Shab-e-Baraat 2025: अरबी महीने शाबान के बाद आने वाला रमजान का महीना भी मुसलमानों के लिए काफी खास माना जाता है. इस महीने में सभी मुसलमान 30 दिनों तक रोजा रखते हैं, जिसमें वे सूर्योदय से पहले खाना खाते हैं और फिर सूर्यास्त के बाद कुछ समय तक कुछ नहीं खाते, यहां तक कि पानी भी नहीं पीते.
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Shab-e-Baraat 2025: मुसलमानों के सबसे पाक महीने रमजान से पहले शाबान का चांद आज यानी 30 जनवरी 2025 को देखा गया. इसी महीने में शब-ए-बारात भी मनाई जाती है. ऐसे में चांद दिखने के बाद शब-ए-बारात का दिन भी तय हो गया है. इस साल शब-ए-बारात 13 फरवरी को होगी.
शब-ए-बारात के दिन क्यों लोग करते हैं इबादत
शाबान महीने की 15वीं रात को शब-ए-बारात कहते हैं. इस रात अल्लाह अपने बंदों को उनके गुनाहों से माफ कर देता है. कई हदीसों में इस बात का जिक्र है कि शब-ए-बारात की रात दुनिया में रहने वाले लोगों का इंसाफ होता है. अगर कोई व्यक्ति इस दिन अपने गुनाहों से तौबा कर लेता है तो उसके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. ऐसे में इस्लाम में इस रात का काफी महत्व है और यही वजह है कि ज्यादातर मुसलमान पूरी रात जागकर खुदा की इबादत करते हैं.
रोजा रखने का है रिवाज
शब-ए-बारात पर मुस्लिम समुदाय में दो दिन तक रोजा रखने का भी रिवाज है. पहला रोजा शब-ए-बारात के दिन और दूसरा उसके अगले दिन रखा जाता है। यह रोजा अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसे नफिल रोजा कहा जाता है. कहा जाता है कि इस दिन रोजा रखने से व्यक्ति के पिछले शब-ए-बारात से लेकर इस शब-ए-बारात तक के सभी गुनाह माफ हो जाते हैं.
कब होगा रमजान का चांद का दीदार
वहीं शब-ए-बारात के बाद रमजान की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. क्योंकि शाबान महीने के बाद दिखने वाला चांद ही रमजान के पाक महीने का चांद होता है. इस साल रमजान का पहला रोजा 28 फरवरी से शुरू हो सकता है. ऐसे में भारत और आसपास के देशों में चांद 27 फरवरी को दिखेगा और पहला रोजा 28 फरवरी को हो सकता है. शर्त यह है कि अगर चांद दिख गया तो उसी दिन पहला रोजा रखा जाएगा.
क्यों खास है शाबान का महीना
अरबी महीने शाबान के बाद आने वाला रमजान का महीना भी मुसलमानों के लिए काफी खास माना जाता है. इस महीने में सभी मुसलमान 30 दिनों तक रोजा रखते हैं, जिसमें वे सूर्योदय से पहले खाना खाते हैं और फिर सूर्यास्त के बाद कुछ समय तक कुछ नहीं खाते, यहां तक कि पानी भी नहीं पीते. सभी मुसलमान रमजान के महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस महीने को क्षमा का महीना भी कहा जाता है.