Delhi court judgment: अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत न दी जाए. शिकायतकर्ता के वकील ने अदालत में बताया कि आरोपी ने पीड़िता पर शारीरिक हमला किया. उसके चेहरे पर बीयर की बोतल फेंकी और जलती सिगरेट से उसके शरीर को दागा.
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Domestic Violence Case: समाज में महिलाओं के प्रति अपराध चिंता का विषय बने हुए हैं. इसी कड़ी में दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने, बिना सहमति के गर्भपात कराने और क्रूरता के गंभीर आरोपों में फंसे एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायाधीश सुनील कुमार ने कहा कि आरोपी पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और शिकायतकर्ता के बयान से ये पूरी तरह स्पष्ट होते हैं. अदालत ने यह फैसला महिला सुरक्षा और समाज में महिलाओं के सम्मान की रक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना.
दरअसल, आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), धारा 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराना), और 498 ए (महिला के साथ क्रूरता करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि आरोपी ने अपनी पत्नी पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार किए. अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों के बावजूद आरोपी को जमानत देना न्याय के हित में नहीं होगा.
शिकायतकर्ता के वकील ने अदालत में बताया कि आरोपी ने पीड़िता पर शारीरिक हमला किया, उसके चेहरे पर बीयर की बोतल फेंकी और जलती सिगरेट से उसके शरीर को दागा. पीड़िता ने प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने दहेज की मांग की और जब उसकी मांग पूरी नहीं हुई, तो उसने न केवल उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि जनवरी 2022 में जबरन उसका गर्भपात भी करा दिया.
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने अदालत में तर्क दिया कि आरोपी ने केवल घरेलू हिंसा ही नहीं की, बल्कि कानून के गंभीर उल्लंघन करते हुए आईपीसी की धारा 377 और 313 के तहत अपराध किए हैं. अभियोजक ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी को जमानत देना न्याय के साथ समझौता होगा. अदालत ने इन तर्कों को ध्यान में रखते हुए आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी. पीटीआई इनपुट Photo: AI