Shani Margi 2023: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की युतियों का बहुत महत्व है और उनका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है. इस समय, मेष, सिंह और धनु - ये तीन राशियां गुरु-राहु की युति के समाप्त होने से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं. इस राशि के जातकों को अधिक फायदा हो सकता है.
Trending Photos
Shani Margi 2023: शनिदेव की वक्री और मार्गी अवस्था का सभी राशियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है. इस वर्ष 4 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में मार्गी होंगे और यह स्थिति 30 जून 2024 तक बनी रहेगी. ज्योतिषशास्त्र में शनि ग्रह का महत्वपूर्ण स्थान है. यह ग्रह सभी नौ ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलता है और किसी भी राशि में लगभग 2.5 वर्ष तक रहता है. इसके चलने की धीमी गति की वजह से उसके प्रभाव की अवधि भी लंबी होती है. ज्योतिष में शनि ग्रह को क्रूर ग्रह माना जाता है जो किसी भी व्यक्ति को उसके किये गए कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करता है. शनि देव के सीधी चाल का विशेष शुभ प्रभाव- मेष, सिंह और धनु राशि पर होगा. जब शनिदेव की दृष्टि शुभ होती है तो उससे लाभ होता है, परंतु अशुभ दृष्टि से कष्ट उत्पन्न होता है. ज्योतिषशास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं, जिसके प्रयोग से शनि देव के अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं.
शनिदेव की स्वराशि में प्रवेश का प्रभाव
शनिदेव की वक्री अवस्था का अर्थ है कि वह उल्टी चाल में चल रहे हैं, जो 4 नवंबर को समाप्त होगी और वह सीधी चाल में चलने लगेंगे. शनिदेव की स्वराशि कुंभ में होने के कारण, मकर, कुंभ और मीन राशियों के जातकों पर साढ़ेसाती का प्रभाव है. वहीं, कर्क और वृश्चिक राशियों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है.
शनिदेव के अशुभ प्रभाव से बचने के कुछ मुख्य उपाय
हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं, और उनकी विशेष कृपा होती है.
प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने और शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से हनुमान जी, भगवान शिव के साथ शनि देव भी खुश होते हैं.
‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ और ‘ॐ शं शनिश्चरायै नमः’ मंत्रों का जाप करने से शनि देव का अशुभ प्रभाव खत्म हो सकता है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)