Bank Privatization: देश में तेजी से प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया हो रही है. इस क्रम में बैंकों का नंबर पहले ही आ रहा है. सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंक का प्राइवेटाइजेशन (bank privatization 2022) होने जा रहा है. इसके लिए सरकार ने तैयारी भी पूरी कर ली है.
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Bank privatization: देश में निजीकरण पर सरकार तेजी से काम कर रहा है. कई कंपनियों के लिए बोलियां भी आनी शुरू हो चुकी है. सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया भी लगभग शुरू हो चुकी है. सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों (PSB) में विदेशी स्वामित्व पर 20% की सीमा को हटाने की तैयारी में है. इस क्रम में सरकार सबसे पहले आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) से अपनी हिस्सेदारी बेच रही है.
सरकार का शानदार प्लान
केंद्र सरकार आईडीबीआई बैंक को महंगे रेट पर बेचने की तयारी में है. ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि राज्य के स्वामित्व वाली आईडीबीआई बैंक लिमिटेड के लिए सरकार लगभग 640 अरब रुपये यानी 7.7 बिलियन डॉलर के वैल्यूएशन की कोशिश में है. अगर ऐसा होता है तो आपको बता दें कि सरकार की हिस्सेदारी की यह अब तक की सबसे बड़ी बिक्री होगी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी. ब्लूमबर्ग न्यूज की इस रिपोर्ट की खबर फैलते ही शुक्रवार को आईडीबीआई बैंक के शेयरों में 3% की तेजी आई. यानी इसमें निवेशकों का इंटरेस्ट बढ़ता दिख रहा है.
निजीकरण पर आगे बढ़ रही है सरकार
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण की घोषणा की थी. इसके अलावा, नीति आयोग (NITI Aayog) ने प्राइवेटाइजेशन के लिए दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट किया गया है. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा भी था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा.
इन बैंकों का भी हो सकता है निजीकरण
इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी का कहना है कि निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था. यानी इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दो उम्मीदवार हैं जिनका निजीकरण हो सकता है, हालांकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र इस लिस्ट में है.