वैचारिक मतभेद होने के कारण कांग्रेस के लिए फैसला लेना आसान नहीं दिख रहा है. कांग्रेस में अब तक क्या हुआ- यहां पढ़ें पूरी टाइमलाइन...
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए शिवसेना (Shivsena) और एनसीपी (NCP) के हाथ मिलाने के बाद कांग्रेस (Congress) किंग मेकर की भूमिका में आ गई है. हालांकि शिवसेना और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की आयडियोलॉजी में जमीन आसमान का अंतर है. वैचारिक मतभेद होने के कारण कांग्रेस के लिए फैसला लेना आसान नहीं दिख रहा है. कांग्रेस में अब तक क्या हुआ- यहां पढ़ें पूरी टाइमलाइन...
सोमवार 11 नवंबर को कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी पूरे दिन मंथन करती रहीं लेकिन कोई फैसला नहीं ले सकीं. इसकी शुरुआत सुबह 10:00 बजे हुई जब महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और वेणुगोपाल सोनिया गांधी के घर मीटिंग के लिए पहुंचे.
दरअसल, मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथ में वो पेपर था जिसमें कांग्रेस के 44 में से 38 विधायकों ने शिवसेना का ना सिर्फसमर्थन करने बल्कि उसमें शामिल होने की भी इच्छा जताई थी. मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक रात पहले यानि 10 नवंबर को जयपुर में विधायकों से अलग-अलग बातचीत करके फीडबैक ले लिया था.
महाराष्ट्र में नई सरकार गठन को लेकर सोनिया गांधी के घर सोमवार को 11:00 बजे से लेकर 12:30 बजे तक बैठक चलती रही. उसमें यह फैसला लिया गया कि महाराष्ट्र कांग्रेस के सभी सीनियर नेताओं को दिल्ली बुलाया जाए और उनसे बात करके ही अंतिम फैसला हो. लिहाजा अगली मीटिंग 4:00 बजे के लिए टाल दी गई.
इस बीच के वेणुगोपाल ने महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे, अशोक चौहान, पृथ्वीराज चौहान, बालासाहेब थोराट, विजय रजनी पाटिल और पूर्व सांसद राजीव सातव से बात की. उन्हें 4:00 बजे सोनिया गांधी के घर पहुंचने का आदेश दिया.
सभी नेता शाम 4:00 बजे सोनिया गांधी के घर पहुंचे. जहां पहले से ही अहमद पटेल, के वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे और एके एंटनी मौजूद थे. इसके बाद महाराष्ट्र के नेताओं के साथ सरकार बनाने को लेकर माथापच्ची फिर शुरू हुई. सूत्रों की मानें तो इस बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में संभावित शिवसेना-एनसीपी की सरकार को बाहर से समर्थन देना चाहिए. अंदर शामिल नहीं होना चाहिए.
इस बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधायकों की राय बताई. इसके बाद के वेणुगोपाल ने सोनिया गांधी की शाम 6 बजे जयपुर में बैठे 13 विधायकों से फोन पर बात करवाई. कांग्रेस के अंतरिम प्रेसिडेंट ने इन विधायकों से पूछा कि क्या करना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर विधायकों ने सरकार में शामिल होने के लिए कहा.
इस बैठक को शुरू हुए 2 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका था. इस बीच अचानक सोनिया गांधी के घर उद्धव ठाकरे का फोन आया. फोन पर उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी से कांग्रेस का समर्थन मांगा और सरकार में शामिल होने का निवेदन भी किया.
सोनिया गांधी के घर मीटिंग के 2.15 घंटे बात चुके थे. बाहर मीडिया का भारी जमावड़ा लगा हुआ था. लेकिन मीटिंग में कोई भी फैसला नहीं हो पा रहा था. महाराष्ट्र कांग्रेस के जो सीनियर नेता सोनिया गांधी के घर मौजूद थे उनकी शिवसेना को लेकर अलग-अलग राय थी. लिहाजा कांग्रेस लीडरशिप भी कंफ्यूज थी कि क्या किया जाए. तभी सोनिया गांधी ने शरद पवार से फोन पर बात की इसके बाद सारा मामला ही बदल गया.
