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Cashew Farming: वैसे तो किसी भी तरह की खेती के लिए अनुकूल मिट्टी और मौसम बहुत अनिवार्य है. आपको बता दें कि भारत सहित दुनिया के सभी देशों में जिस तरह से खेती की तकनीक में परिवर्तन हुआ है. उससे किसान परंपरागत खेती से हटकर भी कुछ ऐसी चीजों को उपजा रहे हैं जिसके जरिए वह फसल के अलावा मोटा मुनाफा कमाते हैं.
किसान अब परंपरागत खेती से होनेवाली आय पर ही निर्भर नहीं रहना चाहते हैं. उनका झुकाव अब इससे अलग ऐसी चीजों की खेती की तरफ बढ़ा है जिसके उत्पादन से वह ज्यादा मोटी कमाई कर सकें और जिनकी डिमांड भी बाजर में काफी ज्यादा हो. हाल ही में एक खबर खूब चर्चा में आई, देश का एक राज्य झारखंड जहां के जामताड़ा जिले में बड़े भूभाग पर काजू की खेती की जा रही है और यहां कौड़ी के भाव काजू की बिकवाली हो रही है. हालांकि अब बाजार तक किसानों की पहुंच आसान हो गई है ऐसे में किसान अपने उत्पाद को सीधे बाजार तक भेजकर भी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.
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वैसे आपको बता दें कि पूरी दुनिया में काजू का जितना उत्पादन होता है उसका 25 प्रतिशत हिस्सा भारत में उत्पादित होता है. भारत में केरल, गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के किसान इसकी खेती करते हैं. अब काजू का उत्पादन अन्य राज्यों के किसानों के द्वारा भी करने की शुरुआत हो चुकी है. झारखंड और यूपी के कई जिलों के किसान तो इसकी खेती में हाथ आजमा भी रहे हैं.
इसका पौधा गर्म तापमान पर तेज विकास करता है लेकिन अब कृषि तकनीकों में परिवर्तन की वजह से किसी भी फसल के लिए मिट्टी की क्षमता और मौसम का अनुकूल होना ज्यादा अनिवार्य नहीं है. हालांकि काजू 25 से 30 डिग्री के तापमान पर विकास करता है और इसके लिए मिट्टी किसी भी किस्म की हो सकती है. इसके पौधे साफ्ट वुड ग्राफ्टिंग या कलम के जरिए तैयार होते हैं.
ऐसे में काजू की खेती करके किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. इसके पौधों के साथ किसान मूंगफली या दलहन लगा सकते हैं मतलब एक साथ डबल फायदा. काजू के एक पौधे से 10 किलो से ज्यादा काजू मिल सकता है. ऐसे में इसके पौधे जितनी ज्यादा संख्या में होंगे वह आपको उतना ही ज्यादा धन दिला सकते हैं.