JDU नेता कुशवाहा ने नीतीश से वो ही मांगा जो 30 साल पहले नीतीश ने लालू से मांगा था
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JDU नेता कुशवाहा ने नीतीश से वो ही मांगा जो 30 साल पहले नीतीश ने लालू से मांगा था

जनता दल (यूनाइटेड) के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि मैं अपना हिस्सा चाहता हूं, जैसे नीतीश ने लालू प्रसाद को चुनौती देते हुए सत्ता में कभी अपना हिस्सा मांगा था.  

उपेंद्र कुशवाहा

पटनाः जनता दल (यूनाइटेड) के बागी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को अपनी बगावती रुख का आधार नीतीश कुमार को ही बताया था. कुशवाहा ने कहा कि तीन दशक पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद को जो चुनौती नीतीश कुमार ने दी थी, वहीं काम आज तीस साल बाद वह कर रहे हैं. तीस साल पहले नीतीश ने लालू प्रसार से सत्ता में अपनी हिस्सेदारी मांगी थी. जद(यू) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए उनके मन में ‘अगाध श्रद्धा’ है, लेकिन नीतीश अपने फैसले नहीं ले पा रहे हैं, जिसके नतीजे में जद (यू) कमजोर हो गया है. 

नीतीश ने लालू से कौन सा हिस्सा मांगा था 
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, ‘‘मुझे यह साफ करने के लिए कहा गया कि पार्टी में अपने हिस्से का दावा करने से मेरा क्या मतलब है? मैं आज वह कर रहा हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उसी हिस्से की बात कर रहा हूं जो नीतीश कुमार ने 1994 की प्रसिद्ध रैली में मांगा था जब लालू प्रसाद हमारे नेता को उनका हक देने से हिचक रहे थे.’’ 
गौरतलब है कि कुशवाहा पटना में आयोजित ‘लव कुश’ रैली का जिक्र कर रहे थे जिसका मकसद बिहार में यादव जाति के राजनीतिक वर्चस्व में पीछे छूटे कुर्मी-कोइरी जाति के लोगों को एकजुट करना था. रैली में कुमार की मौजूदगी ने अविभाजित जनता दल से उनके अलग होने और एक स्वतंत्र राजनीतिक यात्रा की रूपरेखा तय की थी.

2017 में कुशवाहा अपनी पार्टी का जदयू में कर चुके हैं विलय 
उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा ने मार्च, 2017 में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय कर दिया था. इससे पहले वह भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके थे. कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड के प्रमुख के रूप में उनके पास कोई शक्तियां नहीं हैं, जिस पद पर वह हैं, वह ओहदा सिर्फ एक ‘झुनझुना’ है. कुशवाहा ने कहा, ‘‘मैं अतीत में राज्यसभा छोड़ चुका हूं और केंद्रीय मंत्रिपरिषद से भी हट गया था. अगर उन्हें लगता है कि ये मेरे लिए बड़े विशेषाधिकार हैं, तो पार्टी मेरे सभी पद वापस ले सकती है और विधान परिषद सदस्य का दर्जा भी छीन सकती है.’’ 

टूटने के कगार पर है जदयू 
उपेंद्र कुशवाहा ने दावा किया है कि 2013 के विपरीत जब जद (यू) ने पहली बार भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ा था, उसके बाद से जदयू पर बिखराव का खतरा अब ज्यादा मंडरा रहा है.’’ क्या वह उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के उभार से खतरा महसूस करते हैं, इस सवाल के सीधे जवाब से बचते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह कहना होगा कि मुख्यमंत्री अपने सार्वजनिक बयानों में यह कहते रहे हैं कि उनके सभी कदम, 2017 में भाजपा के साथ फिर से जुड़ना, पिछले साल अलग होना और महागठबंधन में शामिल होना और यहां तक कि चुनावों में उम्मीदवारों का चयन भी दूसरों के इशारे पर किया गया था, वहीं समस्या है. वह खुद अपना फैसला नहीं ले पा रहे.’’ उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी दावा किया कि अति पिछड़ा वर्ग का जद (यू) से मोहभंग हो रहा है. भोजपुर जिले में सोमवार को अपने काफिले पर हुए हमले का जिक्र करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने इल्जाम लगाया है कि स्थानीय प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की और उन्होंने इस मामले में पुलिस महानिदेशक या मुख्य सचिव के व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है.

उचित सम्मान देना चाहिए था: बीजेपी प्रवक्ता

जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी के अंदर की बात को उठाई है. उपेंद्र कुशवाहा कोई छोटे नेता नहीं है, उनको अगर लाए हैं तो ला करके उचित सम्मान देना चाहिए था. उपेंद्र कुशवाहा ने बिल्कुल ठीक कहा केवल संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना करके कोई अधिकार ना देना कोई सम्मान नहीं होता है. केवल दो व्यक्ति जिनका एकछत्र राज पार्टी के अंदर चल रहा है एक निर्णय करने वाले दूसरा इंप्लीमेंट करने वाले.

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