कौन हैं नोबेल विजेता मोहम्मद युनूस, जिन्हें बांग्लादेश का पीएम बनाने की उठी मांग, दर्ज हैं कई मामले
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कौन हैं नोबेल विजेता मोहम्मद युनूस, जिन्हें बांग्लादेश का पीएम बनाने की उठी मांग, दर्ज हैं कई मामले

Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बीच तख्तापलट हो गया है. पीएम शेख हसीना इस्तीफा देकर भारत आ गईं हैं. फिलहाल बांग्लादेश की कमान सेना संभाल रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग है कि नोबेल पुरुस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को देश का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाए. 

 

कौन हैं नोबेल विजेता मोहम्मद युनूस, जिन्हें बांग्लादेश का पीएम बनाने की उठी मांग, दर्ज हैं कई मामले

Muhammad Yunus Profile: बांग्लादेश इस वक्त भारी हिंसा का सामना कर रहा है. प्रधानमंत्री शेख हसीना आरक्षण विरोधी प्रदर्शन और हिंसक झड़पों के बीच अपने पद से इस्तीफा देकर भारत आ गईं हैं. देश में तख्तापलट हो गया है और बांग्लादेश की कमान फिलहाल सेना ने संभाल ली है.  इस बीच, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने अंतरिम सरकार बनाने के लिए संसद को भंग करने का ऐलान किया है. वहीं, छात्र आंदोलन के कोऑर्डिनेटर ने नोबल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को सरकार का मुख्य सलाहकार बनाने का आह्वान किया है.

आंदोलनकारी स्टूडेंट्स ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर मंगलवार तड़के सुबह इस प्रस्ताव की घोषणा की. उन्होंने वीडियो के जरिए बताया कि उन्होंने अंतरिम सरकार के लिए एक योजना की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस को चीफ बनाने का प्रस्ताव रखा है. एक रिपोर्ट के मुतबाकि इस प्रस्ताव को लेकर आर्मी चीफ आज 12 बजे स्टूडेंट्स से मिल सकते हैं. 

कौन हैं मोहम्मद यूनुस? ( Who is Muhammad Yunus )
मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून, 1940 को चटगांव में हुआ है.  वह बांग्लादेश में समेत विश्वभर में सामाजिक उद्यमी, एक बैंकर, एक अर्थशास्त्री और सामाजिक नेता के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें साल 2006 में इंटरनेशनल लेवल पर सबसे ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई थी. 

युनुस को ग्रामीण बैंक के माइक्रोक्रेडिट और माइक्रोफाइनेंस में अग्रणी काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नवाजा गया. युनुस के इस पहल ले ग्रामीण बैंक छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करती हैं. उन्होंने साल 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी. युनुस के इस गरीबी उन्मूलन के लिए गए कामों के लिए दुनियाभर में सराहना हुई थी.  क्योंकि इसकी वजह से बांग्लादेश में बड़ी संख्या में लोग जीवनस्तर के ऊपर उठाने में सफल हुए.

ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी के चांसलर समेत इन पदों पर रहे चुके हैं युनुस
इसके अलावा यूनुस ने साल 2012 से 2018 तक स्कॉटलैंड में ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में काम किया. वह इससे पहले चटगांव यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे.  उन्होंने ग्रामीण अमेरिका और ग्रामीण फाउंडेशन में भी अहम भूमिका निभाई है. साल 1998 से 2021 तक वह संयुक्त राष्ट्र फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य रहे.

अगर प्रोफेसर यूनुस की शैक्षिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उन्होंने वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र से स्टडी की. इससे पहले उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाई, जहां से उन्होंने बाद में पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की. उन्होंने मिडिल टेनेसी स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर के रूप में अपना एकेडमिक करियर शुरू किया था.

युनुस को नोबेल समेत मिल चुके हैं कई पुरुस्कार 
नोबेल पुरुस्कार के अलावा मोहम्मद यूनुस को साल 2009 में 'यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम' से सम्मानित किया गया था. साथ ही उन्हें 2010 में 'कांग्रेसनल गोल्ड मेडल' से भी नवाजा गया था. 

मोहम्मद युनुस पर लगे हैं ये आरोप
प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के ऊपर कई आरोप हैं. जिसमें से एक आरोप 23 लाख डॉलर गबन करने का है. इस मामले में अदालत ने उन्हें जेल की भी सजा सुनाई है. उल्लेखनीय है कि ग्रामीण टेलीकॉम के पास देश के सबसे बड़े मोबाइल फोन ऑपरेटर ग्रामीणफोन में 34.2 फीसदी की हिस्सेदारी है, जो नॉर्वे की टेलीकॉम दिग्गज टेलीनॉर की सहायक कंपनी है. इसके अलावा, इन आरोपों में उनपर 250 मिलियन से ज्यादा का गबन और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है.

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