EID Ul Fitr 2022: ईद इंसानियत का पैग़ाम देती है. चांद के दीदार से लेकर ईदगाह जाने तक, ग़रीब-मिस्कीन और ज़रूरतमंदों का ख़्याल रखने की ताक़ीद बार-बार की गई है. अल्लाह फ़रमाता है जब तक बंदे ने सदक़ा-ए-फ़ित्र अदा न किया. उसकी नमाज़ अदा न होगी.
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Eid Ul Fitr 2022: ईद यानी ख़ुशियों का दिन, ईद यानी अल्लाह से इनाम पाने का ख़ास दिन, ईद पूरे आलम में जश्न का ख़ास दिन, ईद यानी ग़रीब और मिस्कीनों के चेहरों पर चमकती और दमकती ख़ुशी का दिन, ईद यानी मुफ्लिस और मोहताजों की शिकमपुर्सी का दिन. ईद यानी बच्चों के तन-बदन पर नये लिबास और लबों पर नई मिठास का दिन. ईद की ख़ुशियां माहे रमज़ान में क़सरत से की गई इबादत, रियाज़त, अल्लाह तबारक व तआला से माज़रत और अल्लाह के बंदों से सिद्क़ दिल से की गई मोहब्बत का सिला हैं. जो ला महदूद है. अज़ीम और क़दीम हैं. जिसके इनामात अल्लाह ख़ुद अपने बंदों को देता है.
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ऐसी नवाज़िशों में अल्लाह की अपने बंदों से रज़ा और मोहब्बत शामिल होती है. ईद पर इबादतों का इनाम देने के लिए अल्लाह की रहमतें बरसती हैं. ये इमानवालों के लिए सबसे बड़ा इनाम है. ईद की ख़ुशियों का इंतेजार तो साल भर रहता है लेकिन हक़ीक़ी ख़ुशियां तो ईमान की दौलत से ही मालामाल होती हैं. जिसकी सारी अज़मत नमाज़ पर मुनहसिर है. रमज़ान में जो लोग अल्लाह की इबादत करते हैं. अल्लाह के बंदों के लिए दिल से नफ़रतें और बुग़्ज़ निकालकर मोहब्बत करते हैं उनके लिए ये ईद सबसे अज़ीम होती है. ईद इंसानियत का पैग़ाम देती है. चांद के दीदार से लेकर ईदगाह जाने तक, ग़रीब-मिस्कीन और ज़रूरतमंदों का ख़्याल रखने की ताक़ीद बार-बार की गई है. ईद से पहले सदक़ाए फ़ित्र देना बेहद ज़रूरी है. क्यों कि ये मिस्कीनों का हक़ है.
अल्लाह फ़रमाता है जब तक बंदे ने सदक़ा-ए-फ़ित्र अदा न किया. उसकी नमाज़ अदा न होगी.ये अज़ीम मुकाम है सदक़ा-ए-फ़ित्र का और मिस्कीनों का मकाम तो ये है कि अल्लाह के महबूब पैगंबरे हजरतर मोहम्मद साहब ईदगाह को तशरीफ़ ले जा रहे हैं और रास्ते में एक मिस्कीन मिल जाता है तो उसे घर लाकर तैयार करवाकर अच्छे कपड़े पहनाकर इत्र लगाकर शान से अपने कंधों पर लेकर ईदगाह पहुंचते हैं. इस मिस्कीन को देखकर ईदगाह में मौजूद तमाम सहाबी इस मिस्कीन के मुक़द्दर पर नाज़ करते हैं. ये है अज़मत एक मिस्कीन की और पैग़ाम है ईद का. तो इस ईद ख्याल रखे उन लोगों का जो जरूरतमंद हैं.
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