दवाइयों के बिना ही प्री-डायबिटीज से मिल सकती है मुक्ति! लेटेस्ट रिसर्च का बड़ा दावा
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दवाइयों के बिना ही प्री-डायबिटीज से मिल सकती है मुक्ति! लेटेस्ट रिसर्च का बड़ा दावा

जब ब्लड शुगर का लेवस नॉर्मल से ज्यादा लेकिन डायबिटीज की रेंज से कम होता है, तो वह प्री-डायबिटीज स्टेज कहलाता है. यह स्थिति कई लोगों के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि समय पर ध्यान न देने से यह टाइप-2 डायबिटीज में बदल सकती है.

दवाइयों के बिना ही प्री-डायबिटीज से मिल सकती है मुक्ति! लेटेस्ट रिसर्च का बड़ा दावा

प्री-डायबिटीज वह स्टेज होता है, जब ब्लड शुगर का लेवस नॉर्मल से ज्यादा लेकिन डायबिटीज की रेंज से कम होता है. यह स्थिति कई लोगों के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि समय पर ध्यान न देने से यह टाइप-2 डायबिटीज में बदल सकती है. लेकिन लेटेस्ट रिसर्च के अनुसार, दवाइयों के बिना भी प्री-डायबिटीज से मुक्ति पाई जा सकती है, अगर लोग अपने लाइफस्टाइल में कुछ अहम बदलाव करें.

यूएस बेस्ड एक बड़े मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च में यह पाया गया कि सही खानपान, नियमित व्यायाम और मानसिक तनाव को कंट्रोल करके प्री-डायबिटीज के जोखिम को 60% तक कम किया जा सकता है. रिसर्च में 1,000 से अधिक प्री-डायबिटिक लोगों को शामिल किया गया और उन्हें दो समूहों में बांटा गया. पहले समूह को जीवनशैली में सुधार करने की सलाह दी गई, जबकि दूसरे समूह को सामान्य दिनचर्या का पालन करने दिया गया. एक साल के बाद पहले समूह में शामिल 70% लोगों का ब्लड शुगर लेवल सामान्य पाया गया.

लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव

बैलेंस डाइट: प्री-डायबिटीज को रोकने के लिए सही पोषण का होना बेहद जरूरी है. फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर डाइट का सेवन करें. चीनी और जंक फूड से बचें.

नियमित व्यायाम: हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना, दौड़ना या योग करना, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.

वजन कंट्रोल: अधिक वजन प्री-डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है. वजन को संतुलित रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

तनाव प्रबंधन: तनाव का सीधा असर ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है. मेडिटेशन जैसे उपाय अपनाकर तनाव को दूर रखें.

ब्लड शुगर का नॉर्मल लेवल क्या है?
रिसर्च में बताया गया है कि खाली पेट ब्लड शुगर का नॉर्मल लेवल 70-99 mg/dL के बीच होना चाहिए. प्री-डायबिटीज की स्थिति में यह स्तर 100-125 mg/dL हो सकता है. इससे ज्यादा लेवल डायबिटीज की ओर इशारा करता है.

दवाओं की जगह नेचुरल उपाय
शोधकर्ताओं का मानना है कि दवाइयों पर निर्भरता को कम करने के लिए लोगों को अपनी दिनचर्या को हेल्दी बनाना चाहिए. नियमित हेल्थ चेकअप और डॉक्टर की सलाह लेकर आप प्री-डायबिटीज को बढ़ने से रोक सकते हैं.

भारत में बढ़ती जागरूकता की जरूरत
डायबिटीज विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और खराब खानपान आदतें प्री-डायबिटीज के मामलों को बढ़ा रही हैं. इस रिसर्च से यह साफ है कि सही समय पर सावधानी और बेहतर लाइफस्टाइल अपनाकर बड़ी बीमारी से बचा जा सकता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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