Indian Rice In World: भारतीय बासमती चावल को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चावल माना जाता है. हमारे पड़ोसी मुल्क में भी इन चावलों की खेती की जाती है और पाकिस्तान दूसरे देशों में चावल निर्यात करता है. यहां जानिए इसका इतिहास...
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Indian Variety of Rice: जब भी चावलों की किस्मों का जिक्र होता है, तो सबसे पहले भारतीय बासमती चावल का नाम आता है. पूरी दुनिया बासमती चावलों के स्वाद की दीवानी है. पहले तो घर या बाहर किसी खास मौके पर बासमती चावल की ही दावत दी जाती थी.
चावल की इतनी किस्में होने के बावजूद बासमती को आज भी स्टेटस सिंबल के तौर पर देखा जाता है. हालांकि, आजकल हर संपन्न भारतीय परिवारों में इनका इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह ना सिर्फ देश में बल्कि पूरे विश्व में मशहूर है. क्या आप जानते हैं कि बासमती चावल कहां से आया था? आज हम जानेंगे बासमती चावल का इतिहास...
विश्व में चावल की सर्वश्रेष्ठ किस्म
फायबर से भरपूर भारतीय बासमती चावल अपनी बेहतरीन खुशबू, स्वाद और बड़े दानों के लिए मशहूर है. आपको जानकर खुशी के साथ ही बड़ी हैरानी भी होगी कि यह भारत का ही नहीं, बल्कि दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चावल है. फूड और ट्रेवल गाइड टेस्ट एटलस ने 2023-24 के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ चावलों की लिस्ट जारी की है, जिसमें बासमती चावल का नाम सबसे ऊपर है. इसके बाद दूसरे पर इटली का आर्बेरियो और तीसरे पर पुर्तगाल पर कैरोलिना चावल है.
निर्यात के मामले में भारत आगे
भारतीयों के लिए चावलों में हर जगह पहली पसंद बासमती ही है. चाहे पुलाव बनाना हो या बिरयानी की दावत देनी हो, चावल से बनने वाले खास व्यंजनों में बासमती का ही यूज किया जाता है. भरपूर इस्तेमाल करने के साथ ही भारत ही पूरी दुनिया में बासमती चावल पहुंचाता है. वहीं, पाकिस्तान में भी इसकी खेती होती है, लेकिन एक्सपोर्ट के मामले में भारत सबसे आगे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर साल बासमती का निर्यात करके लगभग 6.8 अरब डॉलर, जबकि पाकिस्तान 2.2 अरब डॉलर कमाता है. भारत सबसे ज्यादा बासमती चावल सऊदी अरब, ईरान, इराक, यूएई और यमन जैसे देशों को एक्सपोर्ट करता है.
बासमती का इतिहास
बताया जाता है कि यह संस्कृत के शब्द वस और मायप से मिलकर बना है, जिसमें वस यानीसुगंध और मायप का मतलब गहराई से है. वहीं, इसमें इस्तेमाल किए गए मती का मतलब रानी बताया जाता है. इस तरह बासमती का अर्थ होता है 'सुगंध की रानी'. यह चावल खुशबू के लिए जाना जाता है. रसोई में इसके पकते ही महक आसपास तक पहुंच जाती है.
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार प्राचीन भारत में भी बासमती की खेती के प्रमाण मिलते हैं. हड़प्पा-मोहनजोदड़ो की खुदाई में भी इसके प्रमाण मिल चुके हैं. कहते हैं कि फारसी व्यापारी जब कारोबार करने भारत आए तो खुशबूदार चावल की किस्म साथ लाए थे. इतिहास में भारतीय व्यापारियों के 1766 में मिडिल ईस्ट को चावल एक्सपोर्ट करने के प्रमाण मिलते हैं. भारत के अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश में इसे उगाया भी गया.
बासमती की वैरायटी
इसकी सबसे ज्यादा पैदावार उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में होती है. हमारे देश में बासमती की भी कई वैरायटी होती हैं, जिसमें 217, 370, 386, टाइप 3 (देहरादूनी बासमती), पंजाबी बासमती-1, पूसा बासमती-1, कस्तूरी, हरियाणा बासमती-1, माही सुगंध, तराओरी बासमती (HBC 19/करनाल लोकल), रणबीर बासमती शामिल हैं.