Kiss Day: महबूब के बोसे यानी चुंबन (Kiss) को उर्दू के कई शायरों ने अपनी शायरी का मौजूं बनाया है. कुछ शायरों ने महबूब के होठों पर बेहतरीन शायरी लिखी हैं. किस डे (Kiss Day) पर पढ़ें चुंबन (Kiss) पर बेहतरीन शायरी.
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Kiss Day Special: 7 से 14 फरवरी तक वैलेंटाइन वीक (Valentine's Week) चल रहा है. इस मौके पर लोग अपने पार्टनर को गिफ्ट देते हैं उन्हें स्पेशल फील कराते हैं. इसी कड़ी में 13 फरवरी यानी आज किस डे (Kiss Day) है. इस मौके पर आप अपने पार्टनर को बोसा (Kiss) लेकर या उन्हें चुंबन पर बेहतरीन शेर भेज कर किस डे (Kiss Day) मना सकते हैं. यहां पेश हैं चुंबन पर कुछ शेर.
ख़ुदा को मान कि तुझ लब के चूमने के सिवा
कोई इलाज नहीं आज की उदासी का
ज़फ़र इक़बाल
बदन का सारा लहू खिंच के आ गया रुख़ पर
वो एक बोसा हमें दे के सुर्ख़-रू है बहुत
ज़फ़र इक़बाल
मोहब्बत एक पाकीज़ा अमल है इस लिए शायद
सिमट कर शर्म सारी एक बोसे में चली आई
मुनव्वर राना
दूर से यूँ दिया मुझे बोसा
होंट की होंट को ख़बर न हुई
अहमद हुसैन माइल
हज़ार बार निगाहों से चूम कर देखा
लबों पे उस के वो पहली सी अब मिठास नहीं
असलम आज़ाद
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बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह
जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
एक बोसा होंट पर फैला तबस्सुम बन गया
जो हरारत थी मिरी उस के बदन में आ गई
काविश बद्री
सो देख कर तिरे रुख़्सार ओ लब यक़ीं आया
कि फूल खिलते हैं गुलज़ार के अलावा भी
अहमद फ़राज़
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
अनवर शऊर
एक बोसे के भी नसीब न हों
होंठ इतने भी अब ग़रीब न हों
फ़रहत एहसास
एक दम उस के होंट चूम लिए
ये मुझे बैठे बैठे क्या सूझी
नासिर काज़मी
बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए
लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए
हफ़ीज़ जौनपुरी
बोसा जो रुख़ का देते नहीं लब का दीजिए
ये है मसल कि फूल नहीं पंखुड़ी सही
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
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