केंद्र सरकार ने साल 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश कर दिया है. इसमें कई मदों में कटौती की गई है तो कुछ विभाग का बजट बढ़ाया गया है. विपक्ष और एक गैर सरकारी संगठन ने इलज़ाम लगाया है कि सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत बच्चों के बजट में कमी कर दी है.
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नई दिल्ली: साल 2024-25 के लिए पेश केंद्र सरकार के अंतरिम बजट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत बच्चों के बजट में कटौती कर कर दी गई है. बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली एक गैर सरकारी सगंठन ‘क्राई’ ने अपने विश्लेषण की बुनियाद पर यह दावा किया है कि नए साल के अंतरिम बजट में बच्चों के मद में खर्च होने वाले पैसो में इजाफा देखा गया है. यह रकम बढकर 109,493.08 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी है, लेकिन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत बच्चों के लिए बजट में कमी कर दी गई है.
अंतरिम बजट में पिछले साल के बजट अनुमान (बीई) 103,790.70 करोड़ रुपये में 5,702.38 करोड़ रुपये के इजाफे का प्रस्ताव किया गया है. चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई) ने विभिन्न मंत्रालयों में बच्चों से जुड़े बजट आवंटन का विश्लेषण किया है. संगठन के मुताबिक, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत बच्चों के लिए आवंटन 2023-24 (बीई) के 1,582.10 करोड़ रुपये के मुकाबले 2024-25 में 1,517.34 करोड़ रुपये होने का इमकान है, जो पिछले साल के मुकाबले 64.76 करोड़ रुपये कम हो गए हैं. इस विश्लेषण में दावा किया गया है कि पिछले साल के मुकाबले में यह 4.09 फीसदी कम है. हालांकि, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में 7.55 फीसदी के इजाफा का प्रस्ताव है, जो 2023-24 (बीई) के 1,065 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2024-25 (बीई) में 1,145.38 करोड़ रुपये किया गया है. अल्पसंख्यकों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए बजट आवंटन 2023-24 (बीई) के 433 करोड़ रुपये से घटाकर 2024-25 (बीई) में 326.16 करोड़ रुपये कर दिया गया है. केंद्रीय बजट में बाल बजट का कुल अनुपात 2.30 फीसदी पर स्थिर है, जो बताता है कि कुल बजट में इजाफे के बावजूद, बच्चों के कल्याण के लिए आवंटित हिस्से में आनुपातिक वृद्धि नहीं देखी गई है.
वहीँ, कांग्रेस सद्र मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए अंतरिम बजट में गरीबों, निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के नागरिकों के लिए कुछ भी नहीं है. शिक्षा पर 2014 में कुल बजट का 4.55 प्रतिशत था, जो गिरकर 3.2 प्रतिशत हो गया है. कुल बजट की तुलना में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक कल्याण का हिस्सा लगातार गिर रहा है.