अब, सूत्रों का कहना है कि शरद पवार ने सोनिया गांधी से कहा कि वह सरकार तो बनवा रहे हैं लेकिन अभी तक उन्होंने शिवसेना को समर्थन पत्र नहीं सौंपा है. उन्होंने मीडिया में चल रही अपना समर्थन पत्र सौंपने की खबर को गलत बता दिया.
सोनिया गांधी घर चल रही बैठक को अब तक ढाई घंटे बीच चुके थे. 4:00 बजे से बैठक शुरू हुई 6:30 बज गया लेकिन कोई फैसला नहीं हो पा रहा था. शिवसेना के नेता बेचैनी से कांग्रेस के समर्थन पत्र का इंतजार कर रहे थे. उधर, राज्यपाल द्वारा दी गई समय सीमा भी खत्म हो रही थी.
सूत्रों का मानना यह भी है कि बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने सोनिया गांधी को सलाह दी कि हमें आनन-फानन में कोई ऐसा फैसला नहीं लेना चाहिए जिससे महाराष्ट्र कांग्रेस कमजोर है. इससे दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति पर प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि कांग्रेस हमेशा बीजेपी और शिवसेना की विचारधारा के खिलाफ लड़ाई लड़ती रही है. अब अगर वह महाराष्ट्र में सत्ता में आएगी तो जवाब देना मुश्किल होगा. लिहाजा सोच समझकर फैसला किया जाए.
अब तक इस बैठक को स्टार्ट हुए 3 घंटे से ज्यादा बीत चुके थे. सोनिया गांधी ने इस बैठक में फैसला किया की शरद पवार से एक बार फिर बातचीत की जाए लेकिन वह बातचीत फोन पर ना होकर आमने-सामने होगी. उन्होंने मीटिंग में प्रस्ताव रखा कि आप में से कुछ लोग मुंबई चले जाएं और सीधे शरद पवार से बात करें. वहीं पर अंतिम फैसला कर दें कि सरकार को समर्थन किस रूप में देना है.
तकरीबन 7:15 पर वेणुगोपाल मीटिंग स्थल से बाहर निकले और उन्होंने बाहर खड़ी मीडिया से कहा कि थोड़ी देर में प्रेस स्टेटमेंट जारी होगा. हम अपना रुख बताएंगे. इसके अलावा कुछ भी बोलने से उन्होंने इनकार कर दिया.
इसके बाद 7:24 पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से आधिकारिक बयान आ गया. जिसमें समर्थन को लेकर एक भी बात नहीं कही गई थी. उसमें सिर्फ यह कहा गया कि पार्टी शरद पवार से बात करके फैसला लेगी. इसके साथ ही शिवसेना की उम्मीदों पर पानी फिर गया क्योंकि शिवसेना के नेता सोचे थे कि मीटिंग के बाद उनको समर्थन पत्र मिल जाएगा.
ठीक 8:00 बजे कांग्रेस पार्टी के सारे नेता सोनिया गांधी के घर से बाहर आ गए. मीटिंग खत्म हो गई. इसके बाद महाराष्ट्र के सीनियर नेताओं ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अभी एनसीपी ने अपना समर्थन पत्र शिवसेना को नहीं दिया है. हम अब एनसीपी से बातचीत करेंगे और उसके बाद समर्थन को लेकर आखरी फैसला करेंगे.
तो साफ है कि सोमवार को शिवसेना की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं. महाराष्ट्र में राजनीतिक चक्र तेजी से बदला और राज्यपाल को भी मौका मिल गया उन्होंने एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर लिया और मंगलवार की रात 8:00 बजे तक का टाइम NCP को दे दिया.
रात में 9:00 बजे कांग्रेस ने फैसला कर लिया कि अहमद पटेल, के वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे मंगलवार को मुंबई चले जाएंगे. जहां पर शरद पवार से मिलेंगे और यहीं पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा. इसके साथ ही महाराष्ट्र में राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ रही है और शिवसेना का इंतजार भी बढ़ता जा रहा है.