Chhath Puja Kharna Ke Niyam: छठ पूजा के दौरान पूजा में चढ़ाई जाने वाली हर चीज़ जैसे फूल और फल, अखंडित यानी बिना टूटे-फूटे होनी चाहिए. व्रती महिलाएं पूजा के समय नए कपड़े पहनती हैं और ध्यान देती हैं कि उनके कपड़ों में सुई-धागे से कोई मरम्मत न हो, ताकि पूजा का महत्व बना रहे.
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Chhath Puja Kharna Ke Niyam: छठ पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहा जाता है. इस महापर्व में विशेष महत्व रखता है. 2024 में खरना 6 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन छठ व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को स्नान कर विधिवत छठी मैया की पूजा करती हैं. खरना की पूजा के बाद गुड़ की खीर, रोटी और ठेकुआ का प्रसाद बनाया जाता है, जिसे व्रती खुद ही बनाती हैं. प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है, जो सप्तमी के सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है.
इसके अलावा खरना के दौरान कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है. पूजा के लिए मिट्टी के नए चूल्हे में पीतल के बर्तन में प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद बनाते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसे बिना जूठा किए और साफ हाथों से बनाया जाता है. पूजा में चढ़ाई जाने वाली हर वस्तु अखंडित होनी चाहिए, चाहे वह फूल हो या फल. व्रती महिलाएं पूजा के दौरान नए वस्त्र पहनती हैं, जिनमें सुई-धागे से कोई मरम्मत न हो ताकि पूजा का महत्व बना रहे. खरना के दौरान व्रती महिलाओं को बिस्तर पर सोने की अनुमति नहीं होती, वे चटाई बिछाकर जमीन पर सोती हैं.
साथ ही इस महापर्व में व्रती का मन, वचन और कर्म पूरी तरह से पवित्रता से जुड़े होते हैं. इस पर्व के दौरान परिवार और समाज भी इन परंपराओं का पालन करते हुए मिल-जुलकर छठी मैया की पूजा करते हैं.
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