Iqbal Singh Lalpura inducted in BJP Parliamentary Board: फिलहाल हम बात करेंगे इकबाल सिंह लालपुरा के बारे में जिन्हें पहली बार बीजेपी की संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है. अभी इकबाल सिंह लालपुरा राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग के अध्यक्ष हैं.
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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने आज अपने संसदीय बोर्ड में बड़ा बदलाव किया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी के संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया है. जहां इन दोनों सीनियर नेताओं को बोर्ड से हटाया गया है तो वहीं बीएस येदियुरप्पा, सुधा यादव, इकबाल सिंह लालपुरा, सर्बानंद सोनोवाल, के. लक्ष्मण को नए सदस्यों के रूप में संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है.
फिलहाल हम बात करेंगे इकबाल सिंह लालपुरा के बारे में जिन्हें पहली बार बीजेपी की संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है. अभी इकबाल सिंह लालपुरा राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग के अध्यक्ष हैं. राष्ट्रीय अल्पसंख्य आयोग के अध्यक्ष बनने से पहले इकबाल सिंह लालपुरा बीजेपी के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे थे और अल्पसंख्यक सिख समुदाय से आते हैं. इकबाल सिंह लालपुरा 1992 में अल्पसंख्यक आयोग को विधायी शक्ति मिलने के बाद से इसके अध्यक्ष बनने वाले वाले दूसरे सिख हैं. लालपुरा से पहले साल 2003 में तरलोचन सिंह आयोग के अध्यक्ष बने थे.
लालपुरा ने आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान एसएसपी अमृतसर, एसएसपी तरंतरन और अतिरिक्त महानिरीक्षक सीआईडी अमृतसर के रूप में कार्य किया. वह सेवानिवृत्ति के बाद 2012 में भाजपा में शामिल हुए थे.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने से पहले, वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और टेलीविजन बहसों में एक लोकप्रिय चेहरा थे. लालपुरा ने सिख दर्शन और इतिहास पर लगभग 14 किताबें लिखी हैं, जैसे 'जपजी साहिब एक विचार', गुरबानी एक विचार' और 'राज करेगा खालसा' वगैरह.
जब पंजाब में आतंकवाद अपने चरण पर था. इस दौरान इकबाल सिंह लालपुरा में अपने काम के बदौलत सुर्खियां बटोरी थी और कई अवार्ड हासिल किए थे. उन्होंने जो पुरस्कार जीते हैं उनमें राष्ट्रपति पुलिस पदक, सराहनीय सेवाओं के लिए पुलिस पदक, शिरोमणि सिख साहित्यकार पुरस्कार, सिख विद्वान पुरस्कार आदि शामिल हैं. वह जरनैल सिंह भिंडरावाले को गिरफ्तार करने के लिए चुने गए तीन अधिकारियों में से एक थे.
जब साल 2020-2021 में किसान संघर्ष के दौरान, लालपुरा ने पंजाब के विभिन्न हिस्सों का बार-बार दौरा किया और संगरूर और बरनाला में विरोध का सामना करना पड़ा. वह राज्य के रोपड़ जिले का रहने वाला है.
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