धूल पर पानी का छिड़काव करने के लिए ‘एंटी स्मॉग गन’ (पानी का छिड़काव करने वाले उपकरण) का उपयोग किया जा रहा है.
मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त को ट्विन टावर को गिराने का कार्य सौंपा गया था. एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमॉलिशन्स ने इससे पहले 2020 में कोच्चि (केरल) स्थित मराडू कॉम्प्लेक्स को ढहाया था, जिसमें 18 से 20 मंजिलों वाले चार आवासीय भवन थे. वर्ष 2019 में जेट डिमॉलिशन्स ने जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में बैंक ऑफ लिस्बन की 108 मीटर ऊंची इमारत को ढहाया था.
अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न हुए 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा.
ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित थे. इन ढांचों को ध्वस्त किये जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया. इसके अलावा, करीब 3,000 वाहनों तथा बिल्ली और कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया.
न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) से मंजूरी के बाद वाणिज्यिक गतिविधियों समेत रिहायशी सुविधाओं के साथ रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक समूह की ओर से इन ट्विन टावर का निर्माण किया गया था.
नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार दोपहर ध्वस्त किये जाने के बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं। हालांकि, नजदीक ही स्थित एक सोसायटी की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई. कई अपार्टमेंट में खिड़कियों के शीशे भी चटक गए.
शीर्ष अदालत के मुताबिक बिल्डरों और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के बीच ‘मिलीभगत’ के कारण ही सुपरटेक लिमिटेड को उस क्षेत्र में निर्माण करने दिया गया जहां मूल योजनाओं के अनुसार कोई भवन नहीं बनना था.
अवैध रूप से निर्मित इन ढांचों को ध्वस्त करने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई. एक रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने नौ साल पहले यहां ट्विन टावर को अवैध रूप से बनाए जाने का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था
नोएडा: विध्वंस से पहले सुपरटेक ट्विन टावर्स. लगभग 100 मीटर ऊंची संरचनाओं को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का उपयोग किया गया.
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