Jharkhand Gutkha Ban: झारखंड का कोई 'शोभित पांडे' नहीं बन पाएगा 'मैन ऑफ द मैच', सरकार ने गुटखा जो बैन कर दिया है
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Jharkhand Gutkha Ban: झारखंड का कोई 'शोभित पांडे' नहीं बन पाएगा 'मैन ऑफ द मैच', सरकार ने गुटखा जो बैन कर दिया है

Jharkhand Gutkha Ban: आम तौर पर सरकारी आदेश एक समय सीमा के बाद खुद ही फ्लॉप हो जाते हैं या फिर उस आदेश को लागू कराने वाले अफसरों की लापरवाही आम लोगों पर भारी पड़ जाती है. झारखंड में भले ही देर से ही सही, एक सराहनीय पहल हुई है और उम्मीद है कि यह सफल हो. 

झारखंड का कोई 'शोभित पांडे' नहीं बन पाएगा 'मैन ऑफ द मैच', गुटखा बैन जो हो गया है

26 नवंबर, 2021 को मौका था कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में भारत और न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट मैच का और वह दिन किसी गेंदबाज, बल्लेबाज, विकेटकीपर, फील्डर, अंपायर, रेफरी आदि के नाम से नहीं जाना जाता, वह दिन जाना जाता है 'मैन ऑफ द मैच' 'शोभित पांडे' के नाम से. मैच के दौरान शोभित पांडे टीम इंडिया का हौसला बढ़ाने के लिए दर्शक दीर्घा में मौजूद थे. वह अपनी बहन के साथ मैच देखने आए हुए थे, लेकिन रातोंरात स्टार बन गए थे. मैच में लगे कैमरे खिलाड़ियों पर कम, शोभित पांडे पर ज्यादा फोकस हो गए थे. कैमरे में जो शोभित पांडे दिखे, वो गुटखा जैसा कुछ खा रहे थे और उनके जुदा अंदाज ने मैदान के दर्शकों, टीवी दर्शकों और यहां तक कि खिलाड़ियों को भी अपना मुरीद बना लिया था. कई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों ने शोभित पांडे का वो वीडियो शेयर किया था. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी थी कि वो गुटखा नहीं, बल्कि स्वीटी सुपारी खा रहे थे.

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खैर, अब आते हैं झारखंड सरकार के ताजा फैसले पर, जिसमें गुटखा, बेचना, सेवन करना, भंडारण करना सब बैन कर दिया गया है. झारखंड को गुटखा मुक्त स्टेट बनाने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने यह फैसला लिया है. हालांकि अब सरकार के इस फैसले से झारखंड का कोई शोभित पांडे अब वायरल नहीं हो पाएगा. रांची में हो रहे मैच में कोई खुद की तरफ कैमरे को फोकस होने से मजबूर नहीं कर पाएगा. 

गुटखा बैन होने से केवल यही 'नुकसान' नहीं हुआ है. अब गुटखा के बैन हो जाने से झारखंड के लोगों को 'दाने-दाने में केसर का दम' नहीं मिल पाएगा. 'सफलता के स्वाद' से भी झारखंड वासी दूर हो जाएंगे. 'कुछ कर ऐसा दुनिया बनना चाहे तेरे जैसा' या फिर 'पूर्णता के प्रति जुनून' से भी झारखंड के लोग विमुख होते चले जाएंगे. ये सब गुटखा कंपनियों के टैगलाइन हैं, जो वे अपने विज्ञापन में दावा करती आ रही हैं.

झारखंड में अब सड़कों पर कहीं भी गुटखे की पीक नहीं दिखाई देखी, जो कलरफुल होने का संदेश देती आ रही थीं. यही नहीं, इशारों की भाषा में बात करना भी अब बीते दिनों की बात हो जाएगी. मुंह में पीक को घुलाकर बात करने की कला भी हड़प्पाकालीन हो जाएगी, इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं होना चाहिए. ये सब कलाएं अनमोल हैं और इन्हें संजोकर रखना चाहिए था, लेकिन अब ये इतिहास बन चुकी हैं, क्योंकि झारखंड सरकार का फैसला लागू जो हो चुका है.

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आप सोच रहे हैं कि यह सब सच साबित होता जाएगा तो यह आपकी भूल है. बगल के राज्य में बिहार में तो शराबबंदी है, लेकिन देखिए आए दिन वहां लोग जहरीली शराब से मर रहे हैं. कोई कोना ऐसा नहीं है, जहां से रोजाना बिहार में शराब पकड़े जाने की घटना न सामने आती हो. चोरी से तो चोरी से, शराब पी जा रही है, तस्करी होती आ रही है. जो पुलिस पकड़ रही है, वो सामने आ रहा है. जो नहीं पकड़ रही है, वो गुमनाम है. झारखंड में ऐसा न हो तो अच्छा है.

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