Smriti Irani speech: स्मृति ईरानी ने बताया कि जब वह सात साल की थीं तो एक रविवार का दिन था. उन्हें और उनकी दो छोटी बहनों को चावल और काली दाल खाने को मिली थी. घर में एक अजीब सी हलचल थी लेकिन वह इस बारे में कुछ समझ नहीं पाईं.
Trending Photos
Smriti Irani childhood story: बीजेपी की फायरब्रांड लीडर और अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी अभिनय से राजनीति तक का सफर तय कर चुकी हैं. वे अक्सर महिलाओं के मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखती हैं. हाल ही में उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने अपने बचपन के एक भावुक पल का जिक्र किया. उन्होंने अपनी मां के संघर्ष की कहानी सुनाते हुए बताया कि कैसे एक समय था जब उनकी मां को सिर्फ इसलिए घर छोड़ना पड़ा क्योंकि वह बेटा पैदा नहीं कर पाईं. इस कहानी ने न केवल मंच पर बैठे लोगों की आंखें नम कर दीं बल्कि यह उन हजारों महिलाओं की स्थिति को भी उजागर करती है जो समाज की रूढ़ियों का सामना कर रही हैं.
जब सात साल की स्मृति को समझ आया अन्याय
असल में स्मृति ईरानी ने बताया कि जब वह सात साल की थीं तो एक रविवार का दिन था. उन्हें और उनकी दो छोटी बहनों को चावल और काली दाल खाने को मिली थी. घर में एक अजीब सी हलचल थी, लेकिन वह इस बारे में कुछ समझ नहीं पाईं. तभी उनकी मां कमरे में आईं और पूछा कि क्या उन्होंने खाना खा लिया. स्मृति और उनकी बहनों ने जवाब दिया, 'हां'. तभी मां ने कहा कि अब तुम्हारे बैग पैक हो चुके हैं, हमें जाना है. बिना किसी सवाल-जवाब के वे बैग लेकर निकल गईं. स्मृति ने बताया कि उस समय वह समझ ही नहीं पाईं कि यह सब क्यों हो रहा है.
घर छोड़ने की वजह बनी समाज की सोच
रास्ते में स्मृति ने मां से पूछा कि वे घर क्यों छोड़ रहे हैं. उनकी मां ने जवाब दिया कि मैं इस घर को एक बेटा नहीं दे पाई, इसलिए हमें जाना होगा. यह शब्द स्मृति के दिल में गहरे उतर गए. जब वे घर से बाहर निकलीं तो उन्होंने अपनी मां से कहा कि एक दिन मैं इस घर को खरीदूंगी. उस समय उनकी मां को भी नहीं पता था कि यह छोटी बच्ची एक दिन इतना आगे बढ़ेगी कि उस घर को खरीदने की स्थिति में होगी. बाद में स्मृति दिल्ली आईं कड़ी मेहनत की, एक साथ कई नौकरियां कीं और अपने बलबूते पर उन्होंने अपना करियर बनाया.
41 साल बाद जब सपना पूरा होने को था...
स्मृति ईरानी ने आगे बताया कि वर्षों की मेहनत के बाद जब वह आर्थिक रूप से सक्षम हुईं तो उन्होंने अपनी मां को फोन किया और कहा कि मैं वहीं हूं, जहां आपने मुझे 41 साल पहले छोड़ा था. अब मैं इस घर को खरीद सकती हूं. तब उनकी मां ने उनसे पूछा कि ईमानदारी से बताओ, क्या तुम अब भी इस घर को खरीदना चाहती हो? स्मृति ने थोड़ी देर तक घर को देखा और फिर जवाब दिया नहीं. तब उनकी मां ने उन्हें सिखाया कि गुस्से को माफ करना और बीती बातों को छोड़ना बहुत जरूरी है. यही जीवन की सबसे बड़ी सीख होती है.
"Learn to forgive yourself, Learn to forgive your anger, Learn to forgive those who did injustice to you and... that's your best gift to yourself..."
5.10 minutes of your time you must spend to listen to .@smritiirani Ji's probably one of the best speeches. pic.twitter.com/yFZMhweLQQ
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) February 23, 2025
मां की सीख और महिलाओं के लिए संदेश
अपनी मां की बात को याद करते हुए स्मृति ने कहा कि अगर तुम्हें मेरी तरह बनना है, तो पहला सबक यह है कि हर पल को पूरी तरह से जियो. जरूरी नहीं कि हर चमक-दमक वाली चीज को अपनाओ बल्कि उस चीज को देखो जो तुम्हें शांति दे. जब तुम दूसरों को माफ करना सीख जाओ तब खुद को भी माफ करना सीखो. अपने गुस्से के लिए थक जाने के लिए दौड़ने के लिए, और समय न मिलने के लिए खुद को माफ करो. उन्होंने आगे कहा कि इंसान को अपनी असलियत कभी नहीं खोनी चाहिए. क्योंकि पूरी दुनिया में उसकी कई प्रतियां मिल जाएंगी, लेकिन असली 'तुम' सिर्फ एक ही हो.
संघर्ष से सफलता त,..स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी ने अपने करियर की शुरुआत छोटे पर्दे से की थी और 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' से घर-घर में लोकप्रियता हासिल की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और आज देश की जानी-मानी हस्ती बन चुकी हैं. 2001 में उन्होंने जुबिन ईरानी से शादी की और आज वे अपने बच्चों के साथ एक खुशहाल जीवन बिता रही हैं. लेकिन इस सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष और उनकी मां द्वारा दी गई सीख छुपी हुई है.