Why Share Market Fall: जिस बात का डर सता रहा था, वहीं हुआ. अमेरिका के राष्ट्रपति की गद्दी पर डोनाल्ड ट्रंप के बैठते ही भारतीय शेयर बाजार की रंगत गायब हो गई. गायब भी ऐसी कि उधर ट्रंप ने शपथ ली और इधर सेंसेक्स 1400 अंक तक गिर गया.
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Why India's Share Market Fall: जिस बात का डर सता रहा था, वहीं हुआ. अमेरिका के राष्ट्रपति की गद्दी पर डोनाल्ड ट्रंप के बैठते ही भारतीय शेयर बाजार की रंगत गायब हो गई. गायब भी ऐसी कि उधर ट्रंप ने शपथ ली और इधर सेंसेक्स 1400 अंक तक गिर गया. ये गिरावट इतनी बड़ी है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि निवेशकों के 8.30 लाख करोड़ रुपये बर्बाद हो गए.
शेयर बाजार के लिए अमंगल मंगलवार
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के शपथ लेने के बाद शेयर बाजार में ऐसा तूफान आएगा, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. सेंसेक्स 1400 अंक गिरकर 75 हजार अंकों के लेवल पर आ गया. जबकि निफ्टी 23 हजार अंकों से नीचे गिर गई. ट्रंप ने आते ही ऐसे फैसले लेने शुरू किए कि बाजार में खौफ साफ तौर पर दिखने लगा. गिरावट के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियां का मार्केटकैप करीब 7 लाख करोड़ रुपये गिरकर 424 लाख करोड़ रह गया है, जो कि सोमवार को 431 लाख करोड़ था.
1400 अंक तक लुढ़क गया बाजार, 7 महीने के निचले स्तर पर
21 जनवरी को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी बिकवाली हावी रही. बाजार क्रैश हो गया. दिन के कारोबार में सेंसेक्स 1431 अंक तक गिरकर 75,641.87 अंक पर पहुंच गया, वहीं निफ्टी 367.9 अंक लुढ़कर 22,976.85 अंक पर पहुंच गई. बता दें कि 7 जून 2024 के बाद ये पहला मौका है, जब निफ्टी 23000 अंक के नीचे लुढ़क गया. आखिरकार 1235.08 अंक गिरकर सेंसेक्स 75,838.36 अंक पर बंद हुआ. बाजार जानकारों की मानें तो शेयर बाजार में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है. इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान है. जानकारों का कहना है कि ट्रंप 2.0 में आर्थिक निर्णयों को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. हालांकि, कनाडा और मैक्सिको पर संभावित 25 प्रतिशत टैरिफ के संकेत से पता चलता है कि टैरिफ वृद्धि नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा.
शेयर बाजार की गिरावट का ट्रंप कनेक्शन
अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता है. ‘ट्रंप’नॉमिक्स का खौफ दुनिया के सभी शेयर बाजारों में देखने को मिल रहा है. ट्रंप की वापसी के साथ ही बीएसई स्टॉक एक्सचेंज साढ़े 7 महीने के लोअर लेवल पर पहुंच गया. टैरिफ बढ़ोतरी पर ट्रंप के अप्रत्याशित रुख के बीच निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं. निवेशक ट्रंप के फैसलों से संभावित नीतिगत बदलावों से चिंतित हैं.
‘ट्रंप’नॉमिक्स का खौफ
डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के साथ ही कनाडा, मैक्सिको समेत ब्रिक्स देशों पर टैरिफ प्रहार करने का ऐलान किया. ब्रिक्स देशों पर टैरिफ बढ़ाने के फैससे ने निवेशकों में खलबली मचा दी. बता दें कि ब्रिक्स देशों में चीन, ब्राजील, रूस और साउथ अफ्रीका समेत भारत भी शामिल है. ट्रंप ने ऐलान कियाकि उन देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाई जाएगी, जो अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डॉलर पर निरभरता कम करना चाहते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ब्रिक्स देश डीडॉलराइजेशन करने की कोशिश जारी रखेंगे तो उन्हें 100 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा.
आते ही दे दिया इन दो देशों को झटका
ट्रंप अगर ऐसा करते हैं तो भारत पर भी इसका असर होगा. जिसने बाजार और निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. ये चिंता उस वक्त और बढ़ गई जब ट्रंप ने शपथ लेने के बाद ही ऐलान कर दिया कि 1 फरवरी से मैक्सिको और कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने पर विचार किया जा रहा है. ऐसी अनिश्चितता की स्थिति, मुद्रास्फीति के दबाव और ट्रंप के आने के बाद डॉलर के मजबूत होने की संभावना ने निवेशकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. ट्रंप ने इस फैसले ने भारतीय बाजार पर दवाब बढ़ा दिया है. निवेशक सतर्कता का रुख अपना रहे हैं.
बाजार में गिरावट की वजह से भी
इसके अलावा कंपनियों के तिमाही नतीजे, विदेशी निवेशकों की बिकवाली का दवाब बाजार झेल नहीं पा रहा है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 20 जनवरी को 4,336 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे. ग्लोबल बाजार जापान के केंद्रीय बैंक से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं.