धनबादः चासनाला खान हादसे में 375 खनिकों ने ली थी जल समाधि, 47वीं बरसी पर दी जा रही श्रद्धांजलि
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1503844

धनबादः चासनाला खान हादसे में 375 खनिकों ने ली थी जल समाधि, 47वीं बरसी पर दी जा रही श्रद्धांजलि

देश का सबसे बड़ा खान हादसे में से एक चासनाला खदान हादसे में 375 खनिकों की जल समाधि हो गई थी. इसमें पोलैंड रूस के वैज्ञानिकों से भारत सरकार ने मदद ली थी. हादसे की आज 47वीं बरसी मनाई जा रही है.

धनबादः चासनाला खान हादसे में 375 खनिकों ने ली थी जल समाधि, 47वीं बरसी पर दी जा रही श्रद्धांजलि

धनबादः देश का सबसे बड़ा खान हादसे में से एक चासनाला खदान हादसे में 375 खनिकों की जल समाधि हो गई थी. दुर्घटना के बाद महीनों तक खदान से पानी निकालने का कार्य हुआ. इसमें पोलैंड रूस के वैज्ञानिकों से भारत सरकार ने मदद ली थी. हादसे की आज 47वीं बरसी मनाई जा रही है.

27 दिसंबर 1975 को हुई थी दुर्घटना 
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड सेल कोलियरीज डिवीजन की चासनाला कोलियरी के डीप माइंस खान में 27 दिसंबर वर्ष 1975 को दिल दहला देने वाली घटना घटी थी. इसे कोयलांचल के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे. डीप माइंस खान में प्रथम पाली कार्य के दौरान 375 खनिकों ने कोयला उत्पादन करते हुए, जल समाधि देकर शहादत दी थी. चासनाला खान दुर्घटना के बाद कई मां की गोद सुनी हो गयी थी. कई सुहागिनों की मांग का सिंदूर उजड़ गया और कई बहनों के भाई शहीद हो गए थे. कई बच्चों के सिर से पिता का साया पल भर में ही उठ गया था. 

चासनाला के शहीद खनिकों की 47वीं बरसी
मंगलवार को चासनाला के शहीद खनिकों की 47वीं बरसी पर श्रद्धांजलि दी गई. शहीद स्मारक में अधिकारी, यूनियन के नेता और शहीद के परिजनों ने श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि देने वालों में चासनाला की खान दुर्घटना एशिया की सबसे बड़ी खदान दुर्घटना के रूप में इतिहास के पन्नों में काले अध्याय के रूप में लिखा गया है. चासनाला खान दुर्घटना के बाद काला पत्थर फिल्म भी बनी जो काफी मशहूर हुई थी. 27 दिसंबर 1975 की दोपहर 1:35 बजे चासनाला खान में जल प्लावन की घटना हुई थी. 

दुर्घटना खदान के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा
मामले की जांच में सामने आया कि दुर्घटना खदान के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा था. खदान में गिरने वाले पानी को जमा करने को यहां एक बांध बनाया गया था. हिदायत भी दी गई थी कि बांध की 60 मीटर की परिधि में ब्लाङ्क्षस्टग ना की जाए. परंतु अधिकारियों ने कोयला उत्पादन के चक्कर में इन निशानों को नजरअंदाज कर दिया और हैवी ब्लाङ्क्षस्टग कर दी. इस कारण 375 खनिकों की जल समाधि हो गई. दुर्घटना के बाद महीनों तक खदान से पानी निकालने का कार्य हुआ. इसमें पोलैंड, रूस के वैज्ञानिकों से भारत सरकार ने मदद ली थी.

इनपुट- नितेश कुमार मिश्रा

यह भी पढ़ें- PM Modi brother car accident: पीएम मोदी के भाई प्रहलाद मोदी की कार के साथ सड़क हादसा, बेटे-बहू गंभीर घायल

Trending news