Hathras Stampede Update: आंखों में उल्लू वाला काजल लगाकर भक्तों को करता था सम्मोहित! खुल रहे बाबा के पाखंड के किस्से
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Hathras Stampede Update: आंखों में उल्लू वाला काजल लगाकर भक्तों को करता था सम्मोहित! खुल रहे बाबा के पाखंड के किस्से

Hathras Stampede Update: हाथरस भगदड़ के जिम्मेदार सूरजपाल जाटव उर्फ नारायण साकार हरि बाबा के पाखंड के कई किस्से लगातार सामने आ रहे हैं. भक्तों का कहना है कि वह दूसरों को सम्मोहित करने के लिए उल्लू वाला काजल लगाता था. 

Hathras Stampede Update: आंखों में उल्लू वाला काजल लगाकर भक्तों को करता था सम्मोहित! खुल रहे बाबा के पाखंड के किस्से

Narayan Sakar Hari Ullu Hypnosis Vidya: बाबा साकार हरि के पुराने भक्तों ने कई और बड़े खुलासे किए बाबा के पुराने भक्तों ने आरोप लगाया कि बाबा साकार हरि लोगों को सम्मोहित करने के लिए तंत्र साधना भी करता है. वह अपनी आंखों में उल्लू वाला काजल लगाता है. कुछ लोगों का तो ये भी आरोप है कि बाबा तंत्र साधना में उल्लू का इस्तेमाल करता है. भक्तों का ये कहना है कि बाबा नारायण साकार हरि की आंखों में कुछ है. जिसकी वजह से सत्संग में आये सभी लोग उसकी ओर खिंचे चले आते हैं. 

उधर हाथरस में 123 लोगों की मौत का जिम्मेदार बाबा साकार हरि बहुत जल्द पुलिस के शिकंजे में होगा. बाबा की करेंट लोकेशन मिल गई है और दावा किया जा रहा है कि बाबा मैनपुरी में बने अपने आश्रम में ही छिपा बैठा है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बाबा साकार हरि मैनपुरी के आश्रम में ही आराम फरमा रहा है.

क्या मैनपुरी आश्रम में छिपा है बाबा

मैनपुरी का ये वही आश्रम है, जहां 2 जुलाई को बाबा पहुंचा था. 2 जुलाई को दोपहर 3 बजे से लेकर शाम साढ़े चार बजे तक बाबा की लोकेशन इसी मैनपुरी आश्रम में मिली थी लेकिन शाम साढ़े 4 बजे के बाद से बाबा का फोन स्विच ऑफ हो गया और बाबा का कहीं अता-पता नहीं चला. अब इस बात के पुख्ता सबूत मिल रहे हैं कि बाबा हो ना हो मैनपुरी के इसी आश्रम में है और उसे बचाने की कहीं ना कहीं कोशिश की जा रही है.

ऐसा इसलिए क्योंकि अगर बाबा आश्रम में नहीं है तो फिर मैनपुरी आश्रम के बाहर इतनी बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स क्यों लगाई गई है. दूसरा सवाल ये है कि अगर आश्रम में कोई नहीं है तो मैनपुरी पुलिस किसे सुरक्षा दे रही है. तीसरा सवाल ये है कि आश्रम के अंदर मीडियाकर्मियों को जाने क्यों नहीं दिया जा रहा है.

आश्रम में कई लोग आज तक वापस नहीं लौटे

ये तो सिर्फ ट्रेलर है, कई ऐसे रहस्य हैं जो बाबा के मैनपुरी वाले आश्रम में दफ्न हैं. इन्हीं में से एक रहस्य है आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की गुमशुदगी का, जो बाबा के आश्रम में सत्संग सुनने तो आए लेकिन लौटकर घर नहीं गए. इन्हीं में से एक बुजुर्ग हैं महावीर... जो 21 मई को बाबा का सत्संग सुनने आए थे लेकिन उसके बाद से लापता हैं. महावीर को बाबा के आश्रम से धरती निगल गई या आसमान खा गया ये कोई नहीं जानता. लेकिन बुजुर्ग के ना मिलने से उनके परिवार वाले बेहद परेशान हैं.

परिवार के लोग बुजुर्ग की तलाश में चप्पा-चप्पा छान रहे हैं. लेकिन पीड़ित परिवार की ना तो सेवादार मदद कर रहे हैं और ना ही खुद को परमात्मा का दर्जा देने वाला बाबा कोई मदद कर रहा है. एक तरफ तमाम सवाल हैं तो वहीं दूसरी तरफ जारी है बाबा साकार हरि की तलाश, जो खुद को परमात्मा बताता है. लेकिन 123 लोगों की मौत के बाद से अंडर ग्राउंड है.

खत्म हो रहा पाखंड का साम्राज्य

बाबा की जैसे-जैसे मुसीबत बढ़ रही है, वैसे-वैसे खत्म हो रहा है उसका काला साम्राज्य. जिसे उसने पाखंड की आड़ में फैला रखा था. 123 लोगों की मौत के लिए बाबा के भक्त सीधे तौर पर बाबा साकार हरि को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं गायत्री देवी, जो कल तक बाबा की भक्त थी. इन्होंने सत्संग के लिए 10,000 रुपये का गुप्त दान किया था, लेकिन 123 लोगों की मौत के बाद गायत्री देवी का बाबा के पाखंड से भरोसा उठ गया. 

गायत्री देवी ने कहा, 'बाबा तो बोलते थे कि हम मरे हुए लोगों को जिंदा कर सकते हैं. अगर ऐसे ही बाबा थे तो जो इतनी बड़ी घटना हुई है तो क्यों नहीं उन्होंने सुदर्शन चक्र चलाया था, चलाते तो जनता बच जाती.' 

सेवादारों को भी नहीं बख्शा

गायत्री देवी उन सेवादारों की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्हें पुलिस हादसे के लिए जिम्मेदार मानकर तलाश रही है. लेकिन गायत्री देवी का कहना है कि उनका कोई कसूर नहीं है और उन्हें फंसाया जा रहा है. गायत्री देवी कहती हैं, 'इन्होंने मेरा नाम लिस्ट में सबसे नीचे लिख दिया क्यों लिखा था. उसमें मोबाइल नंबर भी लिख दिया. हम जो दान दिए थे वो फेंक देते.' 

दरअसल हाथरस में भगदड़ के लिए पुलिस बाबा और कार्यक्रम के आयोजकों को जिम्मेदार मान रही है. पुलिस की तरफ से 78 आयोजकों की लिस्ट जारी की गई है, जिसमें गायत्री देवी का नाम भी शामिल है और उन्हें दोषियों की लिस्ट में शामिल किया गया है.

मैनपुरी के लोग नहीं आए बहकावे में

आम भक्तों को तो छोड़ो, बाबा ने अपने सेवादारों को भी नहीं छोड़ा. भोले-भाले लोगों की मजबूरी का फायदा बाबा ने बखूबी उठाया. जिनसे जितना माल बाबा लूट पाया उनसे उतना माल लूटा. लेकिन बाबा के इस बहकावे में मैनपुरी के लोग नहीं आए. 

चूंकि मैनपुरी के बिछवां गांव के लोग शुरू से ही बाबा को परमात्मा नहीं बल्कि पाखंडी मानते थे, इसलिए बाबा के आश्रम के आसपास रहने वाले लोग कभी बाबा का चमत्कार देखने नहीं गए. यहां के लोगों का मानना है कि बाबा लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें ठगता है और अपनी जेब भरता है. 

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