Tooth Pari Review: दम नहीं है इस कहानी में, सीरीज देखते हुए महसूस हो सकती है कमजोरी
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Tooth Pari Review: दम नहीं है इस कहानी में, सीरीज देखते हुए महसूस हो सकती है कमजोरी

Hindi Vampire Web Series: ओटीटी की दुनिया में कहानियों को लेकर इक्का-दुक्का प्रयोग दिख रहे हैं. परंतु समस्या यह है कि कच्चे-पक्के हैं. आइडिये अब भी यहां-वहां से लिफ्ट किए जा रहे हैं. क्रिएटिव राइटिंग समस्या बनी हुई है. टूथ परी में आप तमाम समस्याएं देख सकते हैं. अच्छा कंटेंट बनाना बच्चों का खेल नहीं है.

 

Tooth Pari Review: दम नहीं है इस कहानी में, सीरीज देखते हुए महसूस हो सकती है कमजोरी

Netflix New Web Series: यह खून का रिश्ता है. पिशाचों की दुनिया का इंसानों की दुनिया से. नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज हुई वेबसीरीज (Webseries) टूथ परीः वेन लव बाइट्स (सीजन वन) की कहानी इन्हीं दोनों दुनियाओं के बीच आती-जाती है. महानगर कोलकाता (Kolkata) की इंसानी दुनिया के नीचे खून पीने वाले पिशाचों (Vampires) की एक दुनिया है. इसमें 1960 के दशक में मारे गए कुछ लोग पिशाच बनकर रहते हैं. वे रात को ऊपर इंसानों की दुनिया में आते हैं और लोगों का खून पीते हैं. लेकिन सभी आते. यहां एक ब्लड सप्लायर है, एडी (आदिल हुसैन) जो इंसानी दुनिया से नीचे खून की सप्लाई करता रहता है. मगर इंसानी दुनिया के लोग इस बात पर भरोसा नहीं करते कि उनके पैरों तले की दुनिया में खून पीने वाले पिशाच रहते हैं. इक्का-दुक्का किसी इंसान ने इन रक्त-पिशाचों को देखकर कहा भी, तो उन्हें पागल करार दिया गया. हालांकि एक संगठन है कटमुंडू. परंतु उसके सदस्य खुलकर सामने नहीं आते. वे चुपचाप इन पिशाचों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं.

प्यार की दो दुनिया
बेहद अश्वसनीय-सी लगने वाली यह कहानी औसतन चालीस-चालीस मिनट की आठ कड़ियों में फैली है. दो अलग-अलग दुनियाओं वाली इस कहानी में रोमांच पैदा करते हैं, पिशाचों की दुनिया में बगावत करने वाली रूमी (तान्या मानिकतला) और इंसानी दुनिया का एक युवा दंत चिकित्सक रॉय (शांतनु महेश्वरी). दोनों एक-दूसरे को दिल दे बैठते हैं. हालांकि डॉ. रॉय को शुरुआत में रूमी की हकीकत पता नहीं होती, परंतु जब सच सामने आता है तब भी सच्चा प्यार पीछे नहीं हटता. इसी तरह रूमी प्यार में कसम खाती है कि वह किसी को काटेगी नहीं, किसी का खून नहीं पीएगी. प्यार के दुश्मन हर कहानी में होते हैं. हर दुनिया में होते हैं. टूथ परी में भी ये लोग सामने आते हैं. अब सवाल यही बचता है कि प्यार करने वालों का क्या होगाॽ

बात वही, समस्याएं कई
टूथ परी के साथ कई समस्याएं हैं. सबसे पहली तो यही कि कहानी इतनी हवा-हवाई लिखी गई है कि आप किसी तरह विश्वास नहीं कर पाते. दूसरे रक्त-पिशाचों की दुनिया और रक्त-पिशाच, ये बेहद नकली और बोरियत भरे हैं. इंसान से पिशाच बने किसी किरदार की ढंग की बैकस्टोरी (Backstory) नहीं है. अपने लुक में उनकी दुनिया रामसे ब्रदर्स (Ramsey Brothers) की 1980 के दशक वाली फिल्मों का फील देती है. यह कहानी जमाने में लेखकों और निर्देशक ने इतना लंबा समय लिया कि पहले तीन एपिसोड बुरी तरह बोर करते हैं. आप समझ नहीं पाते कि यह सब इतनी धीमी गति से क्यों चल रहा है. चौथे एपिसोड तक कहानी कुछ जमती है परंतु सातवें एपिसोड तक आते-आते फिर बिखर जाती है. क्लाइमेक्स (Climex) निराश करता है. बिना थ्रिल वाली कहानी अंत में बताती है कि अगला सीजन आएगा.

बनावटी और कॉमिक
हिंदी के कंटेंट मेकर्स का बंगाली प्रेम इधर लगातार सामने आ रहा है. करीब महीने भर पहले मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे (Mrs. Chatterjee VS Norway) और पिछले हफ्ते मिसेज अंडरकवर (Mrs. Undercover) जैसी बंगाली किरदारों वाली फिल्में आईं. टूथ परी में भी कोलकाता की पृष्ठभूमि में पूरा बंगाली फ्लेवर है. बीते साल के आखिरी दिनों में ओटीटी फिल्म फ्रेडी में कार्तिक आर्यन (Kartik Aryan) दांत के डॉक्टर बने थे. अब टूथ परी का हीरो भी दंत चिकित्सक है. कंटेंट में यह दोहराव है. कहानी में भूत-पिशाच नई या अनोखी बात नहीं है. लेकिन समस्या यह है कि कहानी के ट्रीटमेंट में नयापन नहीं है. धार नहीं है. संवादों में दम नहीं है. एक तरफ रूमी और डॉ. रॉय को निर्देशक असली बताने की कोशिश करते हैं, वहीं उनके आस-पास की दुनिया को बनावटी और कॉमिक बना कर दर्शकों को रिलीफ देने की कोशिश होती है. जिसके तय नहीं हो पाता कि कहानी का वास्तविक टोन क्या है.

न उल्लास, न मादकता
टूथ परी कुल मिलाकर एक औसत वेबसीरीज साबित होती है. कई जगहों पर लगता है कि देखने वाले का ही खून पीया जा रहा है. सीरीज देखते-देखते वह कमजोरी के शिकार हो सकता है. तान्या मानिकतला ने जो असर वेब सीरीज अ सूटेबल बॉय में छोड़ा था, वह यहां नहीं छोड़ पातीं. जबकि शांतनु माहेश्वरी का किरदार दबा हुआ है. वह कभी खुलकर रंग में नजर नहीं आते. सिकंदर खेर के पास जरूर यहां मौके थे, परंतु उन मौकों की सीमाएं थीं. ऐसा कम ही होता है कि रेवती (Revti) और आदिल हुसैन (Adil Hussain) जैसे किरदार निराश करें. यहां यह दिखता है. शाश्वत चटर्जी और तिलोत्तमा शोम के किरदारों को कुछ अलग ढंग से लिखा गया, परंतु उनके लिए कहानी में खास जगह नहीं थी. वेब सीरीज में न थ्रिल (Thrill) है और न हॉरर (Horror). लव स्टोरी में न उल्लास है और न मादकता. यह ठंडे-जमे हुए खून की तरह है.

निर्देशकः प्रतिम दासगुप्ता
सितारे: तान्या मानिकतला, शांतनु माहेश्वरी, सिकंदर खेर, रेवती, शश्वत चटर्जी, तिलोत्तमा शोम, आदिल हुसैन
रेटिंग**1/2

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