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रवि कपूर की कहानी प्रेरणा, दृढ़ संकल्प और बदलाव लाने के जुनून की कहानी है. एक साधारण परिवार में जन्मे रवि को बड़े होने के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. पैसों की दिक्कत, बुलिंग और आइसोलेशन उनके शुरुआती जीवन में लगातार बाधाएं थीं. हालांकि, इन चुनौतियों ने ही उनके आगे बढ़ने के जुनून को बढ़ाया. उन्होंने अपनी इनर्जी को कंट्रोल करने और कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए बॉडीबिल्डिंग और पावरलिफ्टिंग की ओर रुख किया और आखिरकार इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.
रवि के स्पोर्ट्स के प्रति समर्पण ने उन्हें भारत और इंटरनेशनल लेवल पर बॉडीबिल्डिंग और पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में कई प्रतिष्ठित खिताब जीतने में मदद की. 2008 में, उन्होंने मिस्टर दिल्ली का खिताब जीता और अगले साल, उन्होंने दिल्ली रग्बी क्लब को रिप्रेजेंट किया. उनकी जर्नी ने अचानक मोड़ लिया जब उन्हें रग्बी मैच के दौरान गंभीर चोट लगी. यह दुर्घटना उनके जीवन में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई.
सिविल सेवाओं में कोई बैकग्राउंड न होने के बावजूद, रवि ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ, उन्होंने अपने पहले अटेंप्ट में ही परीक्षा पास कर ली और आईआरएस अधिकारी बन गए. उन्हें शुरू में चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग में तैनात किया गया था. सिविल सेवक बनने के बाद भी, रवि ने पावरलिफ्टिंग के प्रति अपने जुनून को नहीं छोड़ा और कंपटीशन करना जारी रखा. 2017 में, उन्होंने ग्लोबल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में पदक जीता.
हालांकि, उनकी उपलब्धियां यहीं नहीं रुकीं. आईआरएस अधिकारी के रूप में काम करते हुए, रवि इंडियन एजुकेशन सिस्टम में मौजूद कमियों के बारे में बहुत चिंतित हो गए, खासकर यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए. उन्होंने स्टूडेंट्स को गाइड करने और उपयोगी संसाधन प्रदान करने के लिए किताबें और ब्लॉग लिखना शुरू कर दिया. आखिरकार, उन्होंने 10 साल की सेवा के बाद अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया ताकि वे अपने असली उद्देश्य को पूरा कर सकें - दूसरों को सलाह देना और उनकी मदद करना.
रवि ने एक फ्री मेंटरशिप प्रोग्राम शुरू किया, जिसने 1.4 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स के जीवन को पॉजिटिव रूप से प्रभावित किया है. इनमें से कई स्टूडेंट्स ने उनके मार्गदर्शन और समर्थन की बदौलत यूपीएससी परीक्षा सफलतापूर्वक पास की है. एक स्पोर्ट्स चैंपियन और आईआरएस अधिकारी से लेकर मेंटर बनने तक का रवि का सफर दूसरों को सशक्त बनाने और शिक्षा के क्षेत्र में एक स्थायी प्रभाव पैदा करने के उनके समर्पण का सच्चा प्रमाण है.