JMI News: छात्र आंदोलन से डरा जामिया प्रशासन; अपनी ही छात्राओं की उछाल रहा इज्ज़त !
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2646606

JMI News: छात्र आंदोलन से डरा जामिया प्रशासन; अपनी ही छात्राओं की उछाल रहा इज्ज़त !

Jamia News: अभी हाल ही में 9 फरवरी को जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने कैम्पस के अन्दर अपनी कुछ मांगों को लेकर आन्दोलन किया था. इस आंदोलन को दबाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने विरोध- प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से 14 छात्रों को हिरासत में ले लिया था. अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है.

JMI News: छात्र आंदोलन से डरा जामिया प्रशासन; अपनी ही छात्राओं की उछाल रहा इज्ज़त !

Jamia News: यूनिवर्सिटीज सिर्फ छात्रों के ज्ञान और प्रशिक्षण का केंन्द्र नहीं होती हैं, बल्कि उनके अंदर स्वतंत्र चिंतन और नेतृत्व कौशल भी पैदा करती हैं. भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में यूनिवर्सिटीज और शैक्षणिक संस्थाएं लोकतंत्र की पहली पाठशाला होती हैं, जो अपने छात्रों को एक लोकतांत्रिक नागरिक बनाने का भी काम करती हैं. लेकिन अगर इन्हीं यूनिवर्सिटीज में अपने ही छात्रों की आवाज़, उनके अधिकार और आंदोलन को दबाया जाने लगे और उनके साथ किसी अपराधी जैसा व्यवहार किया जाने लगे तो फिर इन शैक्षणिक संस्थानों के अस्तित्व पर ही सवाल उठ जाता है, आखिर इनका क्या काम रह जाएगा?  

पिछले कई सालों से देश के विश्वविधालयों की रैंकिंग में टॉप 5 के अंदर रहने वाली देश की प्रतिष्ठित केंद्रीय यूनिवर्सिटी जामिया मिल्लिया इस्लामिया इन दिनों अपने छात्रों के कथित दमन के लिए सुर्ख़ियों में हैं. छात्रों का इल्ज़ाम है कि यूनिवर्सिटी कैंपस में उनकी आवाजों को लगातार दबाया जा रहा है. उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचला जा रहा है. यूनिवर्सिटी प्रशासन अपने छात्रों के साथ अपराधियों जैसा सुलूक कर रहा है. 

यह भी पढ़ें:- 'जामिया प्रतिरोध दिवस' मनाए जाने पर बवाल; विरोध- प्रदर्शन के बाद हिरासत में 10 छात्र

छात्र- छात्राओं की निजी जानकारी को कर रहा सार्वजनिक  

अभी हाल ही में 9 फरवरी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने कैंपस के अंदर अपनी कुछ मांगों को लेकर आंदोलन किया था. इस आंदोलन को दबाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने विरोध- प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से 14 छात्रों को हिरासत में ले लिया था. इनमें से कुछ छात्रों को सस्पेंड भी कर दिया गया है. छात्रों को सस्पेंड करने में ख़ास बात यह है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सस्पेंड किए गए छात्रों की पहचान को सार्वजनिक करते हुए उनके खिलाफ पोस्टर और पम्पलेट छपवाकर दीवारों पर चिपका दिया है. इनमें छात्र और छात्राएं सभी शामिल हैं. पोस्टर में छात्र और छात्रों के नाम, उनका कोर्स, उनका डिपार्टमेंट, रोल नंबर, उनकी ईमेल आईडी और घर का पूरा एड्रेस भी दिया गया है. 

fallback

क्या राइट टू प्राइवेसी का हुआ है हनन?
यूनिवर्सिटी के इस रवैये से स्टूडेंट्स में भारी आक्रोश है. स्टूडेंट्स इस बात से नाराज़ हैं कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उनका सार्वजनिक तौर पर चरित्र हनन कर रहा है. उनकी निजता का उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जामिया प्रशासन के उन अधिकारियों पर राइट टू प्राइवेसी के तहत मुकदमा चलेगा? क्योंकि राइट टू प्राइवेसी में साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती. अगर कोई ऐसा करता है तो वह कानून की नजर में अपराधी है. 

