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Electricity bill Cyber fraud: बिजली का बिल भरने के लिए ऑनलाइन मोड का सहारा आजकल ज्यादातर लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन ऑनलाइन होती इस दुनिया में साइबर फ़्रॉड या फिर ऑनलाइन ठग भी ऐक्टिव रहने लगे हैं. आप भी ऑनलाइन बिजली का बिल भरते समय या उस से जुड़ी कोई समस्या को सुलझाने से पहले इस खबर को पढ़ लीजिए. क्योंकि अब बिजली बिल से जुड़ा काम आपका अकाउंट भी खाली कर सकता है.
भोले-भाले लोग हो रहे थे शिकार
आईएफएसओ यूनिट स्पेशल सेल ने बीएसईएस (BSES) बिजली बिल को अपडेट करने के बहाने नागरिकों को ठगने वाले साइबर जालसाजों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है. ये ठग लोगों को पहले खुद message भेजते हैं कि उनका बिजली बिल सिस्टम में अपडेट नहीं किया गया है और आज रात तक उनका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा. भोले-भाले लोग जिनको यह message आता है वो इसे असली मान लेते हैं. इस डर से कि उनका बिजली का कनेक्शन रात में काट दिया जा सकता है. कॉल आने पर ठग बिजली अधिकारी बन कर बात करता है. ये जालसाज या तो बैंक खाते की डिटेल लेता है या रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाता है.
नेटवर्क पूरे भारत में फैला
एक बार जानकारी बताने के बाद, धोखेबाज रिमोट एक्सेस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके पीड़ितों के खाते से धोखाधड़ी से अपने खातों में राशि ट्रांसफर कर देता है. इस मामले में अब तक 65 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. ये देश भर में चल रहे एक बड़े मॉड्यूल का भंडाफोड़ है, जिसमें सिम कार्ड, खाता बनाने वाले, टेली-कॉलर, खाताधारक सभी शामिल हैं. जांच में पता चला कि यह नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है.
22 से अधिक शहरों में छापेमारी
पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है. इस प्रकार, जयपुर, इंदौर, लुधियाना, जामताड़ा, करमाटांड, गिरडीह, देवगढ़, धनबाद, कोलकाता, उत्तरी दिनाजपुर, मेदिनीपुर पश्चिम और पूर्व, 24 परगना, पश्चिम बंगाल, अहमदाबाद, गांधी नगर सहित देश के 22 से अधिक शहरों में छापेमारी की योजना बनाई गई थी. सूरत, मुंबई, कटिहार, बिहार और दिल्ली/एनसीआर आयोजित किए गए हैं. अभियान के दौरान कुल 56 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
इस ठगी में कितने किरदार?
1. सिम कार्ड बेचने वाले
ये सिमकार्ड बेचने वाले वो हैं, जो नकली दस्तावेजों/धोखाधड़ी से मिले काग़ज़ों के ज़रिए फ़ोन पर text message भेजने और फ़ोन पर - टेली कॉल करने के लिए सिम कार्ड निकलवा लेते हैं.
2. खाताधारक
ये वे व्यक्ति हैं, जो या तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खातों की खरीद करते हैं या कमीशन के आधार पर उपयोग के लिए समाज के निचले तबके से बैंक खातों की खरीद करते हैं.
3. ई मित्र और उनके सहयोगी
धोखेबाजों के लिए पैसे निकालना या उसे आगे पहुंचाना करना मुश्किल है क्योंकि धोखाधड़ी खातों में ट्रान्स्फ़र किए पैसे एक समय के अंतराल में बैंक के माध्यम से फ्रीज भी करवाया जा सकता है. इस से बचने के लिए, उन्होंने ई-मित्र (बी2सी सेवाओं का उपयोग करने में लोगों की मदद करने के लिए सरकार की एक पहल, उदाहरण के लिए बिलों का भुगतान आदि) का सहारा लिया था.
4. टेली कॉलर
ये रैंडम नंबरों पर बल्क मेसेज भेजते हैं. जब भी आम जनता कॉल बैक करती है, वे बिजली अधिकारी के रूप में प्रतिरूपित करते हैं और अपने मोबाइल फोन में रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर स्थापित करते हैं और बैंक खाते से राशि ट्रांसफर करते हैं.
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