Kho Kho World Champion Monica: खेलो को प्रमोट कर रहे सीएम नीतीश, अधिकारी लगा रहे पलीता, वर्ल्ड चैंपियन मोनिका की स्थिति दयनीय
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Kho Kho World Champion Monica: खेलो को प्रमोट कर रहे सीएम नीतीश, अधिकारी लगा रहे पलीता, वर्ल्ड चैंपियन मोनिका की स्थिति दयनीय

Kho Kho World Champion Monica: बिहार के भागलपुर जिले की रहने वाली जिस बेटी ने खो खो वर्ल्ड कप में देश और राज्य का मान बढ़ाया था, वह चूल्हा पर खाना बनाती है. टूटे फूटे जर्जर मिट्टी के मकान में रहने को विवश है. मोनिका के परिवार को न ही पीएम आवास योजना का लाभ मिला है न ही उज्ज्वला योजना का. इनके परिवार की स्थिति दयनीय है. 

बिहार से इकलौती खो खो खिलाड़ी मोनिका की स्थिति दयनीय, न सरकारी योजनाओं का लाभ न सरकार का साथ

Kho Kho World Champion Monica: भागलपुर: मिट्टी का घर, मिट्टी का चूल्हा, बांस की लकड़ी का टुटा फूटा छत, पूरी तरह से जर्जर मकान यह घर किसी और का नहीं बल्कि खो खो वर्ल्ड कप चैंपियन मोनिका का घर है. चूल्हा फूंकती, हौसलों और उम्मीदों से भरी ये वही लड़की मोनिका है, जिसने देश का मान बढ़ाया है. जी हां ये वहीं मोनिका है, जिसने बीते 19 जनवरी को खो खो की भारतीय टीम में वर्ल्ड कप में 11 नंबर की जर्सी में जलवा बिखेर दिया था. हम जिस मोनिका की बात कर रहे हैं उसके घर की स्थिति काफी दयनीय है. देश का मान जिस बेटी ने बढ़ाया वह टूटे फूटे घर में इसलिए रह रही हैं, क्योंकि इनके माता-पिता को अब तक न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है और न ही उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला है. लिहाजा इनके घर में मिट्टी के चूल्हा पर खाना बनता है, लेकिन मोनिका को विश्वास है सरकार उनकी मदद जरूर करेगी. वहीं, खो खो में बिहार से इकलौती खिलाड़ी को बिहार सरकार से अब तक कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिला है. हालांकि, सरकार की ओर से चलाई जा रही बेहतर योजना मेडल लाओ नौकरी पाओ का लाभ मिलने की उम्मीद मोनिका को है. 

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बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के सीईओ रवीन्द्रन शंकरन ने मोनिका का हौसला अफजाई करते हुए उन्हें सुविधा मिलने का भरोसा दिलाया है. फिलहाल स्थिति यही है कि मोनिका की घर की स्थिति दयनीय है, जिसे संवारने की जरूरत है और यह जिम्मेदारी भी सरकार की है, क्योंकि मोनिका ने बिहार का नाम विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है. बता दें कि मोनिका भागलपुर जिला के नवगछिया के गोपालपुर प्रखंड अंतर्गत डिमहा गांव से आती है. इस गांव की तंग गलियों से जर्जर मकान से निकल मोनिका ने हर किसी को गौरवान्वित किया है.

मोनिका के पिता विनोद साह बेहद सामान्य किसान हैं. मोनिका के पिता ने दिल्ली में सब्जी बेचकर, रिक्शा चलाकर मोनिका को पढ़ाया और आगे बढ़ाया. उन्होंने समाज के ताने बाने भी सुने, कुछ लोगों की ओछी मानसिकता को भी झेला, लेकिन इन बातों को मोनिका किनारे करती गई और आज उसने ऐसा कर दिखाया कि जो कभी नकारात्मक बातें करते थे आज बड़ाई करते नहीं थकते हैं. 

मोनिका ने ज़ी मीडिया से बातचीत में बताया कि घर की जैसी स्थिति है, किज तरह से सफर हुआ होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. एक वक्त ऐसा था जब एक टीशर्ट सालों भर पहनती थी. डबल एक्सएल साइज की टीशर्ट लगातार पहनकर रहती थी. ढाई सौ के जूते के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन खुद पर भरोसा था और घरवालों ने साथ दिया जिससे आज यहां तक पहुंच सकी हूं. आगे नेशनल गेम्स एशियन गेम्स में खो खो खेलना है.

मोनिका ने बताया कि साल 2036 में भारत में ओलंपिक होगा, उसमें खो खो शामिल होगा. तो वह भी हमारा लक्ष्य है. यहीं नहीं रुकेंगे आगे बढ़ते रहेंगे. शादी करने के सवाल पर मोनिका ने बताया कि आसपास के लोग शादी करा देने की बात करते थे, लेकिन अब सब सकारात्मक बातें करते हैं. शादी करेंगे लेकिन अभी लक्ष्य है. खो खो में देश का मान सम्मान लगातार बढ़ाएं ये लक्ष्य है. 

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वहीं, मोनिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहती है. आगामी 24 फरवरी को भागलपुर में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में उन्हें बुलावा आए ये वह चाहती हैं. मोनिका चाहती हैं कि उन्हें सरकार प्रोत्साहित करे और मदद करे, तो वह और बेहतर करेगी ज्यादा से ज्यादा मेडल भारत के लिए जीतेगी. 

इनपुट - अश्वनी कुमार

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