Bollywood Oscars: क्या किसी एक्टर को लेने से फिल्म के ऑस्कर में जाने के चांस बढ़ जाते हैं. अगर कोई इस बात में भरोसा कर ले तो रघुबीर यादव को अपनी फिल्म में ले सकता है. भारतीय फिल्मों को आज तक ऑस्कर का इंतजार है. रघुबीर यादव ऐसे एक्टर हैं, जिनकी आठ फिल्में ऑस्कर की रेस में शामिल रही हैं.
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Bollywood Actors: इसे आप सिर्फ मजेदार संयोग कह सकते हैं. कई ऐक्टरों को डायरेक्टर अपने लिए लकी मानते रहे हैं और उन्हें फिल्म में एक न एक रोल देते ही हैं. लेकिन यहां तो बात ऑस्कर की है. बॉलीवुड में अपनी शानदार एक्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले एक्टर रघुबीर यादव के साथ ऐसा संयोग जुड़ा है, जो किसी को भी हैरान कर सकता है. इसे कोई रिकॉर्ड भी कह सकता है. रघुबीर यादव ने ऐसी आठ फिल्मों में काम किया है, जिन्हें भारत की तरह से ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया या फिर वे स्वतंत्र रूप से वहां नामित हुईं. हालांकि रघुवीर यादव का कहना है कि मैं कभी इस बात पर ध्यान नहीं देता कि फिल्म ऑस्कर में जा रही है या नहीं. मैं तो एक्टिंग करते वक्त अपना बेस्ट देने की कोशिश करता हूं.
लकी हैं रघुबीर
रोचक बात यह भी है कि ये जो आठ फिल्में भारत की तरफ से ऑस्कर की रेस में शामिल हुईं, इसमें से किसी में रघुबीर यादव लीड रोल में नहीं हैं. इससे साफ है कि फिल्म में आपका बड़ा या लीड रोल होना ही काफी नहीं है. सबसे जरूरी है कि आपका स्क्रीन प्रजेंस शानदार रहे और एक किरदार के रूप में आपकी जरूरत डायरेक्टर को महसूस हुआ. रघुबीर यादव इसका बड़ा उदाहरण हैं. उन्होंने तमाम बड़ी-छोटी फिल्मों में हमेशा महत्वपूर्ण रोल निभाए हैं. हालांकि किसी मेकर यह भी लग सकता है कि अगर उसे अपनी फिल्म ऑस्कर में भेजनी है, तो रघुबीर यादव को लेना चाहिए. वह उसके लिए लकी साबित हो सकते हैं.
ये हैं फिल्में
जिन आठ फिल्मों में रघुबीर यादव थे और जिन्हें ऑस्कर में भेजा गया, उनमें सबसे पहला नाम निर्देशक मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे का आता है. इसके बाद बेंडिट क्वीन, रुदाली, 1947 अर्थ, लगान, पीपली लाइव, वाटर और न्यूटन शामिल हैं. अपने सहज व्यवहार से सबको आकर्षित करने वाले रघुबीर यादव कहते हैं कि मैं किसी तरह के गणित नहीं बैठाता और चुपचाप अपना काम करता हूं. मुझे सिर्फ यह लगता है कि अगर फिल्म अच्छी है तो उसे दर्शकों का प्यार मिलेगा. फिल्म अच्छी हो तो वह कहीं भी जा सकती है, फिर चाहे वह ऑस्कर हो या कोई और अवार्ड. बस, स्क्रिप्ट अच्छी होनी चाहिए और डायरेक्टर उसे बढ़िया ढंग से बना ले. रघुबीर यादव ने 1985 से फिल्म मैसी साहब से एक्टिंग की दुनिया में पहचान बनाई थी और उसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
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