"बच्चे अपने बाप से बात करने के लिए तरस रहे हैं, बिखर रहा है परिवार, उन्हें समय दें"
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"बच्चे अपने बाप से बात करने के लिए तरस रहे हैं, बिखर रहा है परिवार, उन्हें समय दें"

Jharkhand News: झारखंड के एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जमशेदपूर में आयोजित बाल मेले में सभी पेरेंट्स को अपने बच्चों से बात करने की सलाह दी है. उनका कहना है कि इससें परिवार मजबूत होगा. 

 

"बच्चे अपने बाप से बात करने के लिए तरस रहे हैं, बिखर रहा है परिवार, उन्हें समय दें"
Jharkhand News: झारखंड के एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पेरेंट्स को बच्चों से बेहतर और मजबूत ताल्लुक बनाने की सलाह दी हैं. प्रियंक कानूनगो ने कहा है, "माता-पिता के लिए अपने बच्चों के साथ बातचीत करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे परिवार को मजबूत बनाने में मदद मिलती है."  एनसीपीसीआर बाल संरक्षण से जुड़ी एक संस्था है, जिसका पूरा नाम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग है.
 
मोदी ने की बातचीत की पहल 
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने जमशेदरपुर में बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी परीक्षाओं से पहले सभी बच्चों में तनाव कम करने के लिए 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के जरिए से उनसे बातचीत करने की शुरुआत की थी. कानूनगो ने कहा है कि सोशल मीडिया के इस दौर में एक पिता को अपने बेटे के दोस्तों के बारे में नहीं पता हैं और न ही बेटा अपने पिता के दोस्तों के बारे में जानता है. उन्होंने कहा, "बच्चे अपने पिता से बात करने के लिए तरसते हैं और इसकी कमी ने परिवारों में अपसी ताल्लुक को कमजोर कर दिया है." उन्होनें कहा है कि बच्चों और पेरेंट्स में बातचीत करना काफी अहम हैं, क्योकिं आपसी बातचीत से परिवार के ताल्लुक मजबूत होगें. 
 
बच्चों को साइबर अपराध से बचाए
एनसीपीसीआर के प्रमुख कानूनगो ने माता-पिता से अपील भी की है कि वो अपने बच्चों के सोशल मीडिया के दोस्तो पर नजर रखें, ताकि उन्हें साइबर अपराधियों से बचाया जा सके. कानूनगो ने  ये बातें "बाल मेला" में कहा जो विधायक सरयू राय ने संचालित किया और स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास न्यास द्वारा जमशेदपुर में आयोजित किया गया था. राय ने कहा कि भारत में बाल अधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त कानून हैं और उन्होंने उनके उचित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया हैं.  झारखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष काजल यादव ने कहा कि ऐसे मेले बच्चों के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि इनसे बच्चों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में पता चलता है.

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