बोन मैरो ट्रांसप्लांट, जिसे हेमेटोपोइटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है, ये एक मेडिकल प्रोसीजर है जो कई बहुत ज्यादा बीमार इंसान की जान बचा सकता है.
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Bone Marrow Transplant Risk And Benefits: बोन मैरो ट्रांसप्लांट, जिसे हेमेटोपोइटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है, ये एक मेडिकल प्रोसीजर है जो कई बहुत ज्यादा बीमार इंसान की जान बचा सकता है. हालांकि कई मेडिकल ट्रीटमेंट की तरह इसके भी फायदे और रिस्क दोनों ही हैं जिसको लेकर हमनें फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. विकास दुआ (Dr Vikas Dua) से बात की.
बोन मैरो ट्रांसप्लांट के फायदे
डॉ. विकास दुआ ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट के अहम फायदों में से एक ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और कुछ जेनेटिक डिसऑर्डर जैसी कई बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है. इस प्रोसेस में डैमेज्ड या बीमार बोन मैरो को हेल्दी स्टेम सेल्स से बदलना शामिल है, जिससे शरीर को सामान्य रक्त कोशिकाओं का उत्पादन होता है. बोन मैरो को प्रभावित करने वाली बीमारियों वाले रोगियों के लिए ये तरीका उन्हें लंबी जिंदगी जीने का मौका मिलता है.
बोन मैरो ट्रांसप्लांट के खतरे
हालांकि बोन मैरो ट्रांसप्लांट में रिकवरी बिना चैलेंज के नहीं होती, इसका एक बड़ा रिस्क है ग्राफ्ट वर्सेज होस्ट डिजीज, ये एक ऐसा मेडिकल कंडीशन है जो जिसमें ट्रांसप्लांट होने वाला सेल रेसिपिएंट टिश्यू को अटैक करता है. ये इम्यून सिस्टम रिस्पॉन्स माइल से लेकर सीवियर हो सकता है जिससे शरीर के कई अंगों और ऑर्गन सिस्टम पर असर पड़ सकतै है. जीवीएड को मैनेज करने के लिए देखरेख वाला मेडिकल इंटरवेंशन और इम्यूनोसप्रेसिव मेडिकेशन की जरूरत पड़ती है, और खुद इसमें कई तरह के खतरे होते हैं.
इंफेक्शन का भी खतरा
बोन मैरो ट्रांसप्लांट में इंफेक्शन का भी खतरा रहता है, क्योंकि इस प्रोसीजर में इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, यानी पेशेंट को बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा खतरा ट्रांसप्लांट के शुरुआती सालों में ज्यादा होता है, इससे बचने के क्लोज मॉनिटरिंग और स्ट्रिक्ट मेजर लिए जाने चाहिए.
साइड इफेक्ट भी मुमकिन
इसके अलावा सबसे बड़ी चिंता का विषय ये है कि ट्रांसप्लांट से पहले कीमोथेरेपी और रेडिएशन का हाई डोज दिया जाता है, जिसके वजह से कई तरह के साइड इफेक्टस हो सकते हैं जिसमें उल्टी, थकान और ब्लीडिंग शामिल है. भले ही ये साइड इफेक्ट्स कुछ समय के लिए होते हैं लेकिन ये पेशेंट के वेल बीइंग को प्रभावित करता है और रिकवरी पीरियड को बढ़ा सकता है.
सकारात्मक पहलू
अगर पॉजिटिव साइड की बात करें, तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट के जरिए कई बीमारियों का लॉन्ग टर्म इलाज हो सकता है, इससे पेशेंट की क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार होता है. इस मेडिकल प्रोसीजर का फैसला पेशेंट की गहन जांच और ओवरऑल हेल्थ कंडीशन को देखकर लिया जाता है, इसमें रिस्क और फायदा कितना है ये भी गौर किया जाता है. इन बातों को जानकर हम ये कह सकते हैं कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट किसी की जिंदगी बचाने का एक पॉवरफुल मेडिकल इंटरवेंशन है, हालांकि ये रास्ता चुनौतियों से भरा पड़ा है, जिसमें कई तरह के रिस्क हो सकते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.