'मुसलमानों के वोटिंग अधिकार' वाले बयान से पलटे संत; कहा- "मुसलमान भारतीय नागरिक"
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'मुसलमानों के वोटिंग अधिकार' वाले बयान से पलटे संत; कहा- "मुसलमान भारतीय नागरिक"

Voting Rights to Muslims: हाल ही में कर्नाटक में वोक्कालिगा संत ने मुसलमानों के वोटिंग अधिकार के बारे में बयानबाजी की. लेकिन अब संत अपने बयान से पलट गए हैं. उनका कहना है कि उनकी जबान फिसल गई थी.

'मुसलमानों के वोटिंग अधिकार' वाले बयान से पलटे संत; कहा- "मुसलमान भारतीय नागरिक"

Voting Rights to Muslims: मुसलमानों के बारे में विवादित बयान देने के बाद, वोक्कालिगा संत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने बुधवार को कहा कि "मुसलमान भारतीय नागरिक हैं, किसी दूसरे देश के नहीं हैं." मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े किसान संगठन 'भारतीय किसान संघ' की तरफ से एक प्रोग्राम आयोजित किया गया. इस प्रोग्राम में विश्व वोक्कालिगा महासंघ मठ के प्रमुख चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा कि मुसलमानों को मताधिकार से वंचित किया जाना चाहिए."

वोटिंग का अधिकार
चंद्रशेखरनाथ स्वामी ने कहा था कि "राजनेता वोट बैंक की राजनीति और मुसलमानों का तुष्टिकरण करते हैं, इसलिए मुसलमानों से वोट देने का अधिकार छीना लेना चाहिए. ऐसा किया जाना चाहिए और वोट बैंक की राजनीति का अंत देश की प्रगति में मदद करेगा." हालांकि, कड़ी आलोचना के बाद, संत ने अपने बयान से पलटते हुए कहा, 'यह जुबान फिसलने से हुआ था.'

संत बयान से पलटे
संत ने मीडियाकर्मियों से कहा कि "फोरम का मकसद वक्फ बोर्ड से परेशान किसानों की परेशानियों को बताना था. इसलिए मैंने यह बयानबाजी की. यह जुबान फिसलने की वजह से हुआ. मुझे यह बयान नहीं देना चाहिए था. मुसलमान भारतीय नागरिक हैं, वे किसी दूसरे देश के नहीं हैं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस मामले को यहीं खत्म कर दें और इसे आगे न खींचें." 

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गृह मंत्री ने की आलोचना
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि संत ने संविधान और इसके अंतर्गत हर समुदाय और मजहब को दिए गए अधिकारों और अवसरों को ठीक से नहीं समझा है. राज्य के गृह मंत्री ने कहा, "संविधान में इन प्रावधानों का जिक्र है और इनके खिलाफ न तो बोलना उचित है और न ही कार्य करना. इस बात पर जोर दिया गया कि किसी को भी संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए." 

समाज कल्याण मंत्री ने दिया तर्क
समाज कल्याण मंत्री एच.सी. महादेवप्पा ने कहा कि अंग्रेजों के साथ गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधी सभी नागरिकों को वोट देने के खिलाफ थे. "बी.आर. अंबेडकर ने सभी के वोटिंग अधिकारों के लिए जोरदार ढंग से तर्क दिया और 'एक वोट, एक मूल्य' की अवधारणा को समझाया. अंबेडकर ने तब कहा था कि राजा महलों में जन्म लेते थे, लेकिन अब वे मतदान केंद्रों से जन्म लेंगे. उन्होंने कहा कि किसी को भी किसी समुदाय या नागरिक की मतदान शक्ति पर सवाल उठाने का हक नहीं है."

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