Lok Sabha LIVE: लोकसभा में पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा, 'उनके मुंह पर संविधान संशोधन का खून लगा. इसकी कीमत देश की आम जनता ने चुकाई. कांग्रेस ने 75 बार संविधान बदला, जिसका सबसे बड़ा नुकसान एससी-एसटी (SC-ST) और ओबीसी (OBC) समाज के लोगों को हुआ.'
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PM Modi Reply on Constitution: लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने (PM Modi lok sabha constitution debate) जवाब देते हुए कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर उदाहरण दर उदाहरण देकर जमकर निशाना साधा. पीएम मोदी ने सभापित को संबोधित करते हुए सबूतों के साथ ऐसे-ऐसे उदाहरण दिए तो आजादी के बाद लिखी गई किताबों और गूगल पर भी मौजूद हैं. पीएम मोदी ने देश के पहले प्रधामंत्री नेहरू का हवाला देते हुए जो शुरुआत की उसके बारे में आज की जेन Z पीढ़ी को पता तक नहीं होगा.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. और मैं इसलिए एक परिवार का उल्लेख करता हूं क्योंकि देश पर एक ही परिवार ने करीब 55 साल से ज्यादा राज किया था. इसलिए देश को हक है ये जानने का कि इस परिवार के कुविचार, कुनीति की परंपरा अभी तक बदली नहीं है. हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है. 1947 से 1952 में इस देश में चुनी हुई सरकार नहीं बल्कि अस्थाई व्यवस्था थी यानी एक सेलेक्टेड सरकार थी. चुनाव नहीं हुए थे. ऐसे में जबतक चुनाव न होते तो उस समय एक व्यवस्था बनाकर सरकार का ढांचा खड़ा किया गया था. 1952 से पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था.
राज्यों के विधानसभा के चुनाव भी नहीं हुए थे, उस परिवार ने 1951 में आर्डिनेंस करके संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया और ये संविधान निर्माताओं का अपमान था. जो कांग्रेस ने किया. संविधान निर्माता परेशान थे उनकी इस परिवार के आगे चली नहीं. इस परिवार ने अपने मन की चीजें संविधान में तीसरे दरवाजे से एड किया जबकि उस वक्त देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी. इतना ही नहीं उस परिवार ने उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिठ्ठी में लिखा- 'अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए. ये नेहरू जी ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा था. देखिए इनकी हिप्पोक्रेसी देखिए. 1951 में ये पाप किया गया. लेकिन देश चुप नहीं था. उस समय इस बात पर राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें चेताया और लोकसभा स्पीकर ने कहा- पंडित जी गलत कर रहे हो, उस समय आचार्य कृपलानी और जेपी ने कहा ये गलत है. लेकिन वो न माने क्योंकि उस समय नेहरू जी का संविधान चलता था. इसलिए उन्होंने इन महान हस्तियों की बात न सुनी और संविधान संशोधन कर दिया. उसके बाद इसका खून कांग्रेस के मुंह में लग गया और ये परिवार समय समय पर संविधान का संशोधन करता रहा. ये परिवार उस संविधान की आत्मा को लहूहुहान करता रहा'.
75 बार संविधान संशोधन कांग्रेस ने करके संविधान का गला घोटा: पीएम मोदी
पीए मोदी ने आगे कहा, 'इन्होंने कई बार संविधान बदला. देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी ने जो बीज बोया था उसे खाद पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया. जो पाप पहले पीएम ने किया उसे बढ़ाया गया. 1971 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया. उस समय इंदिरा जी की सरकार ने संविधान संशोधन किया. उन्होंने हमारी देश के अदालत के पर काट दिए. उन्होंने संविधान संशोधन करके कोर्ट की पावर छीनने का पाप किया. उस संविधान संशोधन ने इंदिरा जी को न्यायपालिका की ताकत छीनने का सबब बना दिया'.
कुर्सी बचाने के लिए संविधान संशोधन: मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'जब इंदिरा जी के चुनाव को अंसैवाधिक तरीके से चुनाव लड़ने के कारण कोर्ट ने उनके चुनाव को खारिज कर दिया और उनकी सांसदी का पद छोड़ने की नौबत आई तो इंदिरा जी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल लगा दिया. इतना ही नहीं संविधान का गला घोंटकर उसका दुरुपयोग करके 1975 में भी कई मिसयूज किया. इंदिरा जी ने कोर्ट के अधिकारों को छीना था. 6 दशक में कांग्रेस ने 75 बार संविधान संशोधन किया. कोर्ट के अधिकारों को छीन लिया. जिस जस्टिस ने उनके चुनाव के खिलाफ जजमेंट दिया था, उन जस्टिस को जब सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनना था, उन जज को उस सरकार ने सीजेआई नहीं बनने दिया'.
इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक सबने संविधान संशोधन करके मनमर्जी चलाई: प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'कांग्रेस ने संविधान संशोधन करके न्यायपालिका को नियंत्रित किया. यहां कई दल के नेता बैठे हैं, जिन्हें उस समय जेल में भेज दिया गया. निर्दोष लोगों को जेल में ठूस दिया. उस निर्दयी सरकार ने 1975 से इमरजेंसी हटने तक संविधान को चूर-चूर कर दिया. जिस परंपरा को नेहरू जी ने शुरू किया उसे इंदिरा जी ने आगे बढ़ाया और इसलिए जब राजीव गांधी पीएम बने तो उन्होंने संविधान को एक और गंभीर झटका दे दिया. सबको समानता सबको न्याय की भावना को चोट पहुंचाई.
वोटबैंक के चक्कर में महिला को सहारा नहीं दिया: मोदी
सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो केस में जजमेंट दिया था. एक भारत की महिला को न्याय देने का काम संविधान की मर्यादा के हिसाब से एक पीड़ित महिला को सुप्रीम कोर्ट ने उसका हक गिया था लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट की भावना को नकार करके वोट बैंक की राजनीति के लिए संविधान की मूल भावना की बलि चढा़ दी और उन्होंने एक न्याय के लिए तरस रही महिला का साथ देने के बजाए कट्टरपंथियों का साथ दिया. इसके लिए संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. नेहरू जी ने शुरू किया इंदिरा जी ने आगे बढ़ाया और राजीव गांधी ने उस फैमिली थीम को मजबूत किया. सभापति जी अगली पीढ़ी भी इसी खिलवाड़ में लगी है. शाहबानो केस में वोट बैंक की राजनीति हुई. मनमोहन सिंह जी ने एक किताब में लिखा- मुझे ये स्वीकर करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सरकार के केंद्र में है. सरकार पार्टी अध्यक्ष के लिए उनके प्रति जवाबदेह है. इस तरह से देश के संविधान का गला कई बार घोटा गया.'
पीएमओ के ऊपर पार्टी अध्यक्ष को बैठाया: मोदी
PM मोदी ने कहा, 'इतिहास में पहली बार संविधान को ऐसी चोट पहुंचाई और प्रधानमंत्री के ऊपर नेशनल एडवायजरी काउंसिल बनाकर अपनी अध्यक्षा को पीएमओ के ऊपर बैठा दिया. इतना ही नहीं एक और पीढ़ी आगे चले अगले वालों ने ये जानते हुए कि जनता सरकार चुनती है. इस कैबिनेट ने जो निर्णय किया उसे फाड़कर फेक दिया.
370 का तो सबको पता है 35 A लाकर इन्होंने संविधान का गला घोटकर संसद पर थोप दिया. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की जिम्मेदार 35 A उस परिवार ने देश की संसद को अंधेरे में रखा. कोई अपनी मनमानी से नहीं कर सकता था. इनके पास भी बहुमत था लेकिन वो पाप इन्हीं ने किया था. वो उसे छिपाना चाहते थे. इसलिए चुप्पी साधकर बैठे थे. उस ऐतिहासिक गलती को हमने धारा 370 और 35 A को हटाकर सुधारा'.
'कांग्रेस को बाबा साहेब से प्रेम नहीं'
पीएम मोदी ने आरोप लगाते हुए कहा, 'बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति इन लोगों के मन में बड़ा द्वेश और कटुता भरी थी. जब अटलजी की सरकार थी तब बाबा साहेब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण स्थल में केंद्र की तत्कालीन सरकार ने एक स्मारक बनाना तय किया. दुर्भाग्य देखिए आगे 10 साल तक यूपीए 1 और यूपीए 2 की सरकार रही इन्होंने वो काम न आगे बढ़ाया बल्कि उसे रोक दिया. लेकिन 2014 में हमारी सरकार आई तो हमने बाबा साहेब की याद में उस स्मारक का निर्माण पूरा किया. हमने दिल्ली में बाबा साहेब के नाम पर रुका एक काम और पूरा कराया. यहीं दिल्ली में जनपथ के पास अंबेडकर इंटरनेशल सेंटर जिसका कागज 40 साल दबा रहा. हमारी सरकार ने उस सेंटर को बनाया. महू में जहां बाबा साहेब का जन्म हुआ था. तब एमपी में बीजेपी की सरकार थी. हमारे नेता सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री थे, उनकी सरकार ने वहां स्मारक बनावाया. ये लोग (कांग्रेस) बाबा साहेब से कितनी नफरत करते हैं उसकी एक नहीं अनेक बानगी है. अकेले बीजेपी की सरकार ने बाबा साहेब को मान दिया. इन लोगों ने तुष्टिकरण के नाम पर आरक्षण में चोट पहुंचाने का काम किया. इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस की तुष्टिकरण की सोच का नुकसान एससी-एसटी और ओबीसी तबके को हुआ.'