अगर किसी की निजी जानकारी सार्वजनिक की जाती है, तो वह व्यक्ति किसी भी तरह के खतरे में पड़ सकता है. खासकर फीमेल स्टूडेंट्स की जानकारी को सार्वजानिक कर यूनिवर्सिटी उनकी निजता को भंग कर उनके गरिमापूर्ण जीवन जीने के मौलिक अधिकारों का भी उलंघन कर रही है. अक्सर ऐसी कार्रवाई बड़े और पेशेवर अपराधियों के खिलाफ की जाती है, जब पुलिस उनके बारे में कोई सार्वजनिक सूचना जारी करती है. 

क्या अपराधी हैं छात्र ? 
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बड़े से बड़े अपराधी और बड़े से बड़े आतंकवादियों की जानकारी भी जल्दी सार्वजनिक नहीं की जाती है. फिर जामिया प्रशासन की क्या मंशा है कि इन छात्रों की जानकारी सार्वजनिक की जा रही है ?  ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ये सभी स्टूडेंट्स आतंकवादी हैं या फिर देश के लिए खतरा हैं? क्यों बच्चों की सार्वजनिक सूचना कैंपस में चस्पा कर दी गई है? 

विरोध-प्रदर्शन से नाराज़ रहता है यूनिवर्सिटी प्रशासन
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 14 स्टूडेंट्स को गुजिश्ता 12 फरवरी को उस वक़्त हिरासत में लिए गया था जब वो कैमपस में एक विरोध- प्रदर्शन का अओजन कर रहे थे. ये विरोध- प्रदर्शन पीएचडी के दो छात्रों पर विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद शुरू हुआ था.  रिसर्च के दो छात्रों को पिछले साल कैंपस में विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने के लिए ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा गया था, जिसके बाद छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस कदम की निंदा की थी. 

fallback

“जामिया प्रतिरोध दिवस” से डरता है यूनिवर्सिटी प्रशासन
छात्र मानते हैं कि यूनिवर्सिटी प्रशासन स्टूडेंट्स की आवाज़ को हर हाल में कुचलना चाहती है. अभी जो हालिया विवाद हुआ है, उसके पीछे भी यही विरोध- प्रदर्शन का मुद्दा है. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और NRC के खिलाफ 2019 में जामिया के स्टूडेंट्स ने बड़े पैमाने पर आंदोलन किया था, जिसने देश- दुनिया का ध्यान इस आंदोलन की तरफ खींचा था. इस आंदोलन को दबाने के लिए जामिया में दिल्ली पुलिस ने बड़े पैमाने पर हिंसा और बल प्रयोग की थी, जिसमें कई छात्र घायल हुए थे. 

इस आंदोलन के दौरान ही दिल्ली के जाफराबाद इलाके में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के बाद पुलिस ने जामिया के कई छात्रों को दंगों के लिए साजिश रचने का आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. इनमें कई स्टूडेंट्स आज भी जेल में हैं. जामिया के स्टूडेंट्स अपने साथियों से एकता दिखाने के लिए हर साल जामिया में हुए हमले की बरसी पर “जामिया प्रतिरोध दिवस” मनाते हैं. यूनिवर्सिटी को यही बात खटकती है. छात्र आंदोलन न करें इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में पुलिस और जवान भर दिए हैं.  

निजता का हो रहा है हनन
जामिया के छात्र नेता जीशान अहमद खान ने कहा कि जामिया प्रशासन ने सारी हदें पार करते हुए गेट पर नोटिस लगा दिया है जिसमें निष्कासित छात्रों की फोटो और पूरी जानकारी है. जामिया प्रशासन छात्रों के ईमेल, मोबाइल नंबर, पते और अन्य जानकारी कैसे सार्वजनिक कर सकता है? मेरा जामिया प्रशासन से सवाल है कि जिन छात्रों की फोटो और पूरी जानकारी दी गई है, अगर उनके साथ कोई घटना होती है तो क्या जामिया प्रशासन इस पर कोई प्रतिक्रिया देगा? जामिया ने निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए छात्रों की जानकारी सार्वजनिक की है, जो बेहद शर्मनाक है.

