अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की कीमत में आई इस बड़ी गिरावट के लिए डॉलर की लगातार बढ़ती मांग और भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों की निकासी रही है.
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Dollar vs Rupee: भारतीय मुद्रा रुपया में गिरावट का सिलसिला जारी है. डॉलर के मजबूत होने तथा कच्चे तेल कीमतों में उछाल के बीच रुपया सोमवार को औंधे मुंह लुढ़कता दिखा. अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया दो साल में पहली बार एक दिन की सबसे बड़ी यानी 66 पैसे की जोरदार गिरावट के साथ 86.70 प्रति डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.12 के भाव पर खुला और कारोबार के दौरान एक बार मजबूत होकर 86.11 पर पहुंचा. लेकिन अधिकांश समय यह नकारात्मक दायरे में ही रहा. कारोबार के अंत में रुपया 66 पैसे की जबर्दस्त गिरावट के साथ 86.70 प्रति डॉलर के अपने अबतक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. यह एक कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आई दो साल की सबसे बड़ी गिरावट है.
छह फरवरी 2023 के बाद पहली बार
इसके पहले छह फरवरी, 2023 को रुपये में दिन के कारोबार में 68 पैसे की बड़ी गिरावट आई थी. पिछले दो सप्ताह में रुपये में अमूमन गिरावट का ही रुख रहा है. रुपया 30 दिसंबर को 85.52 के स्तर पर बंद होने के बाद से पिछले दो सप्ताह में एक रुपये से अधिक की बड़ी गिरावट देख चुका है. रुपया पहली बार 19 दिसंबर, 2024 को 85 प्रति डॉलर के पार गया था. पिछले कारोबारी दिवस शुक्रवार को रुपया 86.04 प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये की कीमत में आई इस बड़ी गिरावट के लिए डॉलर की लगातार बढ़ती मांग और भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों की निकासी रही है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 4,892.84 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे. विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और उभरते बाजारों की मुद्राओं में गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट आने की अनुमति दी है.
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक, रुपये में कमजोरी की अनुमति देगा क्योंकि डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है और आपूर्ति कम होती जा रही है.’’ रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा था कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार तीन जनवरी को समाप्त सप्ताह में 5.69 अरब डॉलर घटकर 634.58 अरब डॉलर रह गया.
विश्लेषकों के मुताबिक, इसी अवधि में अमेरिकी बाजार में उम्मीद से बेहतर रोजगार आंकड़ों के कारण डॉलर मजबूत हुआ जिससे अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल भी बढ़ गया है. इसके अलावा अमेरिका ने रूस पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 81 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है.
निवेशक निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार आने पर प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों की आशंका में पहले से ही सतर्क हैं. मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि मजबूत डॉलर और कमजोर वैश्विक बाजारों के कारण रुपया नए निचले स्तर पर पहुंच गया. एफआईआई शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं जबकि कच्चे तेल की कीमतों में करीब दो प्रतिशत की तेजी आई है.
चौधरी ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति रुपये पर आगे भी दबाव डाल सकती है. उन्होंने कहा, ‘‘डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 86.25 से 86.80 के दायरे में रहने की उम्मीद है.’’ इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.24 प्रतिशत बढ़कर 109.91 के अपने दो साल के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा था.
पिछले एक सप्ताह से तेज गिरावट
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.14 प्रतिशत बढ़कर 80.67 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट - कमोडिटी एंड करेंसी, जतीन त्रिवेदी के अनुसार, पिछले सप्ताह एक प्रतिशत से अधिक की तीव्र गिरावट के बीच रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया.
यह गिरावट अमेरिका में बिडेन प्रशासन द्वारा रूस पर प्रतिबंधों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है. इस बीच, घरेलू स्तर पर बीएसई सेंसेक्स 1,048.90 अंक गिरकर 76,330.01 अंक पर और एनएसई निफ्टी 345.55 अंक के नुकसान के साथ 23,085.95 अंक पर बंद हुआ.
(इनपुट- भाषा)