दिल्ली के बाद अब मिशन बिहार भाजपा का अगला एजेंडा है. पार्टी ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. उसे अपने सहयोगियों को साधते हुए सत्ता बरकरार रखनी है. हालांकि यूपी के एक सहयोगी दल ने उसके लिए मुसीबत पैदा करनी शुरू कर दी है. अभी सीट शेयरिंग की चर्चा नहीं हो रही, लेकिन इस सहयोगी ने आरजेडी से हाथ मिलाने की बात कर दी है.
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OM Prakash Rajbhar Bihar Chunav: देश का राजनीतिक फोकस अब दिल्ली से शिफ्ट होकर बिहार की तरफ है. इस हिंदीभाषी राज्य में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली में एनडीए की बैठक से आई मुस्कुराती तस्वीरों के बीच यूपी में भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) अपनी अलग रणनीति पर काम करती दिख रही है. ओबीसी वोटरों में लोकप्रिय ओम प्रकाश राजभर की पार्टी बिहार में अभी से समीकरण सेट करने में जुट गई है. SBSP चाहती है कि बिहार में सीट शेयरिंग के समय भाजपा उसे 15 से 25 सीटें दे. इसके लिए एसबीएसपी ने अभी से 'प्रेशर पॉलिटिक्स' शुरू कर दी है. इसके तहत बिहार में पिछले तीन महीने में राजभर की पार्टी ने ताबड़तोड़ 24 रैलियां की हैं.
SBSP के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं. बिहार का राजनीतिक समीकरण देखें तो यहां भाजपा और सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू के अलावा एनडीए के तीन और घटक दल हैं. इसमें चिराग पासवान की लोजपा (RV), जीतन राम मांझी की HAM (S) और उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल है. अभी तक भाजपा ने बिहार में मुख्यमंत्री का पद अपने जूनियर पार्टनर जेडीयू को दिया था लेकिन ऐसा लग रहा है कि आगे बिहार चुनाव के समय सीट बंटवारे में SBSP के प्रेशर का सामना करना पड़ सकता है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, SBSP नेताओं का दावा है कि उन्होंने पहले ही भाजपा नेतृत्व को बिहार की 25 विधानसभा सीटों पर अपनी तैयारियों से अवगत करा दिया है. उन्होंने संकेत दिया कि अगर बीजेपी उनकी पार्टी को पसंद की सीटें देती है तो वे 15 सीटों पर समझौता कर सकते हैं. भाजपा के लिए चिंता की बात यह है कि ओबीसी वोटरों को साधने वाली इस पार्टी ने दूसरों दलों के साथ गठबंधन करने के लिए अपने विकल्प खुले रखे हैं.
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SBSP के महासचिव ने कहा, 'बिहार में गठबंधन के लिए एनडीए हमारी पहली पसंद है. भाजपा के साथ चर्चा भी चल रही है लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ औपचारिक बैठक होनी बाकी है. इधर, एसबीएसपी ने 25 सीटों पर तैयारी कर रखी है. भाजपा का रीएक्शन सकारात्मक है लेकिन भाजपा सीट बंटवारे में एसबीएसपी को शामिल करने पर सहमत नहीं होती है तो हम राष्ट्रीय जनता दल (लालू यादव की पार्टी RJD) सहित दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाशेंगे.'
SBSP ने सासाराम, पश्चिम चंपारण, नवादा, नालंदा, गया, औरंगाबाद और बेतिया सहित 28 जिलों में 25 सीटों का चयन किया है. पार्टी सूत्रों ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि बिहार चुनाव की तैयारियों के तहत एसबीएसपी ने पिछले तीन महीनों में बिहार के कई इलाकों में 24 रैलियां की हैं. पार्टी की आखिरी रैली 30 जनवरी को पूर्णिया जिले में 'महिला जागो-जगाओ महारैली' थी. अब 17 मार्च को पश्चिम चंपारण में अगली जनसभा है.
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पार्टी नेताओं का कहना है कि इन रैलियों के जरिए एसबीएसपी ओबीसी और महादलितों (अत्यंत पिछड़े दलित) से जुड़ने की कोशिश कर रही है, जो जेडीयू के साथ-साथ प्रमुख विपक्षी दल राजद के वोट बैंक का हिस्सा हैं. एसबीएसपी का दावा है कि राजभर, राजवार, राजवंशी और राजघोष जैसे कुछ ओबीसी समूहों के बीच उनका सपोर्ट बेस है जो कथित तौर पर बिहार की आबादी का लगभग 4.5 प्रतिशत हैं.
उन्होंने कहा, 'हमने महिलाओं के बीच उनके सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई रैलियां की हैं जिससे वे अपने परिवारों को भी इस बारे में जागरूक कर सकें. इन रैलियों में हम महिलाओं के लिए आरक्षण, ओबीसी और एससी/एसटी के लिए कोटा बढ़ाने की जरूरत पर बात कर रहे हैं.'
पिछले साल एसबीएसपी ने बिहार में तिरारी और रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के लिए प्रचार किया था, जिसमें भाजपा ने जीत हासिल की थी. अरुण राजभर ने कहा कि उनकी पार्टी ने एआईएमआईएम के साथ गठबंधन में 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था. एसबीएसपी ने जिन दो सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें वह हार गई जबकि AIMIM ने 20 सीटों में से पांच पर जीत हासिल की.
पहले भी दिया भाजपा को झटका
एसबीएसपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा को झटका देते हुए एनडीए से संबंध तोड़ लिए थे. जुलाई 2023 में उसने गठबंधन में वापसी की. भाजपा को एक आंतरिक सर्वेक्षण में पता चला था कि एसबीएसपी पार्टी पूर्वी उत्तर प्रदेश में लगभग 12 लोकसभा सीटों पर बढ़त हासिल करने में मदद कर सकती है.
एसबीएसपी ने 2022 के यूपी चुनावों में सपा के साथ गठबंधन किया था, जिसमें उसने 19 सीटों में से छह पर जीत हासिल की थी. बाद में गठबंधन टूट गया.