What is jizya tax?: यूपी के बाद अब बिहार में भी हलाल सर्टिफिकेट पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसकी तुलना जजिया टैक्स से कर रहे हैं. ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर जजिया टैक्स है क्या? आइए जानते हैं इस आर्टिकल में....
Trending Photos
What is jizya tax?: देश में इन दिनों हलाल सर्टिफिकेट (Halal Certificate) पर सियासत हो रही है. जब से उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे बैन किया, तब से देश के कई राज्यों में हलाल सर्टिफिकेट पर बैन लगाने की मांग उठने लगी है. अब बिहार को ही ले लीजिए. यहां पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान ने पूरे सूबे की सियासत में भूचाल ला दिया है. उन्होंने हलाल सर्टिफिकेट की तुलना सीधे जजिया टैक्स की. साथ ही कहा कि हलाल सर्टिफिकेट से बाजार का इस्लामीकरण किया जा रहा है. अब लोगों के मन में ये जिज्ञासा उठने लगी की आखिर जजिया टैक्स (Jizya tax) क्या है? आइए इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि जजिया टैक्स क्या है और इस किस पर लागू किया गया था.
कब हुई थी जजिया टैक्स की शुरुआत, जानिए
अगर आपने इतिहास पढ़ा होगा तो जजिया टैक्स के बारे में जरूर जानते होंगे. दरअसल, जजिया टैक्स गैर-मुस्लिम लोगों से वसूला जाने वाला टैक्स होता था, जिसे मुस्लिम शासक वसूलते थे. दुनिया के कई देशों में जजिया टैक्स वसूलने की परंपरा रही है. भारत में इस टैक्स की शुरुआत 11वीं सदी में अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में हुई थी. मुगल इस रकम का इस्तेमाल दान, तनख्वाह और पेंशन बांटने के लिए करते थे.
आसान भाषा में जजिया टैक्स को समझिए
जजिया एक सालाना कर व्यवस्था थी जो मुस्लिम शासक गैर-मुस्लिम लोगों से वसूला करते थे. शुरुआती दौर में जजिया कर सिर्फ सक्षम लोगों से ही लिया जाता था, लेकिन बाद में सभी गैर-मुस्लिम लोगों से यह कर जबरन वसूल किया जाने लगा. यही वजह है कि गैर-मुस्लिम लोग इसे अपने अपमान के तौर देखते थे.
जजिया टैक्स को किस शासक ने किया था खत्म, जानें
आगे चलकर कई मुस्लिम शासकों ने इस कर प्रणाली का विरोध किया, जिसमें से एक बादशाह अकबर भी थे. मुगलों की तीसरी पीढ़ी में जब अकबर का शासनकाल शुरू हुआ, तो उन्होंने जजिया टैक्स पर रोक लगा दी. लेकिन जब औरंगजेब ने राजगद्दी संभाली, तो अकबर के इस निर्णय की खूब आलोचना की और फिर से जजिया टैक्स शुरू कर दिया.
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान को समझिए
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक वीडियो जारी करते हुए हलाल सर्टिफिकेट पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने इसकी तुलना मुगल शासनकाल में लगने वाले जजिया टैक्स से की है. उनका कहना है कि हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर बाजार का इस्लामीकरण किया जा रहा है. यदि इस पर रोक नहीं लगाया गया, तो बिहार में जजिया कानून देखने को मिलेगा.
ये भी पढ़ें-'हलाल सर्टिफिकेट एक तरह का जजिया टैक्स'...आखिर गिरिराज सिंह ने क्यों कही ये बात