fallback

वहीं, एक और छात्र नेता प्रियांशु कुशवाहा ने कहा कि पहले धरने पर बैठे छात्रों को सस्पेंड किया गया, फिर दिल्ली पुलिस को कैंपस के अंदर भेजकर छात्रों को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया और अब गेट के बाहर उनकी तस्वीरें, फोटो, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी चिपकाकर कुल 17 प्रदर्शनकारी छात्रों की जान को खतरे में डाला गया है. यह निजता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है और जामिया प्रशासन के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने ये पोस्टर लगाए हैं.

जामिया के पूर्व छात्र शम्स अजीज ने कहा कि जामिया प्रशासन द्वारा छात्रों के नाम, पते और फोन नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी गेट पर सार्वजनिक रूप से चिपकाने का कदम बेहद शर्मनाक और चिंताजनक है. यह न केवल छात्रों की निजता का घोर उल्लंघन है, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है. इससे पहले भी जामिया में छात्र अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा ऐसा कदम पहली बार देखा गया है. जिस मुद्दे को छात्रों से संवाद करके सुलझाया जा सकता था, उसे बेवजह तूल दिया जा रहा है, जिससे एक शैक्षणिक संस्थान का माहौल अपराधीकरण की ओर बढ़ रहा है. यह एक सोची-समझी साजिश लगती है, जिसमें छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.

जामिया के पूर्व छात्र अंजर आफाक ने कहा कि जामिया प्रशासन छात्रों को डराने के लिए हर रोज नए-नए तरीके निकाल रहा है, लेकिन इस बार जामिया ने जो किया है, वह सरासर बेशर्मी है क्योंकि जिस तरह से उसने गेट पर नाम, पता और फोन नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक रूप से चिपकाई है, वह न केवल निजता का सरासर उल्लंघन है, बल्कि उन छात्रों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है. जिन लोगों ने भी छात्रों की जान से खिलवाड़ किया है, चाहे वह रजिस्ट्रार हों या चीफ प्रॉक्टर, उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए कि वे दोबारा ऐसी गलती करने की सोच भी न सकें, क्योंकि इससे पहले भी जामिया में कई विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन जिस तरह से प्रशासन ने इस बार विरोध प्रदर्शन को संभाला है, उससे पता चलता है कि वे इस मुद्दे को सुलझाना नहीं बल्कि इसे उलझाना चाहते हैं, जिसके कारण इस शैक्षणिक संस्थान का माहौल अपराधीकरण की ओर बढ़ रहा है, जो एक सोची समझी साजिश लगती है.

क्या है यूनिवर्सिटी प्रशासन का स्टैंड ?  
12 फरवरी को 14 स्टूडेंट्स को हिरासत में लेने के सवाल पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा है कि छात्रों के विरोध- प्रदर्शन से कैंपस की पढाई बाधित हो रही थी. आन्दोलाकारी छात्र क्लास करने आने वाले यूनिवर्सिटी के दूसरे स्टूडेंट्स को रोक रहे थे, जबकि आने वाले दिनों में सेमेस्टर के एग्जाम होने वाले हैं. ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन को ये अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी पड़ी. यूनिवर्सिटी ने कहा, "विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति 25 फरवरी को बैठक करेगी, जिसमें 15 दिसंबर 2024 को "जामिया प्रतिरोध दिवस" ​​के आयोजन में पीएचडी के दो छात्रों की भूमिका की समीक्षा की जाएगी." 

fallback

वहीं, स्टूडेंट्स की निजी जानकारी सार्वजनिक करने के सवाल पर जामिया प्रशासन का पक्ष जानने के लिए हमने संपर्क करने की कोशिश की है, लेकिन खबर प्रकाशित होने तक हमारा जामिया प्रशासन से संपर्क नहीं हो पाया हैं. जैसे ही जामिया प्रशासन का पक्ष आएगा, खबर अपडेट कर दी जाएगी.

Trending news