असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बाढ़ से 20 जिलों की 6.71 लाख आबादी प्रभावित हुई. लोग अपना घर-बार छोड़कर राहत शिवरों या फिर ऊंची और सूखी जगहों पर शरण ले रहे हैं. उनके सामने भोजन और पीने के पानी का संकट पैदा हो गया.
बाढ़ प्रभावित जिलों के लोगों के सामने भीषण संकट पैदा हो गया है. यहाँ तक कि जंगली और पालतू जानवरों के लिए भी बाढ़ संकट लेकर आया है. बाढ़ में इंसानों के साथ जानवरों की भी मौत हो चुकी है.
असम में ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी प्रमुख सहायक नदियाँ कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बाढ़ और कुछ स्थानों पर तटबंध टूटने से लोगों को गंभीर परेशानी हुई है. पूरा राज्य बाढ़ की दूसरी लहर का सामना कर रहा है, लेकिन ऊपरी असम के कुछ हिस्सों में जल स्तर घट रहा है.
बाढ़ प्रभावित जिलों के लोगों के सामने भीषण संकट पैदा हो गया है. यहाँ तक कि जंगली और पालतू जानवरों के लिए भी बाढ़ संकट लेकर आया है. बाढ़ में इंसानों के साथ जानवरों की भी मौत हो चुकी है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को गोलाघाट जिले के बोकाखाट के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया. मुख्यमंत्री ने राहत शिविरों में लोगों को आश्वासन दिया कि सड़कों और टूटे हुए तटबंधों की जल्द ही मरम्मत की जाएगी ताकि वे घर लौट सकें.
सरमा ने राहत शिविर के बाहर कहा, "हम प्रभावित लोगों को पर्याप्त राहत और पुनर्वास प्रदान कर रहे हैं. राहत शिविरों में रहने वालों के लिए चिकित्सा शिविर, भोजन, शिशु आहार की व्यवस्था की जा रही है, जबकि अधिकारियों को जल्द से जल्द सड़कों और तटबंधों की मरम्मत करने का निर्देश दिया गया है."
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला आयुक्तों को पूरी तरह या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि जल्द से जल्द मुआवज़ा दिया जा सके. उन्होंने कहा कि एक बार जब जल स्तर कम हो जाएगा, तो टूटे हुए तटबंधों पर एक जियो-ट्यूब लगाया जाएगा.
सरमा ने कहा, "हम बाढ़ से पीड़ित लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अगर किसी भी समय हमें लगता है कि हम पर्याप्त मदद करने में असमर्थ हैं, तो हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगेंगे, जिन्होंने हमें हर संभव मदद का आश्वासन दिया है."
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