Share Market में मची है उथल-पुथल, कब तक संभलेगा बाजार?
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Share Market में मची है उथल-पुथल, कब तक संभलेगा बाजार?

Investment: बीते सप्ताह अमेरिका के दो बैंक विफल हो गए जिनमें न्यूयॉर्क का सिग्नेचर बैंक शामिल है. यह बैंक मुख्यत: क्रिप्टो उद्योग को ऋण सुविधा देता था, इसे नियामकों ने रविवार को बंद कर दिया. इससे पहले बीते शुक्रवार को अमेरिका के 16वें बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक को बंद किया गया था.

Share Market में मची है उथल-पुथल, कब तक संभलेगा बाजार?

Share Market Update: भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. इस बीच कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) उदय कोटक ने कहा कि वृहद कारकों के सकारात्मक होने के साथ भारत वैश्विक वित्तीय बाजार में मौजूदा उथल-पुथल से आसानी से बाहर निकल आएगा. कोटक ने कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम कम होने का लाभ मिलेगा और 2023-24 में देश का चालू खाते का घाटा (कैड) भी दो प्रतिशत के नीचे आने की उम्मीद है.

शेयर मार्केट
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘वित्तीय बाजारों में वैश्विक उथल-पुथल के हालात हैं, इसके बावजूद भारत के लिए वृहद कारक बेहतर हुए हैं. 2022-23 में चालू खाते का घाटा 2.5 प्रतिशत से नीचे रह सकता है और 2023-24 तक इसके और घटकर दो प्रतिशत से नीचे आने का अनुमान है. तेल की कीमतों में नरमी मददगार होगी. यदि हम अपनी बात पर कायम रहें और सही राह पर चलें तो भारत इस उतार-चढ़ाव से पार पा लेगा.’’

अमेरिकी बाजार
गौरतलब है कि बीते सप्ताह अमेरिका के दो बैंक विफल हो गए जिनमें न्यूयॉर्क का सिग्नेचर बैंक शामिल है. यह बैंक मुख्यत: क्रिप्टो उद्योग को ऋण सुविधा देता था, इसे नियामकों ने रविवार को बंद कर दिया. इससे पहले बीते शुक्रवार को अमेरिका के 16वें बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक को बंद किया गया था. यह बैंक मुख्य रूप से स्टार्टअप उद्योग को वित्तीय सहायता मुहैया करवाता था.

वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अमेरिका में हाल के घटनाक्रमों के चलते वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बढ़ रही है और सरकारों, कारोबार और लोगों को वित्त, कॉरपोरेट और बचत खाते की योजना बनाते वक्त सुरक्षित मार्जिन बनाकर रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जनवरी में वैश्विक वृद्धि के जो अनुमान जताए थे वे पुराने हो चुके हैं और अब देशों को यह देखना होगा कि बीते हफ्ते अमेरिका में जो घटनाक्रम हुए उनका भरोसे पर, बैंकों की कर्ज वृद्धि आदि पर क्या प्रभाव होगा.

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