World Tiger Day 2024: वर्ल्ड टाइगर डे, बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बढ़ा बाघों का कुनबा, 60 के करीब पहुंचा आंकड़ा
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2357931

World Tiger Day 2024: वर्ल्ड टाइगर डे, बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बढ़ा बाघों का कुनबा, 60 के करीब पहुंचा आंकड़ा

World Tiger Day 2024: दुनियाभर में आज (29 जुलाई) को वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जा रहा है. नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में कुशल प्रबंधन को लेकर बाघों का कुनबा बढ़ा है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों का आकड़ा 60 के करीब पहुंच गया है. 

बिहार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व

बगहाः World Tiger Day 2024: आज वर्ल्ड टाइगर डे है. बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 5 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है. टाइगर सेंसस के बाद विगत वर्ष VTR को देशभर के शीर्ष 5 वें स्थान का गौरव प्राप्त हुआ, लिहाजा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी VTR को सम्मानित किया था. हालांकि उस वक्त यहां बाघों की संख्या 54 के करीब थी, लेकिन आज यहां बाघों की तादाद में निरंतर बढ़ोतरी के बाद अब यह आंकड़ा 60 के करीब जा पहुंचा है. बाघों से इस इलाके का ऐतिहासिक और पौराणिक खास लगाव है. लिहाजा यहां का नाम इन्हीं बाघों के चलते बगहा पड़ा.

वर्ष 1973 में शुरू हुआ टाइगर प्रोजेक्ट
दरअसल, देश में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में टाइगर प्रोजेक्ट शुरू किया गया. उस वक्त देशभर में महज 8 अभयारण्य थे. लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 53 हो चुकी है. इन्ही अभयारण्य में नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी शामिल है. यहां रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं. जिनकी खासियत है कि सिर्फ 30 सेकंड में व्यस्क बाघ अपना शिकार बड़े ही आसानी से कर लेते हैं.

वन विभाग लगातार चला रहा जन जागरूकता अभियान
बताया जा रहा है कि पड़ोसी देश नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से सटे नारायणी गण्डक नदी तट पर करीब 980 वर्ग किलोमीटर में फैले VTR का इलाका इंडो नेपाल सीमा के वाल्मीकिनगर से बेतिया तक है. इसे दो डिवीजन और 8 वन क्षेत्रों में बांटा गया है. बाघों के संरक्षण को लेकर वन विभाग लगातार जन जागरूकता अभियान चला रहा है. स्कूली छात्रों के साथ-साथ जनसहभागिता की कवायद तेज है. 

इको विकास समिति का गठन 
खासतौर पर गन्ना किसानों से सहयोग को लेकर इको विकास समिति का गठन किया गया है और तो और यहां आने वाले सैलानियों से भी बाघों को बचाने की अपील की जा रही है. तभी तो स्लोगन दिया गया है 'मुझे फंदे से बचाओ, जियो और जीने दो, क्योंकि बाघ हैं तो आप हैं, मुस्कुराइए की आप वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में हैं, जहां टाइगर अभी जिन्दा है'.

एक बाघ के लिए 25 वर्ग किलोमीटर का एरिया निहित
बता दें कि अपने सल्तन्त के लिए राजा महाराजा लड़ते रहे हैं और संपति के लिए अपने भाई- भाई को लड़ते भी देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि VTR के बाघ भी अपने टेरिटोरी के लिए आपस में लड़ते भीड़ते रहते हैं. क्योंकि एक बाघ के लिए 25 वर्ग किलोमीटर का एरिया निहित होता है. यहीं वजह है कि VTR का कोर एरिया यहां बढ़ते बाघों के कुनबा में अवरोध उत्पन्न कर रहा है जो उनकी संख्या के मुताबिक कम पड़ रहा है. तभी तो कभी कभार बाघ अपने कोर एरिया से स्टे बफर क्षेत्रों में आकर रिहायशी इलाकों में भटक कर प्रवेश कर जाते हैं. तब बाघ और मानव के बीच संघर्ष जैसी स्थिति बन जाती है.

शाकाहारी जीव जंतुओं की आबादी बढ़ाने में सफल
ऐसे में VTR प्रबंधन ग्रास लैंड का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ शाकाहारी जीव जंतुओं की आबादी बढ़ाने में हर रोज सफल हो रहा है. लिहाजा VTR इनके संरक्षण को लेकर कुशल प्रबंधन में जुटा है, फिर भी बाघों को बचाने में आपको आगे आने की जरूरत है, क्योंकि पर्यावरण संतुलन में ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ता प्रभाव बाघों के संरक्षण और संवर्धन से काफी हद तक कारगर साबित होगा, क्योंकि जब हमारा इको सिस्टम कंजर्वेशन मजबूत होगा तभी तो टाइगर यहां सेफ होंगें.
इनपुट- इमरान अजीज, बगहा 

यह भी पढ़ें- Bihar Weather: बिहार में अब मानसून पकड़ेगा रफ्तार, झमाझम बरसेंगे बादल, इन 15 जिलों में बिजली गिरने की आशंका!

Trending news