Paddy Crop Price: बारिश और तेज हवा के कारण फसल बर्बाद हुई है. किसानों ने कहा कि अचानक हुई बारिश से कटाई में देरी होगी और पैदावार कम होगी. किसानों के अनुसार करीब 70 प्रतिशत धान की फसल की कटाई अभी बाकी है.
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Paddy Cultivation: देश के अलग-अलग हिस्सों में एक दिन पहले हुई अचानक बारिश से धान उत्पादकों को डर है कि इससे फसल को नुकसान हो सकता है और पैदावार घट सकती है. ऐसे किसान जो पहले ही फसल को काट चुके हैं और इसे बिक्री के लिए मंडियों में जा चुके हैं उन्होंने भी शिकायत की कि बाजार में पड़ी धान की बोरियों के ढेर बारिश में भीग गए. किसानों ने कहा कि चावल मिलों की हड़ताल से भी परेशानी बढ़ गई क्योंकि ज्यादातर मंडियों में उठान प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ा है.
70 प्रतिशत धान की फसल की कटाई अभी बाकी
पंजाब के लुधियाना, पटियाला, बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, होशियारपुर, पटियाला, मोगा और मोहाली समेत कई शहरों में बारिश हुई. होशियारपुर में रसूलपुर गांव के किसान जंगवीर सिंह ने कहा कि चार एकड़ से ज्यादा धान की फसल जो कटाई के लिए तैयार थी, बारिश और तेज हवा के कारण बर्बाद हो गई. उन्होंने कहा कि अचानक हुई बारिश से कटाई में देरी होगी और पैदावार कम होगी. किसानों के अनुसार करीब 70 प्रतिशत धान की फसल की कटाई अभी बाकी है.
फसल में नमी की मात्रा बढ़ जाएगी
नाभा में मंडी में बिक्री के लिए फसल लाने वाले एक किसान ने कहा कि बारिश के कारण फसल में नमी की मात्रा बढ़ जाएगी. मंडी में फसल को बारिश से बचाने के लिए जगह भी नहीं थी. किसानों ने बताया कि खन्ना, फिरोजपुर, नाभा, मोगा और बठिंडा की मंडियों में पड़ी धान की बोरियां भीग गईं हैं. लुधियाना के खन्ना में बारिश का असर धान खरीद पर भी पड़ा. एफसीआई (FCI) की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ राज्य में राइस शेलर पिछले तीन दिन से हड़ताल पर हैं.
पंजाब राइस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अनुसार एफसीआई ने एक शर्त रखी है, जिसमें यदि फोर्टिफाइड चावल का ‘पोषण’ तय मानक से कम पाया जाता है तो चावल शेलर को उस कमी को पूरा करना होगा. मिल मालिकों की तरफ से दावा किया गया है कि वे सरकार की तरफ से अधिसूचित निर्माताओं से खरीदने के बाद कस्टम-मिल्ड चावल के साथ फोर्टिफाइड चावल दाने (FRK) मिलाते हैं. इस बीच, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से इस मामले में हस्तक्षेप करने की बात कही ताकि चावल शेलर की हड़ताल के कारण किसानों को किसी तरह का नुकसान न हो.
जानकारों का कहना है कि बारिश से हुए नुकसान का आंकड़ा यदि बढ़ता है तो इसका असर आने वाले समय में बाजार में धान की कीमत पर पड़ सकता है. पैदावार गिरने का असर सीधा कीमत पर पड़ता है.