडिया प्रा. लि., दिल्ली की जमीयत उलेमा-ए- हिंद, मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा महाराष्ट्र के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. इसके बाद इनके चार अफसरों मौलाना मुदस्सिर, हबीब यूसुफ पटेल, अनवर खान और मोहम्मद ताहिर को एसटीएफ ने अरेस्ट किया था.
AIMJ ने की कार्रवाई की मांग
हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली इदारों को ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के नेशनल प्रेसिडेंट मौलाना शहाबुद्दीन ने आड़े हाथों लिया है. उनका कहना है की हलाला शरीयत का एक तरीका है कि सही और गलत को साबित करने के लिए सर्टिफिकेट देना. लेकिन सिर्फ चंद रुपए के लिए एक कागज के टुकड़े को हलाल सर्टिफिकेट बनाकर देना बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा जो भी इदारे ऐसा कर रही हैं वह मुजरिम है. जमीयत उलेमा ए-हिंद के चीफ मौलाना मोहम्मद असद मदनी पर पूछताछ के मामले में मौलाना शहाबुद्दीन का कहना है कि यह कानूनी बात है, जिसके तहत उनसे पूछताछ की जा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि जिनसे पूछताछ की जा रही है वह अपना पक्ष भी मजबूती से रखेंगे. उन्होंने हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वालों को कार्रवाई की मांग की है.
STF की पूछताछ सियासत से प्रेरित; सिराजुद्दीन खान
वहीं, जमीयत के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद असद मदनी से पूछताछ पर मौलाना सिराजुद्दीन खान ( अध्यक्ष जमीयत उलामा ए हिंद, यूपी ) ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि UP में जिस तरह से चुनाव के चरण बीत रहे हैं उससे लगता है की मत इंडिया आघाड़ी के पक्ष में जा रहा है. इस कारण से मौलाना साहब को बुलाकर पूछताछ की जा रही है. यह सियासत से प्रेरित है और कुछ नहीं. हलाल सर्टिफिकेट मुस्लिम मजहब के लिए इश्यू किया जाता है तो भला इससे किसी को क्या दिक्कत हो सकती है. गल्फ देशों में भी इसे माना जाता है.