SHE Season 2 Review: अदिति मजबूत लेकिन कमजोर पड़ा कहानी का नेटवर्क, बोल्ड दृश्यों से भरा सीजन
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SHE Season 2 Review: अदिति मजबूत लेकिन कमजोर पड़ा कहानी का नेटवर्क, बोल्ड दृश्यों से भरा सीजन

SHE Season 2 Review: क्या अंडरकवर महिला पुलिस कॉन्स्टेबल एक अपराधी को पकड़वाने की कोशिश करते हुए, उसके जैसी हो जाएगी क्योंकि कमजोरियां हर इंसान में होती हैं. जरूरतें और हालात कई बार इंसान को मजबूर बना देते हैं. शी का दूसरा सीजन ऐसे ही सवालों के जवाब देता है.

SHE Season 2 Review: अदिति मजबूत लेकिन कमजोर पड़ा कहानी का नेटवर्क, बोल्ड दृश्यों से भरा सीजन

SHE Season 2 Review: जिससे तुम नफरत करते हो उसे मारना कोई बड़ी बात नहीं. लेकिन जिससे तुम प्यार करते हो, उसे मारने से ‘असली पावर’ मिलती है. यह है नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज हुई वेबसीरीज शी (वह स्त्री) के सीजन 2 का फलसफा. मुंबई पुलिस की साधारण कॉन्स्टेबल भूमिका परदेशी उर्फ भूमि (अदिति पोहनकर) पूरे देश में ड्रग्स का नेटवर्क चलाने वाले खूंखार अपराधी नायक (किशोर कुमार जी) को पकड़वाने के अंडरकवर मिशन पर है. नायक की कोई तस्वीर या वीडियो पुलिस क्या, किसी के पास नहीं है. जो बाहरी व्यक्ति नायक को देख लेता है, वह उसे मार डालता है. पुलिस को यह भी लगता है कि नायक कोई है ही नहीं, सिर्फ वहम है. लेकिन सच यह है कि दर्शक बार-बार भूमि को नायक के साथ देखते हैं. दोनों के जीवन में प्रेम का अभाव है और ऐसे अकेलेपन में वे एक-दूसरे की जरूरत बन जाते हैं.

भूमि का समर्पण

कहानी में भूमि लगातार दोनों खेमों में आती-जाती है. पुलिस अपने हिसाब से भूमि का इस्तेमाल नायक के विरुद्ध करती है. नायक अपने बचाव के रास्ते ढूंढने के लिए भूमि को पुलिस के पास भेजता है. भूमि को दोनों की जरूरत है. नौकरी की भी और नायक की भी. भूमि की निजी जिंदगी ट्रेजडी से भरी है, जिसमें न पिता का प्यार मिला और न पति का. पिता और पति उसके अपराधी हैं. वह नायक में दोनों की तलाश करती है. नायक के पास उसे सुरक्षा का एहसास होता है. उसकी बांहों में वह सुकून पाती है. पूरी कहानी में भूमि जब-जब नायक के सामने आती है, एक तेज-तर्रार-ताकतवर पुरुष के सामने समर्पित स्त्री की तरह झुकती है. साथ ही वह कहती है कि इसमें उसे खुशी महसूस होती है. यह खुशी उसके चेहरे और बॉडी लैंग्वेज में दिखाई देती है.

कमजोर नेटवर्क

सीजन 2 में पुलिस नायक को तलाश कर उसके ड्रग्स के नेटवर्क को ध्वस्त करने की कोशिश में है. नायक ने मुंबई में ड्रग्स मिलना च्युंगम मिलने जैसा आसान बना दिया है. लेकिन शी 2 का यह हिस्सा इसकी कमजोर कड़ी है. सीरीज के लेखक प्रसिद्ध निर्देशक इम्तियाज अली हैं और उनके भाई आरिफ इसके डायरेक्टर हैं. जब-जब शी की कहानी ड्रग नेटवर्क की तरफ मुड़ती है, इसकी कसावट ढीली पड़ जाती है. इस नेटवर्क का कामकाज ठीक ढंग से समझा भी नहीं आता. इस ट्रैक में दृश्यों-संवादों में दोहराव भी आप देख सकते हैं.

अदिति की छवियां

नायक के किरदार के रूप में किशोर कुमार जी को ज्यादा कुछ करने को नहीं मिला. इस अभिनेता को या तो आप भूमि के साथ अंतरंग दृश्यों में देखते हैं या तीन-चार कंप्यूटर स्क्रीन्स के सामने, कुछ न कुछ टाइप करते हुए. भावनात्मक स्तर पर भी किशोर को ज्यादा चहल-पहल का मौका नहीं मिला. इसलिए वह सदा एक जैसे नजर आते हैं. वहीं अदिति पोहनकर जरूर विविधताओं से भरी हैं. अव्वल तो अदिति के किरदार में परतें हैं.

अंडरकवर पुलिस कांस्टेबल के रूप में उन्हें लगातार लोगों के सामने अभिनय करना पड़ता है. कभी सेक्स वर्कर, कभी सीनियरों के सामने अदब, कभी नायक के पास असहाय तो कभी उसे लुभाने की कोशिशें. उनके किरदार में और भी छवियां हैं. अदिति ने सभी को अच्छे से निभाया और वह इस सीरीज को देखने का मुख्य कारण हैं. मुख्य रूप से दो ही किरदारों के आस-पास रहने वाले इस कहानी में तीसरी मुख्य भूमिका भूमि के सीनियर फर्नांडिस (विश्वास कीनी) की है. विश्वास ने अपना रोल ठीक ढंग से निभाया है.

बोल्ड कंटेंट

जिन्होंने पिछला सीजन देखा है, वे यहां भूमि को पिछली बार से अधिक आत्मविश्वास से भरी पाएंगे. साथ ही उसकी जैविक इच्छाएं इस बार अधिक मुखर हैं. यह बोल्ड कंटेंट हैं. जिसमें अदिति पोहनकर और उनके पुरुष सह-कलाकार बेहिचक दिखते हैं. बड़े पर्दे पर नाजुक प्रेम कथाएं रचने वाले इम्तियाज अली ने अपराध का यह डार्क अंडरवर्ड और सेक्स वर्करों की दुनिया रची है, यह बात चौंकाती भी है.

यह कहानी अधिक बेहतर हो सकती थी, लेकिन इम्तियाज कुछ जगहों पर संभाल नहीं सके. वह बताते हैं कि संगत कैसे इंसान को बदलती है. औसतन 45-45 मिनट के सात एपिसोड के सीजन की एक समस्या यह भी है कि जब आपको लगता है, अंत में कोई बड़ा धमाका होगा, तो ऐसा नहीं होता. आखिरी एपिसोड सबसे कम एक्शन-इमोशन वाला साबित होता है और क्लाइमेक्स निराश करता है.

निर्देशक आरिफ अली ने लगभग रेडीमेड प्रोजेक्ट पर काम किया है. थोड़ी कल्पनाशीलता से इसे बेहतर बना सकते थे. कुछ दोहरावों को कम करके सीजन की कसावट बढ़ा सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बावजूद इसके एक अंधेरी दुनिया से रूबरू होने के लिए यह सीरीज देखी जा सकती है. अगर आपने पहला सीजन देखा है तो दूसरा देखने में हर्ज नहीं है.

निर्देशकः आरिफ अली

सितारेः अदिति पोहनकर, किशोर कुमार जी., विश्वास कीनी, शिवानी रंगोले, संदीप धाबाले

रेटिंग ***

प्लेटफॉर्मः नेटफ्लिक्स

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